पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रेस वार्ता लेकर भूपेश बघेल सरकार को सभी मोर्चे पर असफल बताते हुए, प्रदेश की बदहाली के लिए ठहराया जिम्मेदार, सड़कों की बदहाली के लिए खड़ा किया कटघरे में

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चुनाव घोषणा–पत्र के वादों से मुकरने का लगाया गंभीर आरोप   

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

सड़क

आज पूरे प्रदेश में सड़कों की जो हालत है, उसे जनता अपनी आंखों से देख रही है। आवागमन की सुविधा को भूपेश बघेल की सरकार ने पूरी तरह से बर्बाद करके रख दिया है और जनता लबरा के डबरा कहने पर मजबूर है। आज हालत यह है कि मुख्यमंत्री बघेल भी अपनी डांट मुलाकात के लिए हेलीकॉप्टर पर निर्भर हैं।  उनके पास भी सड़कों पर चलने का साहस नहीं है, क्योंकि वो यह बात जानते हैं कि पिछले 4 सालों में नई सड़क बनाना तो दूर उन्होंने पुरानी सड़कों का प्रबंधन भी ठीक से नहीं किया है।

2018 तक हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना अंतर्गत 3250 किमी सड़क निर्माण किया और 1 हजार 155 सड़कें बनाई हैं लेकिन पिछले 4 साल में भुपेश बघेल ने इस योजना में कितना कार्य किया है ?

मुख्यमंत्री ग्राम गौरव पथ योजना में 6 हजार 211 गौरव पथ निर्माण, मल्टीलेन सड़क की लंबाई 31 किमी से 30 गुना बढ़ाकर 934 किमी की गई।

हमारी सरकार ने 2 लेन सड़क की लंबाई 1 हजार 251 किमी से 5 गुना बढ़ाकर 6 हजार 271 किमी की, हमने प्रदेश के 124 ब्लॉक मुख्यालय 7 मीटर चैड़ी सड़क से जोड़े।

इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2018-19 में हमारे सरकार के अंतिम बजट में लोक निर्माण विभाग को प्रदेश में विकास के लिए 7 हजार 187 करोड़ का बजट दिया गया वहीं यदि आप 4 वर्षों की कांग्रेस सरकार के बाद इनका बजट देखें तो 2022-23 में लोक निर्माण विभाग का बजट घटकर 6 हजार 634 करोड़ कर दिया गया है।

जिला सड़क निर्माण के लिए 2018-19 में भाजपा सरकार ने 1047 करोड़ की राशि दी थी, 4 साल बाद काग्रेस सरकार ने इसे घटाकर 349 करोड़ कर दिया।

यहीं हाल राज्य सड़को के बजट का हैं। सड़को को बना देने से काम नहीं चलता हैं, उसका मरम्मत और रखरखाव करना होता हैं। 2018 में सड़कों के डामरीकरण के लिए हमारी सरकार नें 28 करोड़ दिए और भूपेश सरकार ने 4 सालों में सिर्फ 13 करोड़ दिए।

सड़कों के नवीनिकरण के लिए भाजपा सरकार ने 2018 में 520 करोड रूपये विभाग को दिए, कांग्रेस सरकार ने 3 वर्षों में इसे एक चैथाई कर दिया और 2022-23 में केवल 138 करोड़ का प्रावधान किया।

यहीं हाल ग्रामीण सड़कों की मरम्मत का है, हमारी सरकार ने 2018-19 में ग्रामीण सड़कों के संधारण के लिए 436 करोड़ का प्रावाधान किया था, वहीं कांग्रेस सरकार ने इसे 3 वर्षों में 125 करोड़ कर दिया।

15 वर्षों में छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही, इस डेढ़ दशक में हमारी सरकार ने पूरे प्रदेश में 60 हजार किमी सड़कों का जाल बिछाया और सुदूर अंचलों को भी सड़क मार्ग से जोड़कर मुख्यधारा में शामिल किया लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र ही उनकी प्राथमिकता है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जनता के सामने आकर जवाब दें कि उन्होंने पाटन की तुलना में किस विधानसभा में सड़क के लिए बजट दिया है? क्या भूपेश बघेल पाटन को ही पूरा छत्तीसगढ़ मान बैठे हैं?? क्या बस्तर  और सरगुजा के आदिवासी भाइयों को सड़क की जरूरत नहीं है ?

बस्तर संभाग की 12 विधानसभाओं हेतु वर्ष 2019 से वर्ष 2022 तक बजटेड कार्य, मेंटेनेंस कार्य एवं मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना के तहत सरकार द्वारा लगभग 1300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, वहीं सरगुजा संभाग 14 विधानसभाओं हेतु लगभग 1730 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, लेकिन मित्रों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि प्रदेश की सिर्फ एक विधानसभा जिसका नाम पाटन है, उसके लिए पिछले 4 वर्षों में बजटेड कार्य, मेंटेनेंस कार्य एवं मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना हेतु 1750 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। यह है भूपेश बघेल जी के विकास की सोच कि  बस्तर संभाग और सरगुजा संभाग एक तरफ और पाटन विधानसभा एक तरफ।

भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की यह हालत कर दी है कि आज बरसात के बाद सड़कें कीचड़ में बदल जा रही हैं। आवागमन ठप्प हो रहा है, प्रदेश की व्यवस्था प्रभावित हो रही है इस पूरे मामले में कौन जिम्मेदार है ?

