वर्चुअल और वास्तविक उपस्थिति मोड में नेशनल लोक अदालत में लगभग 15 हजार 375 मामले का निराकरण किया गया जिसमें लगभग 3 करोड़ 80 लाख 47 हजार 670 रूपए के मामले निपटाए गए

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समदर्शी न्यूज़ राजनांदगांव

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के तत्वावधान, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन एवं माननीय जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशन में नेशनल लोक अदालत का वर्चुअल और वास्तविक उपस्थिति मोड में आयोजन किया गया। कोविड-19 महामारी को देखते हुए दिनभर चलने वाली इस लोक अदालत के आयोजन के दौरान न्यायालय परिसर में आवश्यक सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से अनुपालन किया गया।

नेशनल लोक अदालत आयोजित करने के लिए कुल 39 खंडपीठों का गठन किया गया था। इस लोक अदालत में 15 हजार 375 मामलों का सफलतापूर्वक निपटान किया गया। निपटान किए गए मामलों में कुल 14 हजार 664 मामले प्री-लिटिगेशन चरण के थे और 717 मामले ऐसे थे जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित थे। उपरोक्त नेशनल लोक अदालत में आपराधिक राजीनामा योग्य मामले, मोटर वाहन दुर्घटना दावा से संबंधित मामले, धारा 138 एनआई एक्ट से संबंधित मामले यानि चेक के संबंधित मामले, वैवाहिक विवाद के मामले, श्रम विवाद के मामले, बैंक ऋण वसूली वाद, रूपए वसुली वाद, विद्युत बिल एवं टेलीफोन बिल के मामले, भूमि.अधिग्रहण से संबंधित मामले, राजस्व न्यायालय के मामले एवं अन्य राजीनामा योग्य वाद आदि से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित लोक अदालत, विवादों का निपटान करने का एक वैकल्पिक तरीका है। यह एक ऐसा मंच है, जहां न्यायालयों में लंबित वाद-विवाद व मुकदमे या प्री-लिटिगेशन चरण के मामलों का सौहार्दपूर्ण निपटारा किया जाता है। लोक अदालतों को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत वैधानिक दर्जा दिया गया है। इस अधिनियम के तहत, लोक अदालतों द्वारा दिए गए निर्णय को सिविल न्यायालय का निर्णय माना जाता है, जो सभी पक्षों पर अंतिम और बाध्यकारी होता है। ऐसे निर्णयों के बीच किसी भी अदालत के कानून के समक्ष अपील नहीं की जा सकती है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तालुक न्यायालयों तक सभी न्यायालयों में मुकदमों (प्री-लिटिगेशन और पोस्ट-लिटिगेशन दोनों) के निपटारे के लिए नेशनल लोक अदालतें एक दिन आयोजित की जाती हैं।

विवादों के समाधान के लिए समाज के सभी वर्गों के लिए इस एडीआर फोरम को सुलभ बनाने में इस महामारी द्वारा पेश की गई चुनौतियों को दूर करने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा वर्ष 2020 में वर्चुअल लोक अदालत यानी ई-लोक अदालत शुरू की गई। प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर ई-लोक अदालतों ने लाखों लोगों को अपने विवाद निपटाने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया है। इस दौरान सफलता की कहानियों में यह झलक देखने को मिलती है कि 11 सितंबर 2021 को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में किस प्रकार विभिन्न विवादों का सौहार्द्रपूर्ण निपटान करके लोगों को राहत प्रदान की गयी है।

1. पारिवारिक भूमि विवाद का निपटान

एक पारिवारिक भूमि विवाद से दो परिवार के सदस्यों के बीच तनाव पैदा हो रहा था। यह मामला प्री-लिटिगेशन चरण में था और इसे लोक अदालत की राजनांदगांव खंडपीठ में भेज दिया गया। लगभग 5 वर्ष बाद न्यायालय के द्वारा दी गई समझाईश से उभयपक्ष के मध्य आपसी राजीनामा नेशनल लोक अदालत में संपन्न हुआ। राजीनामा के आधार पर उभयपक्ष हंसी खुशी अपने घर को चले गये।  इस प्रकार उभयपक्ष के द्वारा अपने विधिक ज्ञान का उपयोग करते हुये राजीनामा कर समाज के समक्ष एक उदाहरण पेश किया गया है। भूमि विवाद के इस मामले की नेशनल लोक अदालत में सुनवाई हुई और इसे प्री-लिटिगेशन चरण में ही सौहार्द्रपूर्ण रूप से निपटा दिया गया। जिससे इस विवाद की समाप्ति हुई।

2.वैवाहिक विवाद का सौहार्द्रपूर्वक निपटान

वैवाहिक विवादों से संबंधित मामलों को भी राष्ट्रीय लोक अदालतों में सफलतापूर्वक निपटाया गया। ऐसे ही एक मामले में  एक पति और पत्नी, वैवाहिक विवाद से गुजर रहे थे। उनके इस मामले का भी उक्त अदालत में निपटान किया गया। पति ने संवैधानिक अधिकारों की बहाली के लिए एक मूल वाद दायर किया था। यह मामला राष्ट्रीय लोक अदालत में सुनवाई के बाद पति-पत्नी के बीच इस मामले का सौहार्द्रपूर्ण रूप से निपटारा किया गया। इसके बाद पत्नी याचिकाकर्ता पति के साथ रहने को भी तैयार हो गई। न्यायालय के द्वारा दी गई समझाईश से उभयपक्ष के मध्य आपसी राजीनामा नेशनल लोक अदालत में संपन्न हुआ। राजीनामा के आधार पर प्रकार उभयपक्ष हंसी खुशी अपने घर को चले गये।

3. श्रम न्यायालय के मामलों का निपटान

श्रम न्यायालय राजनांदगांव में पीठासीन अधिकारी के समक्ष आज नेशनल लोक अदालत में लिंक वर्कर स्कीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत कार्य करने वाले 9 मजदूरों का अक्टूबर 2015 से मार्च 2016 तक के शेष मजदूरी बकाया भुगतान के बाबत उभयपक्ष के मध्य राजीनामा हुआ है। जिसमें उक्त लिंक वर्कर स्कीम प्रोजेक्ट के डायरेक्टर द्वारा मजदूरों को पृथक-पृथक कुल 4 लाख 89 हजार 950 रूपए का बकाया मजदूरी भुगतान किया जाकर राजीनामा कर उपरोक्त बकाया वेतन भुगतान के प्रकरण को राजीनामा के आधार पर समाप्त कराया गया। जिससे मजदूरों को उनके पुराने बकाया मजदूरी का भुगतान न्यायालय के माध्यम से लोक अदालत में प्राप्त हुआ है।

4. गले मिले दो सगे भाई

परिवार में संपत्ति को लेकर दोनो भाईयों में गली-गलौची तथा मारपीट हो गई थी। न्यायाधीश द्वारा सलाह व समझाईश देकर उभयपक्ष के मध्य आपसी राजीनामा नेशनल लोक अदालत में संपन्न हुआ। राजीनामा के आधार पर प्रकार उभयपक्ष हंसी खुशी अपने घर को चले गये।

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