कृषि विश्वविद्यालय में मनाई गई डॉ. अम्बेडकर जयंती : मानव कल्याण और सामाजिक समरसता में बाबासाहेब का योगदान अविस्मरणीय – कुलपति डॉ. गिरिश चंदेल

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आज भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पी भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती मनाई गई। कृषि महाविद्यालय रायपुर के सभागार में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने भारतीय संविधान की रचना में बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने आजीवन भारत में सामाजिक समरसता स्थापित करने और शोषितों, वंचितों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया। डॉ. अम्बेडकर मानव कल्याण और देश के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। डॉ. चंदेल ने बाबा साहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए विद्यार्थियों से बाबा साहेब के बताये मार्ग और आदर्शाें का अनुसारण कर मानव जाति तथा देश के कल्याण के लिए कार्य करने का आव्हान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. जी.के. श्रीवास्तव ने की। इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में आयोजित रंगोली, चित्रकला, स्कैचिंग, नारा लेखन एवं क्विज़ प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया।

भारतीय संविधान के शिल्पी बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर की 131वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने बाबा साहेब के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए भारतीय संविधान के निर्माण तथा देश में सामाजिक समरसता एवं बंधुत्व स्थापित करने में उनके योगदान को रेखांकित किया। कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री जी.के. निर्माम, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एम.पी. ठाकुर, कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. व्ही.के. पाण्डेय, संचालक अनुसंधान डॉ. पी.के. चन्द्राकर एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री रूखमणी रामटेके, श्री सुनील गणवीर तथा श्री अखिलेश बावनगडे़ ने बाबा साहेब की संघर्ष यात्रा एवं दलितो, शोषितों को सामाजिक न्याय दिलाने में उनके अथक प्रयासों का उल्लेख किया। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. पी.के. सागोड़े ने स्वागत भाषण दिया तथा आयोजन सचिव डॉ. पी.एल. जॉनसन ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं वैज्ञानिकगण तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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