4 वर्षों तक सत्ता में रहते हुए आखिर भूपेश बघेल ने कितनी नई सड़कें बनाई हैं, कितनी सड़कों का संधारण किया ? अगर भूपेश बघेल ने सड़कें बनाई होती तो उन्हें हेलीकॉप्टर से डांट मुलाकात करने की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि वो सड़क पर चलते हुए लोगों से मुलाकात करते लेकिन आज हालत यह है कि वो जहां कहीं जमीन पर दिखाई दे जाते हैं वहां जनता उनके सामने सड़क की मांग लिए खड़ी होती है और मुख्यमंत्री बघेल अपना मुंह छिपा कर हेलीकॉप्टर से निकल जाते हैं।

आज प्रदेश में सड़कों की जो हालत है उसे कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी स्वीकार कर रहा है,आप विचार कीजिए की राष्ट्रीय कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी छत्तीसगढ क्यों नहीं आ रहे हैं।क्योंकि राहुल गांधी यह बात जानते हैं कि छत्तीसगढ़ की सड़कों की क्या दशा है। इसीलिए उन्होंने छत्तीसगढ़ को भारत जोड़ो यात्रा से अलग रखा है।

शराबबंदी

आज पूरी कांग्रेस पार्टी शराबबंदी के मुद्दे पर मुंह छिपाकर घूम रही है, कभी कहते हैं कि हमनें कसम नहीं खाई और कभी कहते हैं कि शराबबंदी लागू करना संभव नहीं है।

यह वही कांग्रेस पार्टी है जिसने प्रदेश की माताओं-बहनों से जाकर यह पूछा था कि उन्हें कांग्रेस से क्या चाहिए, जब महिलाओं ने शराबबंदी की बात कही तो उसे कांग्रेस पार्टी ने जन-घोषणा पत्र में शामिल भी कर लिया लेकिन आज भूपेश बघेल और उनकी सरके अपने वादे से मुकर रही है।

गंगाजल सामने रखकर, डोंगरगढ़ में माता बम्लेश्वरी के धाम से जन घोषणा-पत्र का वादा करने वाली इस कांग्रेस सरकार ने नवरात्रि के पावन पर्व पर शराबबंदी के मुद्दे से पीछे हटते हुए ना केवल बमलेश्वरी माता और गंगा मैया का अपमान किया है बल्कि छत्तीसगढ़ महतारी को भी अपमानित करने का कार्य किया है। नवरात्र के दौरान 3 माताओं को अपमानित करने वाली यह कांग्रेस पार्टी अब ज्यादा दिनों की मेहमान नहीं है।

हकीकत यह है कि जिसे भूपेश बघेल और उनकी सरकार चुनाव से पहले “जन घोषणा पत्र” कहती थी आज वह भूपेश बघेल का “मन घोषणा पत्र” बनकर रह गया है, जिसमें वो जब चाहे कोई वादा जोड़ लें और जब चाहे कोई वादा निकाल सकते हैं।

शराबियों और जुआरियों की संरक्षक बन चुकी इस सरकार की मंशा कभी भी शराबबंदी की नहीं रही है, बल्कि इस सरकार ने तो वैश्विक महामारी के दौरान शराब की ऑनलाइन डिलीवरी करवाई है।

अभी कुछ दिनों पहले झारखंड के विधायकों के लिए भी इस सरकार ने शराब सुविधा उपलब्ध करवाई थी, ऐसी निर्लज्ज और झूठी भूपेश बघेल की सरकार से प्रदेश की जनता को अब कोई शराबबंदी की कोई उम्मीद नहीं है। मुख्यमंत्री बघेल को अब जनता के बीच आकर सार्वजनिक रूप से जन घोषणा-पत्र से शराबबंदी का मुद्दा निकाल देना चाहिए।

वनवासियों के अधिकार का हनन

भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने वनवासी भाइयों बहनों को उनके अधिकार से वंचित करने का कार्य किया है वर्ष 2012 में हमारी सरकार ने विधेयक लाकर वनवासी युवाओं को 32 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए हमने मजबूती से प्रयास किए थे लेकिन आज भूपेश बघेल की नीतियों के कारण बनवासी युवाओं का यह अधिकार 20 प्रतिशत तक सीमित हो रहा है और वनवासी युवा सड़क पर इस सरकार का विरोध कर रहे हैं।

पिछले दिनों आदिवासी समाज के लोगों ने मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि शिक्षा प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत 2020-21 में सिर्फ 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को 75 प्रतिशत एवं उससे अधिक अंक प्राप्त करने पर 25 हजार रूपये राशि देना प्रस्तावित है। जिसमें राज्य भर से आये हुए 7 हजार पात्र आवेदन संघ मुख्यालय रायपुर में लंबित रखे गये हैं।

इसके साथ ही तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों के लिए शहीद महेन्द्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सुरक्षा योजना का भी जनवरी 2022 से भुगतान नहीं हो रहा है, क्योंकि सरकार ने अपना हिस्सा अभी तक नहीं दिया है।

जहां तक बोनस की बात है तो राज्य में वनवासी साथियों की लगभग 10 करोड़ से ज्यादा राशि अभी तक नहीं मिली है। सरकार द्वारा कभी आईएफसी कोड बदलने, कभी खाता संबंधी अड़चन का बहाना दिया जा रहा है। सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा आदि क्षेत्रों में नगद भुगतान के प्रावधान के बावजूद राशि नहीं दी गई है।

यह कांग्रेस सरकार न केवल विकास विरोधी है बल्कि वनवासी विरोधी भी है, तभी आज इतने समय के बाद भी वनवासियों को उनके अधिकारों से वंचित रखकर भूपेश बघेल उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। आज दफ्तरों के चक्कर लगा रहे वनवासी आक्रोश में हैं और उनका यह आक्रोश भूपेश बघेल की सरकार को सत्ता से उठा कर बाहर का रास्ता दिखा देगा।

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