असमय वर्षा की स्थिति को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों की दी सामयिक सलाह
January 14, 2022समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,
जगदलपुर, बस्तर सहित छत्तीसगढ़ राज्य में असमय वर्षा की स्थिति को देखते हुए शहीद गुण्डाधूर कृषि महाविद्याल कुम्हरावण्ड जगदलपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सामयिक सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि बंगाल की कड़ी से गर्म हवा के साथ नमी का आना लगातार जारी है एवं साथ ही उत्तर अंदरूनी कर्नाटक तथा उत्तर अंदरूनी ओड़िसा तक बने द्रोणक के कारण 15 जनवरी तक गरज चमक के साथ वर्षा की संभावना है। पिछले कुछ दिनों में गरज चमक साथ हुई वर्षा एवं कुछ जगहों में हुई ओला वृष्टि से किसानों के फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा है। बीते 48 घंटों में शहीद गुण्डाधुर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कुम्हरावंड में स्थित कृषि मौसम वेधशाला में 22.4 मि.मि. वर्षा रिकॉर्ड की गई। तापमान अधिकतम 24.5 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 16.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड की गई। वर्षा के चलते वायु में 97 से 61 प्रतिशत आद्र्रता बानी हुई है। वर्षा तथा आर्द्रता में वृद्धि से फसलों में रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है तथा लगातार वर्षा से मिटटी में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जो फसलों के लिए नुकसानदायक है तथा वर्षा के पश्चात रबी में लगाए गए दलहनी फसल मुरझा जाते हैं। इसके साथ साथ नमी की वृद्धि से भंडारित अनाजों में कीटों के प्रकोप की भी संभावना होती है।
शहीद गुण्डाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कुम्हरावंड, कृषि मौसम विभाग में कार्याग्रत वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनीष कुमार एवं वरिष्ठ अनुसंधान सहायक श्री अनुराग सनाड्या बीते मौसम तथा आने वाले मौसम को देखते हुए बस्तर और उसके आसपास के जिले में बारिश और ओलावृष्टि के पूर्वानुमान को देखते हुए किसानों को सलाह दी है कि, वे खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था करें एवं ओलावृष्टि होने की स्थिति में शेड नेट का उपयोग करें। पिछले कुछ दिनों में गरज के साथ हुई बारिश को देखते हुए तथा आने वाले दिनों में भी वर्षा की सम्भवना को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे गिरे हुए फल या सब्जियों को खेत हटा दें ताकि खड़ी फसल में फफूंद रोग के प्रसार को कम किया जा सके और गरज के कारण पौधों को गिरने से रोकने के लिए बांस या लकड़ी का खंभा लगाकर फसलों को सहारा दें। अनाज में नमी बढ़ने के कारण भंडारित अनाजों में कीटों के प्रकोप की संभावना है. अतः अनाजों को कीटों के प्रकोप से बचने हेतु एल्युमिनियम फास्फाइड (3 गोली प्रति टन अनाज) के साथ अनाजों पर छिड़काव करें।
जलभराव की स्थिति या वर्षा के बाद मिट्टी की निरंतर संतृप्त स्थिति के कारण, फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दिखाई देती है। अतः किसान भाई सूक्ष्म पोषक तत्वों का तुरंत छिड़काव करे। किसानों को सलाह दी जाती है कि के बारिश के बाद दलहनों में मुरझाने को नियंत्रित करने हेतु वैलिडामाइसिन 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। बढ़ती हुई आर्द्रता को ध्यान में रखते हुए सफेद रोली रोग के खिलाफ सरसों के फसलों की निगरानी करें। यदि संक्रमण अधिक हो तो मेटलैक्सिल 8 प्रतिशत मैनकोजेब 64 प्रतिशत 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।