चार दिवसीय अनुष्ठान के बाद उषा अर्घ्य के साथ हुआ समापन
नहाय-खाय से लेकर उषा अर्घ्य तक, हर रस्म निभाते हुए श्रद्धालुओं ने मनाया पर्व
कुनकुरी 8 नवम्बर 2024/ कुनकुरीनगर में चार दिवसीय छठ महापर्व का भव्य समापन हुआ। हजारों श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस पावन पर्व को मनाया। नगर के विभिन्न घाटों पर उमड़े श्रद्धालुओं ने भक्तिमय वातावरण में सूर्य देव और छठी माता की आराधना की।
छठ महापर्व के अंतिम दिन, उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने घाटों पर जमा होकर सूर्य देव और छठी माता की आराधना की। अस्त और उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा के साथ, कुनकुरी नगर का हर कोना जगमगा उठा।
चार दिवसीय उत्सव का समापन: छठ पूजा का यह चार दिवसीय उत्सव भक्ति और आस्था का प्रतीक है। इस दौरान व्रती महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर सूर्य देव और छठी माता की पूजा-अर्चना की। नहाय-खाय से शुरू हुआ यह पर्व खरना, संध्या अर्घ्य और अंत में उषा अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ।
- नहाय-खाय: उत्सव की शुरुआत नहाय-खाय से हुई, जिसमें व्रती महिलाओं ने स्नान करके पवित्र भोजन ग्रहण किया। इस दिन वे अपने घरों को साफ-सुथरा करके छठ पूजा की तैयारियां शुरू करती हैं।
- खरना: दूसरे दिन खरना का व्रत रखा गया, जिसमें व्रती महिलाओं ने विशेष प्रकार का भोजन बनाया। इस दिन गुड़ की खीर और चावल का विशेष महत्व होता है।
- संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया गया, जिसमें व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान वे विशेष रूप से सज-धजकर घाटों पर पहुंचती हैं और प्रसाद चढ़ाती हैं।
- उषा अर्घ्य: अंतिम दिन उषा अर्घ्य के साथ छठ पूजा का समापन हुआ, जिसमें व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया और 36 घंटे का निर्जला व्रत तोड़ा। यह पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल: कुनकुरी नगर के मुख्य घाट डेम के साथ विभिन्न घाटों पर छठ पूजा का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह के साथ इस पर्व को मनाया। महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में घाटों पर पहुंचकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया। पुरुषों ने भी महिलाओं का सहयोग किया और पूजा-अर्चना में शामिल हुए।
घाटों पर उमड़ी भीड़: शहर के प्रमुख घाटों पर भारी भीड़ देखी गई। लोग घंटों तक कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। घाटों को रंग-बिरंगे लाइट और दीयों से सजाया गया था।
प्रशासन की तैयारियां: छठ पूजा को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे। घाटों पर पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था और स्वच्छता व्यवस्था की गई थी। पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन: छठ पूजा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति देकर लोगों का मनोरंजन किया। भजन-कीर्तन और लोक नृत्यों ने पर्व में चार चांद लगा दिए।
छठ पूजा का धार्मिक महत्व: छठ पूजा सूर्य देव और छठी माता को समर्पित एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। मान्यता है कि छठ पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह त्योहार प्रकृति और सूर्य की उपासना का प्रतीक है। छठ पूजा का विशेष महत्व बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में है।
छठ पूजा का सामाजिक महत्व: छठ पूजा केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि एक सामाजिक पर्व भी है। यह पर्व लोगों को एकजुट करता है और सामाजिक सद्भाव का संदेश देता है। छठ पूजा के दौरान परिवार और समाज के लोग एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं।
कुनकुरी नगर में छठ पूजा का आयोजन भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस पर्व ने लोगों को एकजुट किया और सामाजिक सद्भाव का संदेश दिया। छठ पूजा का यह पर्व सदियों से चला आ रहा है और आने वाले समय में भी इस पर्व का महत्व बना रहेगा।