पूजा स्व-सहायता समूह: आदिवासी महिलाओं की आत्मनिर्भरता की मिसाल, सिमेंट गमला और खंभा निर्माण से आर्थिक मजबूती, आपसी सहयोग से समाज को प्रेरणा
January 13, 2025जशपुर 13 जनवरी 25/ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन में महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं बन रही है आत्मनिर्भर नगरपालिका परिषद् जशपुरनगर के वार्ड 16 में बरला आदिवासी समुदाय की महिलाओं के बीच डे-एनयूएलएम योजना की सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति (सीआरपी) श्रीमती सरिता केरकेट्टा जब महिलाओं के बीच समूह गठन के लिए 2015-16 में गई तब लोग स्व-सहायता समूह से जुड़ने के लिए असानी से तैयार नहीं होते थे। शुरूआती दौर में महिलाओं का समूह गठन में बहुत सारी दिक्कतें आयी महिलाएं मजदूरी और खेती किसानी कार्य में व्यस्त रहने के कारण समूह गठन के लिए बैठक नहीं हो पाती थी। सीआरपी के अथक प्रयास से दिनांक 15 जुलाई 2015 को पूजा स्व-सहायता समूह का गठन 12 सदस्यों को जोड़कर उनका बचत खाता बैंक ऑफ इण्डिया जशपुर शाखा में खुलवाया गया।
समूह की महिलाएं आपसी बचत प्रतिमाह 100 रू. निर्धारित करने के साथ ही प्रत्येक सप्ताह समूह की बैठक आयोजन कर समूह संचालन के नियम बनाकर समूह का सफल संचालन कर रही है। समूह में कुल 12 सदस्य हैं, अधिकांशतः महिलाएं कृषि, मजदूरी करती है तथा कुछ गृहणी है। समूह को ग्रेडिंग उपरांत शासन द्वारा आवर्ति निधि प्रदान किया गया, इसके पश्चात समूह का बैंक लिंकेज बैंक ऑफ इण्डिया से 50000.00 (पचास हजार मात्र) का ऋण समूह द्वारा लिया गया महिलाओं ने बैठक आयोजित कर बैंक लिंकेज की राशि से सिमेन्ट गमला बनाने का कार्य करने की ठानी। इस व्यवसाय की शुरूआत 2017 को किया गया अब समूह ने अनुमानित साठ हजार का गमला विक्रय कर चुकी है। अभी वर्ततान में 5 साईज के गमला बनाने का कार्य कर रही है। समूह ने अपना प्रथम लिंकेज (ऋण) की राशि जमा कर द्वितीय लिंकेज को बैंक से दो लाख रूपये राशि का उपयोग आपसी लेनदेन एवं आपसी जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोग कर रही है। पूजा स्व-सहायता समूह भगलपुर क्षेत्र स्तरीय समिति का सदस्य भी है। अब सदस्यों ने सिमेन्ट का खंभा (पोल) बनाने की कार्ययोजना है। समूह की तीन सदस्य स्वच्छ भारत मिशन योजना अंतर्गत मिशन क्लीन सिटी योजना के तहत् एसएलआरएम केन्द्र में कार्यरत है।
पूजा स्व-सहायता समूह के बचत खाते में अभी वर्तमान में कुल साठ हजार रूपए बैंक में जमा है। इसके साथ ही आपस में समूह की महिलाएँ के बीच कुल अस्सी हजार रूपये ऋण वितरित है। समूह की महिलाएँ अपने घर निर्माण, मरम्मत, बिमारी का ईलाज, विवाह एवं अपने व्यवसाय के संचालन के लिए ऋण वितरित है। पूजा समूह एक दूसरे की मदद तथा आपसी सहयोग सदैव तत्पर रहते है। समूह की एक सदस्य के पति के अचानक मृत्यु उपरांत परिवार के सभी सदस्य अपने पैतृक निवास चले गये थे, इस विकट स्थिति समूह के सभी सदस्यों ने समूह बैठक कर गमी मृत्युभोज के लिए समूह खाते से 10 हजार रूपये ऋण तत्काल दिया गया तथा बैठक में यह प्रस्ताव पारित किये कि परिवार के खेत बाड़ी का रखवाली एवं सम्पूर्ण कार्य जैसे- धान कटाई, दुलाई एवं घर देखरेख का कार्य सभी सदस्यों में मिलकर निस्वार्थ भाव से करने का निर्णय लिया गया। आपसी सहायता की परम्परा शहरों में एक ओर जहाँ विलुप्त होने की कगार पर है वहीं पूजा स्व-सहायता समूह इस परम्परा को जीवित रखने के साथ आपसी सहायता की मिसाल प्रस्तुत करने के साथ ही अपने आस-पास के समूह के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। इसके साथ ही समूह ने यह भी नियम बनाया है कि प्रत्येक रविवार समूह के एक-एक सदस्य के घर के कार्यों में सहायता कर कार्य को समय से एवं जल्द पूरा कर लेती है। आपसी सहयोग की परम्परा के द्वारा आज दिनांक तक कुल चौदह हजार आठ सौ रूपये समूह के खाते में जमा किया गया है।
समूह की सभी महिलाएँ बैठक आयोजन कर आपसी सहयोग परम्परा को जीवित रखने के लिए एकमत होकर बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया। जिसके तहत् समूह के 12 महिलाओं के बीच किसी घर में धान रोपा लगाने, धान कटाई, घास निंदाई, धान दुलाई अथवा घर निर्माण व मरम्मत कार्य जैसे- ईटा, बालू, गिट्टी ढ़ोने का काम होने पर उक्त काम करवाने वाले सदस्य द्वारा समूह के खाते में 600 रूपये एक दिवस का जमा किया जाता है उसके बाद सभी सदस्य मदईत कर काम को पूरा करते है। इसके साथ ही समूह की महिला सदस्यों के घर परिवार में दुखः और सुख की घड़ी में भी मदईत कर एक दूसरे के बीच आपसी सहयोग स्वरूप शादी-विवाह में सरई पत्ता से 40 दोना व 40 पत्तल तथा गमी के समय 50रू., 1 कि.ग्रा. चावल एवं 20 दोना, 20 पत्तल बनाकर परिवार को सहायता करते हैं।