वित्त सचिव द्वारा लंबित पेंशन एवं सामान्य भविष्य निधि के ऋणात्मक शेष वाले प्रकरणों में समीक्षा, महालेखाकार कार्यालय में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ स्थापित

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

वित्त सचिव श्रीमती अलरमेलमंगई डी. द्वारा संचालक, कोष लेखा एवं पेंशन, समस्त संभागीय संयुक्त संचालक एवं वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ लंबित पेंशन प्रकरणों एवं सामान्य भविष्य निधि के ऋणात्मक शेष के संबंध में समीक्षा बैठक ली गई। समीक्षा बैठक में उप महालेखाकार श्रीमती जी.एलीलरसी एवं महालेखाकार कार्यालय के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

महालेखाकार कार्यालय द्वारा वर्ष 2018 में जीपीएफ ऑनलाईन होने के पूर्व की अवधि के ऋणात्मक शेष के प्रकरण लंबित होने के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई।  आहरण-संवितरण अधिकारियों द्वारा प्रकरणों के निराकरण पर समुचित ध्यान नहीं दिए जाने के बारे में अवगत कराया गया। इस संबंध में सचिव वित्त द्वारा महालेखाकार कार्यालय एवं संभागीय संयुक्त संचालक, पेंशन के समन्वय से जिला स्तर पर सभी डीडीओ हेतु कार्यशाला आयोजित करने के लिए निर्देशित किया गया। प्रकरण की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए ई-कोष पोर्टल पर महालेखाकार कार्यालय की शिकायत निवारण प्रणाली एवं सम्पर्क दूरभाष क्रमांक सभी अभिदाताओं एवं डीडीओ के लिए उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में महालेखाकार कार्यालय के अधिकारियों द्वारा हेल्पलाईन 0771-2281499, 094255-27697 तथा महालेखाकार कार्यालय में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ क्रमांक-123 (जीपीएफ अभिदाताओं हेतु हेल्प डेस्क) उपलब्ध कराया गया।

सचिव वित्त द्वारा सभी संभागीय पेंशन कार्यालय में प्राप्त पेंशन प्रकरण एवं उनके निराकरण की समीक्षा की गई। संभागीय अधिकारियों को इस संबंध में कड़ी फटकार लगाई गई तथा चेतावनी दी गई कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन प्रकरणों में अनावश्यक विलंब के प्रति जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। इसके लिए पेंशन प्रकरणों का परीक्षण कर एक ही बार में समस्त आपत्तियां दर्ज की जाए। सामान्य आपत्तियों के संबंध में डीडीओ से समन्वय कर उनका निराकरण पेंशन कार्यालय में ही कराया जाए। ऐसे ऑनलाईन प्रकरण जिनमें पेंशन प्रकरण भौतिक रूप से नहीं प्रेषित किया गया है, के संबंध में संबंधित विभाग के संभागीय अधिकारियों को अर्द्धशासकीय पत्र लिखकर प्रकरण मंगाने की कार्यवाही की जाए। साथ ही आगामी समीक्षा बैठक के समय वर्तमान में लंबित प्रकरणों का शत्-प्रतिशत निराकरण कर उपस्थित होने के निर्देश दिए गए।

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