परियोजना विजय के तहत कस्तूरबा आवासीय विद्यालय के अधीक्षकों तथा जिले के अधिकारियों की हुई वर्चुअल बैठक, 11 महत्वपूर्ण विषय पर हुई प्रशिक्षण सह परिचर्चा

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,
रायगढ़, परियोजना विजय के तहत कस्तूरबा आवासीय विद्यालयों की अधिक्षिकाओं तथा जिले के अधिकारियों की वर्चुअल बैठक 20 जनवरी को आयोजित हुई, जिसमें राज्य द्वारा 11 महत्वपूर्ण विषयों पर ऑनलाइन/वर्चुअल प्रशिक्षण सह परिचर्चा की गई।
उल्लेखनीय है कि उक्त ऑनलाइन प्रशिक्षण सह परिचर्चा में राज्य द्वारा 11 विषय परिचर्चा हेतु रखे गए थे, जिनमें मनोभाव व भावनाएं, विवेचनात्मक रचनात्मक सोच, स्वास्थ्य व पोषण, शिक्षा व कैरियर, वित्तीय साक्षरता, जेंडर ज्ञान, नेतृत्व क्षमता, सुरक्षा, स्वयं, रिश्ते व संप्रेषण आदि विषय सम्मिलित थे। उक्त तीन दिवसीय प्रशिक्षण रूम टू रीड की रायगढ़ प्रभारी सेबी व चेतना द्वारा प्रदाय किया गया। जिसका मेन थीम बच्चों के द्वारा अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न थे। उक्त प्रशिक्षण में 40 से 50 की संख्या में लोग जुड़े हुए थे जिनमें छत्तीसगढ़ की कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की अधिक्षिकाएं, सहायक अधिक्षिकाएं तथा अधिकारीगण सम्मिलित रहे। उक्त तीन दिवसीय प्रशिक्षण के पहले दिन 18 जनवरी को आवासीय विद्यालय के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया ताकि वे सभी शिक्षक, प्रशिक्षित होकर आवासीय कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की छात्राओं को समुचित जानकारी और प्रशिक्षण प्रदाय कर सकें। 18 जनवरी के प्रशिक्षण के पहले दिन तनाव डांस अंतर्गत पहले शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदाय करते हुए बताया गया कि वे तनाव डांस के द्वारा बच्चों को तनाव से कैसे दूर रख सकते हैं। क्योंकि आवासीय विद्यालयों की बच्चियों का अंतर्मन स्वभावत:तनाव से ग्रसित होता है, चाहे वह उनका परीक्षा के दौरान का तनाव हो अथवा परिजनों द्वारा कही गई की बातों का या अपेक्षाओं का दबाव व तनाव हो। आवासीय विद्यालयों की बच्चियां संगीत सुनकर, नृत्य करके, पेंटिंग करके, मनोरंजक पुस्तकें पढ़कर अपने अंतर्मन में चल रहे तनाव से दूर रह सकें। छठवीं, सातवीं, आठवीं की बच्चियों को कुछ कॉमिक्स निर्मित करने कहा गया था। उन बच्चियों द्वारा तैयार की गई कॉमिक्स को प्रशिक्षण में प्रदर्शित कर आवासीय विद्यालय की बच्चियों हेतु 5-5 कॉमिक्स प्रेषित किया गया। उक्त प्रशिक्षण के द्वितीय दिवस 19 जनवरी को जीवन कौशल बिंदु पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। सत्र 2019-20 व 20-21 के दौरान जीवन कौशल पर आधारित बहुत सारे पोस्टर्स भी प्राप्त हुए थे जो जीवन कौशल पर आधारित थे। इन्हीं पोस्टर्स का सटीक उपयोग व प्रदर्शन ऐसी जगह किए जाएं जिससे बच्चियों को यह पोस्टर सतत् दृष्टिगोचर होते रहे और पोस्टर के सतत् नजरों में दिखते रहने से उन बच्चियों के मनो मस्तिष्क में जीवन कौशल पर आधारित सकारात्मक संदेश सदैव बना रहे इस पर भी परिचर्चा की गई। प्रशिक्षण के अंतिम दिवस 20 जनवरी को राज्य द्वारा सुझाए गए 11 बिंदुओं पर प्रशिक्षण सह परिचर्चा संपन्न हुई। उक्त प्रशिक्षण में जिला मिशन समन्वयक समग्र शिक्षा रायगढ़ श्री रमेश देवांगन, डाइट प्राचार्य पेंड्रा विशेष रूप से जुड़े हुए थे। जिन्होंने प्रशिक्षण में अपना फीडबैक देते हुए मार्गदर्शन दिया। कक्षा छठवीं, सातवीं, आठवीं की बच्चियों बच्चों हेतु प्राप्त मेरे विचार पुस्तक जो पहले ब्लैक एंड वाइट चित्रित होती थी वे अब रंगीन स्वरूप में प्रदाय की जा रही हैं। जिससे वह आकर्षक व रुचिकर लगे। मेरे विचार पुस्तकों में कुछ प्रश्नावली रिक्त स्थान की पूर्ति के प्रारूप में दी जा रही हैं जिससे इन्हें पूर्ण करते हुए बच्चों के अंतर्मन की बातें व विचार सामने आ सके। 20 जनवरी को प्रशिक्षण के अंतिम दिवस राज्य शासन द्वारा सुझाए गए 11 विषयों पर प्रशिक्षण सह परिचर्चा हुई जिसमे शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया ताकि वे बच्चियों के मन में उठने वाले सवालों, कौतूहल, जिज्ञासाओं का समाधान प्रभावी ढंग से कर सकें। आवासीय विद्यालय में पढऩे वाले बच्चियों के मन में स्वयं की शारीरिक स्वच्छता, मासिक धर्म से संबंधित प्रश्न सहित अनेक प्रश्न व जिज्ञासाएं होती हैं। चूंकि आवासीय विद्यालय में शिक्षिकाओं व अधिक्षिकाओं की भूमिका एक पालक के रूप में होती है इसलिए अधिक्षिकाएँ एक पालक के रूप में बच्चों से घुल मिलकर बच्चियों के मन में उठने वाले उन तमाम प्रश्नों कौतुहलों व जिज्ञासाओं का प्रभावी ढंग से समाधान कर सके यह इस प्रशिक्षण का विशेष उद्देश्य रहा
डीएमसी रमेश देवांगन ने बताया कि उक्त प्रशिक्षण सह परिचर्चा आवासीय विद्यालय में अध्यनरत बच्चियों के लिए अत्यंत प्रभावी व महत्वपूर्ण साबित होगा। छात्र-छात्राओं का विकास उनके व्यक्तित्व के संपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखते हुए किया जा सकता है। यही वजह है कि प्रशिक्षण में शामिल 11 बिंदुओं सहित जीवन कौशल शिक्षा की बड़ी अहमियत है। जीवन कौशल से जुड़ी शिक्षा यानि जिसमें छात्र-छात्राओं के संपूर्ण व्यक्तित्व को ध्यान में रखा जाए। जीवन कौशल शिक्षा परेशानियों से जूझने और संघर्ष करने का हौसला देती है। इससे संस्कारित बच्चे, परिवार अभिभावक और समाज के लिए तैयार होते हैं। जीवन कौशल शिक्षा को आवासीय विद्यालय की बच्चियों के लिए ही नहीं अपितु संपूर्ण स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर बेहतर नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।

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