मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रीनगर में छत्तीसगढ़ के बंधक श्रमिकों के मामले पर त्वरित कार्रवाई के दिए निर्देश, श्रीनगर में काम न करने के इच्छुक श्रमिकों को छत्तीसगढ़ वापस लाया जाएगा

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रीनगर के बडगाम जिले में छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा व सक्ती जिले के 60-65 श्रमिकों को बंधक बनाए जाने का मामला संज्ञान में आने पर जिला प्रशासन जांजगीर-चांपा को त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के परिपालन में जांजगीर-चांपा के कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने मामले की जांच और बंधक श्रमिकों को आवश्यक मदद पहुंचाने की कार्रवाई की है। जिला प्रशासन जांजगीर-चापा एवं जिला प्रशासन बडगाम (श्रीनगर) की संयुक्त पहल से वहां काम न करने के इच्छुक श्रमिकों को वापस लाने की पहल शुरू कर दी गई है। 

गौरतलब है कि जिला जांजगीर-चांपा व जिला-सक्ती (छ.ग) के लगभग 60-65 श्रमिक जम्मू कश्मीर के डोंगारगांव चुटरू, जिला-बडगाम (श्रीनगर) के ईट भट्ठे में अधिक आय की लालसा से कार्य करने गये थे तथा श्रमिकों को भट्ठा मालिक/जमीदार द्वारा मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने जिला प्रशासन जांजगीर-चांपा को प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

इसके परिपालन में जिला प्रशासन जांजगीर-चांपा द्वारा बडगाम (श्रीनगर) के प्रशासन से सम्पर्क किया गया तथा उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया। जिला प्रशासन बडगाम द्वारा एक संयुक्त टीम जिसमें प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट, सहायक श्रमायुक्त तथा श्रेत्रीय पुलिस प्रशासन की बनाई गई। इस संयुक्त टीम के द्वारा शिकायत पर 13 सितम्बर 2022 को जाँच की गई तथा जिला प्रशासन जांजगीर-चांपा को वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया। संयुक्त टीम के प्रतिवेदन अनुसार श्रमिक बंधक नहीं थे, स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे थे। पैसों को लेकर कुछ विवाद अवश्य था जिसका प्रशासन के हस्तक्षेप से समाधान करा दिया गया है। 25-30 श्रमिक अपने राज्य वापस जाना चाहते है। पंचनामा तैयार कर श्रमिकों को गृह राज्य छत्तीसगढ़ भेजने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।

जिला प्रशासन जांजगीर-चांपा ने सभी श्रमिकों से अपील की है कि ज्यादा मजदूरी पाने की लालसा में अन्य राज्यों में जाने के बजाय स्थानीय स्तर पर रोजगार व्यवसाय से जुड़कर आजीविका का साधन प्राप्त करें। स्थानीय स्तर पर रोजगार के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है।

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