बाल संप्रेक्षण गृह जशपुर में हुआ विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन

Advertisements
Advertisements

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जशपुर के अध्यक्ष श्रीमती अनिता डहरिया के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जशपुर के सचिव श्री अमित जिन्दल द्वारा विगत दिवस बालक गृह जशपुर में जांच, विजिट कर विधिक सेवा शिविर का आयोजन किया गया। शिविरो के माध्यम से बताया कि नालसा (एसिड हमलो से पीडितो के लिए विधिक सेवाएँ) योजना, 2018 के सिद्धांतो के अनुसार एसिड हमलो से पीडितो को अनेक विधिक संरक्षण दिए गए है। भारतीय दण्ड संहिता अनुसार एसिड के प्रयोग से स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना तथा स्वेच्छया एसिड फेंकना या फेंकने का प्रयत्न करना दण्डनीय अपराध है।

अमित जिन्दल ने बताया कि छत्तीसगढ़ एसिड का विनियमन, प्रतिबंध, विक्रय एवं उपयोग अधिनियम, 2013 के अनुसार भी विधिक प्रयोजन से भिन्न एसिड का प्रयोग, क्रय, विक्रय अपराध है तथा माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय लक्ष्मी बनाम भारत संघ में एसिड की खुलेआम बिकी को विनियमित करने के संबंध में अनेक सिद्धांत दिए गए है। एसिड हमले के पीडितो को प्रतिकर प्रदान करने के बारे में भी विस्तार से बताया। किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) के अनुसार यदि किसी व्यक्ति या पुलिस अधिकारी या किसी संगठन या परिचर्या गृह या अस्पताल या प्रसूति गृह के अधिकारी को किसी ऐसे बच्चे का पता चलता है या उसका भारसाधन लेता है या वह बच्चा परित्यक्त या बिना परिवार का या अनाथ प्रतीत होता है तो उसका यह कर्तव्य है कि यात्रा के लिए आवश्यक समय को छोडकर 24 घण्टे के भीतर बालक कन्याण समिति या निकटतम थाने या बालबट्ट सेवाओ या बालक संरक्षण एकक को उक्त संबंध में इत्तिला देगा तथा बच्चे को रजिस्ट्रकृत बाल देखभाल संस्था को सौपेगा तथा ऐसी सूचना न देने पर धारा 34 के तहत छहः माह की अवधि के कारावास से या दस हजार रूपये के कारावास से दण्ड का प्रावधान है तथा बाल गृह स्थापित किया जाता है जिसमें बालको की देखरेख, उपचार, शिक्षा, प्रशिक्षण, विकास और पुर्नवास के लिए व्यवस्था की जाती है जिससे किशोर विकास से वंचित न रहे।

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!