रायगढ़ सांसद श्रीमती गोमती साय का प्रयास हुआ सफल : छत्तीसगढ़ की 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने केंद्रीय कैबिनेट की मिली मंजूरी

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प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय अनुसूचित जनजाति मंत्री अर्जुन मुंडा सहित मंत्री-मंडल के प्रति सांसद ने व्यक्त किया आभार

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, जशपुर/फरसाबहार

छत्तीसगढ़ राज्य के संबंध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत अधिसूचित अनुसूचित जनजाति (ST ) सूची में सम्मिलित करने केंद्रीय कैबिनेट में मंजूरी दी गई। रायगढ़ सांसद श्रीमती गोमती साय ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय अनुसूचित जनजाति मंत्री अर्जुन मुंडा सहित मंत्री मंडल के प्रति आभार व्यक्त किया।

रायगढ़ सांसद श्रीमती गोमती साय ने अनुसूचित जनजाति विभाग मंत्री अर्जुन मुंडा से मिल कर प्रयास किया था कि छत्तीसगढ़ राज्य के 12 जाति समुदायों को छ.ग.राज्य के अनुसूचित जनजातियों की सूची में सम्मिलित करने हेतु छ ग.शासन, रायपुर द्वारा समय-समय पर जनजातिय कार्य मंत्रालय द्वारा भारत सरकार को प्रस्ताव प्रेषित किया गया है। उपरोक्त प्रस्ताव में मात्रात्मक त्रुटि सहित समावेश/संशोधन किये जाने हेतु प्रस्ताव किया गया है। जिसका परीक्षण उपरांत भारत के जनगणना महानिदेशक (RGI ) द्वारा अनुमोदन किया जा चुका है एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातिय आयोग (NCST ) भारत सरकार नई दिल्ली की बैठक संख्या 122 दिनांक 11 दिसंबर 2019 को अनुमोदन छ.ग.राज्य के संबंध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत अधिसूचित अनुसूचित जनजाति (ST ) की सूची में संशोधन/समावेश कर छ.ग.राज्य में 12 जाति समुदायों को सम्मिलित करने हेतु क्रमश : 1- भारिया, भूमिया (भूईया, भूईयों. भूवा. भूरया, भिया) 2- धनवार (धनुहार, धनुवार) 3- नगेसिया (नागासिया) के समानार्थी किसान 4- सौरा, सवर, सवरा , संवरा 5- धांगड़ 6- विझिया 7- कोड़ाकू, कोडाकू 8- कोंध, कोंद 9- भारिया (भरिया) 10-पंडो, पन्डो, पण्डो 11- गोंड (गोड़) 12- गदबा उल्लेखनीय है।

उपरोक्त समुदायों का भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2019 में प्रस्ताव अनुमोदित किया गया, परन्तु आज पर्यन्त तक जनजाति कार्य मंत्रालय द्वारा विधेयक संसद में प्रस्तुत कर प्रस्ताव स्वीकृति प्रदान नहीं किया गया है। जिसके कारण छग राज्य के उक्त समुदायों के लगभग 60 लाख लोगों को अनुसूचित जनजाति को प्राप्त होने वाली संवैधानिक अधिकार के लाभों से वंचित है, साथ ही यह समुदाय पिछले 18 वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, नौकरी, उच्च शिक्षा (मेडिकल इंजीनियरिंग) व राजनीतिक अधिकारों के लाभ से वंचित हो रहे है। सन् 2013 से अनुसूचित जनजाति संशोधन अधिनियम नही लाया गया है। अतः छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित जनजाति के सूची में उपरोक्त समुदायों को समावेश/संशोधन किये जाने हेतु संसद में विधेयक लाकर प्रस्ताव स्वीकृत किये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाए।

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