असम की तरह जशपुर जिले में दिखने लगे हैं चाय के बागान, लोकवाणी की 22वीं कड़ी में आज जनता से रूबरू हुए मुख्यमंत्री, किया जशपुर का उल्लेख

October 10, 2021 Off By Samdarshi News

स्थानीय टैलेंट, स्थानीय युवा और स्थानीय संसाधनों के उपयोग से तैयार हुआ विकास का छत्तीसगढ़ मॉडल-मुख्यमंत्री

स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करने में जिला प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका

जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह पर की बात

जशपुर जिला मुख्यालय के ग्रंथालय में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र छात्राओं ने लोकवाणी सुनी

समदर्शी न्यूज ब्यूरो

जशपुर. मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्थानीय टैलेंट, स्थानीय युवा और स्थानीय संसाधनों के उपयोग से हम विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल को और ज्यादा विस्तार देंगे। इससे छत्तीसगढ़ का हर क्षेत्र समृद्ध और खुशहाल होगा। मुख्यमंत्री आज प्रसारित मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 22 वीं कड़ी में जनता से जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह विषय पर बातचीत कर रहे थे। जशपुर विकास खंड के ग्रंथालय में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र छात्राओं ने लोकवाणी को सुना। मुख्यमंत्री की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी का प्रसारण आज आकाशवाणी के सभी केंद्रों, एफ.एम. रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चौनलों में किया गया।

श्री बघेल ने कहा कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करने में जिला प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डीएमएफ एवं मनरेगा से इसमें काफी मदद की जा सकती है। स्थानीय मौसम, मिट्टी और विशेषता को देखते हुए जिस तरह बीजापुर में मिर्ची की खेती का सपना साकार हो रहा है। वैसे ही अन्य जिलों में भी वहां की विशेषता के अनुसार बहुत से काम हो रहे हैं और इसमें बहुत बढ़ोत्तरी करने की संभावना है। जिला प्रशासन की पहल से अब जशपुर जिले में असम की तरह चाय के बागान दिखने लगे हैं। अबूझमाड़ में लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए गांवों का सर्वे कराया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा में अपने उद्बोधन की शुरूआत करते हुए प्रदेशवासियों को नवरात्रि, दशहरा, करवा चौथ, देवारी, गौरा-गौरी पूजा, मातर, गोवर्धन पूजा, छठ पर्व, भाई-दूज आदि त्यौहारों की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के चारों कोनो में देवी माई के बड़े-बड़े मंदिर है। दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी दाई, डोंगरगढ़ में बम्लेश्वरी दाई, रतनपुर में महामाया दाई, चंद्रपुर में चंद्रहासिनी दाई बिराजी हैं। नारी शक्ति के रूप में हम बेटियों की पूजा करते हैं और हमारे यहां कन्या भोज कराने की भी परंपरा है।

उन्होंने कहा कि बेटियों और नारियों के प्रति सम्मान भाव के कारण हमारे यहां वर्ष में दो बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। बेटियों और नारियों के प्रति सम्मान का यह भाव हमें पूरी जिंदगी निभाना है। यहीं सही मायने में छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा है। हमें अपनी परंपरा और संस्कृति की शिक्षा से अपने जीवन में उतारना है। राज्य सरकार ने दाई-दीदी के अधिकार और उनके मान-सम्मान को बढ़ाने का प्रयास किया है।

जशपुर जिले के कांटाबेल, बालाछापर और गुटरी गांव में 60 एकड़ रकबे में चाय के बागान तैयार

श्री बघेल ने जशपुर जिले में चाय की खेती से ग्रामीणों को मिल रहे लाभ का जिक्र करते हुए कहा कि असम की तरह अब जशपुर में भी चाय के बगान दिखने लगे हैं। इसके पीछे स्थानीय समुदाय की ताकत है। जशपुर जिले के चाय के बागान लोगों की आय का बड़ा जरिया बनेंगे। जशपुर विकासखण्ड के सारूडीह गांव  में   चाय की खेती हो रही है। लोकवाणी में जशपुर निवासी श्री अशोक तिर्की ने मुख्यमंत्री से जानना चाहा कि जशपुर में चाय की खेती सफल हो सकती है। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कहा कि संयुक्त वन प्रबंधन समिति सारूडीह के अंतर्गत स्व-सहायता समूह के अनुसूचित जनजाति के 16 परिवारों के सदस्यों से मिला जा सकता है, जिन्होंने जिला प्रशासन के मार्गदर्शन और अपनी मेहनत से 20 एकड़ क्षेत्र को चाय के बागान में बदल दिया है। यहां 20 एकड़ कृषि भूमि पर चाय का रोपण किया गया है। चाय रोपण के प्रबंधन एवं प्रसंस्करण में 2 महिला स्व-सहायता समूह जुड़े हैं। अब तो चाय रोपण से व्यापारिक स्तर पर ग्रीन टी एवं सी.टी.सी.टी का निर्माण किया जा रहा है। यहां निर्मित चाय की गुणवत्ता की जांच भी व्यावसायिक संस्थाओं से कराई गई है, जिसमें दोनों प्रकार की चाय को उत्तम गुणवत्ता का होना पाया गया है। इस चाय बागान में जैविक खेती को ही आधार बनाया गया है। इसके लिए हितग्राही परिवारों को उन्नत नस्ल का पशुधन भी उपलब्ध कराया गया है, जिससे उनको अतिरिक्त लाभ हो रहा है। इसी तरह मनोरा ब्लॉक में कांटाबेल, जशपुर ब्लॉक में बालाछापर और गुटरी में भी 60 एकड़ रकबे में चाय के बागान तैयार हो गए हैं। लोकवाणी सुनने  वाली श्रोताओं में जशपुर विकास खंड की अमरज्योती ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब जशपुर जिले के किसान भी अन्य फसलों को लेने के लिए जागरूक हो रहे हैं। जशपुर जिले का प्राकृतिक वातावरण चाय की खेती के लिए बहुत ही अनुकूल है द्य साथ ही इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिलता है।