कुष्ठ रोगियों की पहचान के लिए घर-घर जा रही स्वास्थ्य विभाग की टीम, 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर कुष्ठ जागरूकता दिवस
October 1, 2021चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 1.31 करोड़ लोगों की जांच में 1127 मामले मिले, 45 मरीजों की रिकंसट्रक्टिव सर्जरी
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो
रायपुर. राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में इसके रोगियों की पहचान और उनके इलाज की नियमित मॉनिटरिंग के लिए व्यापक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। प्रदेश से इस रोग के उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर दस्तक देकर कुष्ठ रोगियों की पहचान कर रही है। विशेष जांच शिविरों के माध्यम से भी कुष्ठ की जांच की जा रही है। ‘एक्शन प्लान फॉर कुष्ठ मुक्त छत्तीसगढ’ के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ द्वारा फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है।
नुक्कड़ नाटकों, बैनर, रैली व अन्य माध्यमों से भी कुष्ठ रोग के निदान के प्रति लोगों को जागरूक करने प्रदेश में 28 सितम्बर से 12 अक्टूबर तक व्यापक प्रचार-प्रसार अभियान “कुष्ठ सेवा एवं निदान पखवाडा” संचालित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा कुष्ठ रोगियों की सेवा को रेखांकित करने 2 अक्टूबर को उनकी जयंती कुष्ठ जागरूकता दिवस के रूप में भी मनाई जाती है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक्टिव केस डिटेक्शन एंड रेगुलर सर्विलेंस के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक प्रदेश के 25 जिलों में एक करोड़ 31 लाख 14 हजार 949 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। इनमें से 1127 लोगों में कुष्ठ रोग की पुष्टि हुई है। राज्य में मिले कुष्ठ के मरीजों का एन.एल.ई.पी. लेपट्रैक (मोबाइल बेस्ड एप्लीकेशन) के माध्यम से निगरानी और उनके इलाज का फॉलो-अप किया जा रहा है।
कुष्ठ रोग की पहचान के लिए इस वर्ष दुर्ग जिले में सर्वाधिक 16 लाख 43 हजार 809 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। रायपुर जिले में 13 लाख 22 हजार 800, बिलासपुर में नौ लाख 12 हजार 663, बलौदाबाजार-भाटापारा में नौ लाख छह हजार 701, जांजगीर-चांपा में आठ लाख 89 हजार 652, बालोद में आठ लाख 79 हजार 161, बेमेतरा में आठ लाख 20 हजार 930, धमतरी में सात लाख 44 हजार 529, कोरबा में छह लाख 99 हजार 414, सूरजपुर में छह लाख 44 हजार 569, महासमुंद में पांच लाख छह हजार 341, मुंगेली में चार लाख 50 हजार 373, कोरिया में चार लाख 38 हजार 650, सरगुजा में चार लाख 19 हजार 002, कांकेर में चार लाख 17 हजार 176, रायगढ़ में चार लाख 945, राजनांदगांव में दो लाख 76 हजार 755, गरियाबंद में दो लाख 36 हजार 643, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में एक लाख 78 हजार 488, बलरामपुर-रामानुजगंज में एक लाख 16 हजार 009, नारायणपुर में 87 हजार 418, बस्तर में 79 हजार 924, दंतेवाडा में 21 हजार 506, कबीरधाम में 20 हजार 990 और सुकमा में 501 लोगों की जांच की गई है।
कुष्ठ के मामलों की जांच के लिए इस साल 25 जिलों में किए गए स्क्रीनिंग में 1127 लोगों में इसकी पुष्टि हुई है। दुर्ग जिले में 227, बेमेतरा में 66, बालोद में 73, राजनांदगांव में 23, धमतरी में 15, जांजगीर-चांपा में 77, रायपुर में 87, बलौदाबाजार-भाटापारा में 81, गरियाबंद में 16, महासमुंद में 84, सरगुजा में 19, बिलासपुर में 24, मुंगेली में 50, कोरबा में 64, सूरजपुर में नौ, नारायणपुर में सात, कोरिया में 14, रायगढ में 100, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 11, कबीरधाम में तीन, बस्तर में छह और कांकेर में 18 कुष्ठ रोगी पाए गए हैं। चालू वित्तीय वर्ष में 761 मरीजों को एमसीआर चप्पल और 557 को सेल्फ केयर किट प्रदान किया गया है। रिकंसट्रक्टिव सर्जरी के लिए पात्र पाए गए 78 मरीजों में से 45 की सर्जरी की गयी है।