जशपुर में डिजिटल क्रांति: 15695 खसरे का हुआ डिजिटल सर्वेक्षण, किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम
September 30, 202425 ग्रामों के 15695 खसरों का हुआ सर्वे, गिरदावरी के कार्य में अब होगी सुविधा
समदर्शी न्यूज़ जशपुर, 30 सितम्बर / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशानुरूप एग्रीस्टेक परियोजना के अंतर्गत खरीफ फसल वर्ष 2024 में डिजिटल फसल सर्वेक्षण का कार्य राज्य में 3 जिलों एवं 37 तहसीलों में किया जा रहा है। जिसके तहत भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय द्वारा डिजिटल फसल सर्वे का कार्य कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में जशपुर जिले के 25 ग्रामों में सर्वे का कार्य 14 सितम्बर से प्रारंभ किया गया था। जिसमें 125 ग्रामीण सर्वेक्षकों के माध्यम से 25 ग्रामों के 15695 खसरों का सर्वेक्षण कार्य समयानुसार जियो रिफ्रेन्सिंग एवं नक्शा अपलोड करते हुए शत प्रतिशत पूर्ण कर लिया गया है। जिसमें से 72 प्रतिशत सर्वेक्षण कार्य का सत्यापन भी पूर्ण कर लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत को 2047 तक विकसित भारत के रूप में विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा सभी सरकारी कामकाजों में डिजिटल टेक्नोलॉजी के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसमें डिजिटल क्रॉप सर्वे डिजिटल इंडिया की नई पहचान बन कर उभर रहा है। डिजिटल क्रॉप सर्वे होने से किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिलने के साथ फसलों की सटीक जानकारी तथा अवैध धान की आवक पर नियंत्रण किया जा सकेगा। इससे गिरदावरी का कार्य भी त्वरित गति से पूर्ण हो सकेगा।
डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण में निजी सर्वेयर डिजिटल रूप से फसल का सर्वे सभी खेतों में जाकर किया गया है। निजी सर्वेयर प्रतिदिन 30 से 50 खेतों में जाकर ऐप्प में प्लॉट की स्थिति खसरा नंबर, क्षेत्र के मालिक का नाम डालते हुए लगी फसल एवं उसकी जिओ रिफ्रेन्सिंग के रूप में लॉन्गिट्यूट, लैटिट्यूट के साथ तीन फोटो अपलोड करते हैं। जिसका सत्यापन पटवारी और राजस्व निरीक्षक के द्वारा की जाती है जिसके जांचकर्ता के रूप में तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार कार्य करते हैं। सर्वे में बोयी गयी फसल के नाम, मिश्रित सिंचित – असिंचित फसल, एकवर्षीय या बहुवर्षीय, सीजनल फसल की जानकारी सर्वेयर द्वारा साफ्टवेयर में प्रविष्टि करते हुए एकल एवं मिश्रित फसल की स्थिति में बोये गये फसल या पड़त रकबा की प्रविष्टि की जाती है। सर्वेयर द्वारा प्रत्येक खसरा नंबर की भूमि के अंदर कम से कम मेड़ से 10 मीटर की दूरी पर जाकर कार्य संपादित किया जाता है।