ट्रिपलआईटी-नया रायपुर के छात्रों का चयन ‘गूगल समर ऑफ कोड इंटर्नशिप (GSoC’22)के लिए हुआ
May 27, 2022समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर
ट्रिपलआईटी नया रायपुर के तीन विद्यार्थियों का चयन गूगल ने अपने ‘गूगल समर ऑफ कोड इंटर्नशिप (GSoC’22) कार्यक्रम के लिए किया है। यह एक विश्वस्तर का कार्यक्रम है, जो ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के क्षेत्र में नए शिक्षार्थियों को लाने पर केंद्रित है।
गूगल के विभिन्न सॉफ्टवेयर के लिए काम करने के लिए वैश्विक स्तर पर चयनित 1209 शिक्षार्थियों में ट्रिपलआईटी नया रायपुर के दिव्यांश कुशवाहा, सौम्या रंजन पटनायक, और खुशी अग्रवाल शामिल हैं। दिव्यांश का चयन एन्ड्रॉयड सॉफ्टवेयर पर काम करने के लिए हुआ है, सौम्या लाइनक्स पर काम करेंगी, और खुशी कुपी के बैकएंड इंप्लीमेंटेशन के लिए काम करेंगी।
गूगल समर ऑफ कोड कार्यक्रम के तहत शिक्षार्थियों को मई और अगस्त के बीच एक ओपन-सोर्स ऑर्गेनाईज़ेशन के साथ उनके तीन-माह के प्रोग्रामिंग प्रोजेक्ट पर काम करने का अवसर मिलता है। इसमें भाग लेने वाले संस्थानों द्वारा शिक्षार्थियों को एक मेंटर उपलब्ध कराया जाता है, जो उन्हें रियल-वर्ल्ड के सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और तकनीकों से अवगत कराता है। शिक्षार्थियों को अपनी रुचि के क्षेत्र में काम करते हुए मासिक भत्ता भी प्राप्त होता है।
इंटर्नशिप की इस अवधि में शिक्षार्थियों को कोड तैयार करना होगा, और मेंटर्स द्वारा विद्यार्थियों की प्रगति का आकलन करने के लिए आयोजित दो मध्यावधि मूल्यांकनों में भाग लेना होगा।
गूगल समर ऑफ कोड प्रोग्राम के लिए चयन प्रक्रिया द्वारा विद्यार्थी एक या दो संस्थानों में अपने आवेदन जमा कर सकते हैं। आवेदन के साथ उन्हें यह विवरण भी देना होता है कि वो गर्मियों की अवधि (मई के मध्य से अगस्त के मध्य के बीच) में उस संगठन के लिए किस प्रोजेक्ट पर काम करना चाहते हैं। इसके साथ उन्हें अपने पूर्व अनुभव भी बताने होते हैं। इन विवरणों के आधार पर संस्थान सर्वश्रेष्ठ आवेदनों का चयन करते हैं। ओपन-सोर्स संस्थानों में योगदान देने के लिए संचार सबसे महत्वपूर्ण है और मेंटर इसमें मुख्य भूमिका निभाते हैं। मेंटर्स सही दिशा में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हैं।
इन शिक्षार्थियों को बधाई देते हुए डीन-एकेडेमिक्स, राजर्षि महापात्रा ने बताया कि ट्रिपलआईटी में शिक्षार्थियों को जटिल समस्याओं का समाधान करने और इस समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया जाता है। इन शिक्षार्थियों की सफलता हमारे इस फोकस का प्रमाण है।