गौठानों से जुड़ी महिला समूहों को हुई 50.97 करोड़ की आय, गांवों में आय उपार्जन की गतिविधियों के केन्द्र बनते जा रहे हैं गौठान
January 22, 2022समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,
रायपुर, छत्तीसगढ़ सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में शामिल सुराजी गांव योजना के तहत गांव में स्थापित गौठानों को आय उपार्जन की गतिविधियों के केन्द्र के रूप में विकसित करने की मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा तेजी से साकार होने लगी है। गौठान अब आजीविका के केन्द्र का स्वरूप लेने लगे हैं। इससे ग्रामीणों को सहजता से रोजगार मिलने के साथ ही उनकी आय में वृद्धि हुई है। गौठान से जुड़ी 11 हजार से अधिक महिला स्व-सहायता समूहों ने गौठानों में विभिन्न प्रकार की रोजगार मूलक गतिविधियों को संचालित कर अब तक 50 करोड़ 57 लाख रूपए से अधिक की आय अर्जित की है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योजना ग्रामीण जनजीवन बदलाव लाने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था गतिशील बनाने में काफी मददगार साबित हो रही है। गौठान और गोधन न्याय योजना को पूरे देश में एक आदर्श योजना के रूप में देखा और सराहा जा रहा है। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत 2 रूपए किलो में गोबर की खरीदी कर उससे वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस के निर्माण के साथ-साथ अन्य उत्पादों का निर्माण महिला समूहों द्वारा किया जा रहा है। वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट के उत्पादन से महिला समूहों को अब तक 29 करोड़ 46 लाख रूपए की राशि लाभांश के रूप में प्राप्त हुई है।
महिला समूहों द्वारा गौठानों में सामुदायिक बाड़ी के माध्यम से सब्जी उत्पादन कर 5 करोड़ 43 लाख रूपए, मछलीपालन से 2 करोड़ 31 लाख, बकरी पालन से एक करोड़ 14 लाख, मुर्गी पालन से एक करोड़ 9 लाख, पशुपालन से 70 लाख, गोबर से दीया, अगरबत्ती, गमला, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री के निर्माण से 74 लाख रूपए तथा अन्य आय मूलक गतिविधियों से 9 करोड़ 70 लाख रूपए की आय अर्जित की जा चुकी है।
राज्य में गौठानों से 11 हजार 463 महिला स्व-सहायता समूह जुड़े हुए हैं, जिनकी सदस्य संख्या 77 हजार से अधिक है। राज्य में स्वीकृत 10 हजार 591 गौठानों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख एकड़ से अधिक शासकीय भूमि सुरक्षित एवं उपयोगी हो गई है। गौठानों को और अधिक लाभकारी बनाने के लिए इन्हें रूरल इंड्रस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। गोबर से गौठानों में विद्युत उत्पादन की शुरूआत की जा चुकी है। गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण की यूनिटें लगाए जाने की प्रक्रिया जारी है। इसके लिए गौ सेवा आयोग और करियप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर के मध्य एमओयू हो चुका है। किसानों द्वारा उत्पादित दलहन, तिलहन की प्रोसेसिंग के लिए अब गांव के गौठानों में दाल मिल एवं तेल मिल की स्थापना की जा रही है। प्रथम चरण में राज्य के 148 गौठानों में तेल मिल तथा 188 में दाल मिल लगाए जाने की कार्ययोजना बनाई गई है। इससे उत्पादक कृषकों के साथ-साथ गौठानों से जुड़ी महिला स्व सहायता समूहों की आय बढ़ेगी।