सागर जोशी, समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो
जशपुर. जिला मुख्यालय जशपुर स्थित रक्षित केन्द्र जशपुर में आयोजित ”पुलिस स्मृति दिवस“ के कार्यक्रम में जशपुर विधायक विनय भगत, पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल (भा.पु.से.), सीआरपीएफ कमांडेंट 81 बटालियन संजीव कुमार, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जशपुर सुश्री सुनीता साहू, सीजेएम मनीष दुबे, एसडीएम जशपुरयोगेन्द्र श्रीवास, एडीएम आई.एल.ठाकुर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती प्रतिभा पाण्डेय, पुलिस अनुविभागीय अधिकारी कुनकुरी मनीष कुंवर, उप पुलिस अधीक्षक सिरिल एक्का, रक्षित निरीक्षक विमलेश देवांगन समस्त थाना व चौकी प्रभारी, पत्रकारगण एवं शहीद के परिवारजन उपस्थित थे।
परेड में जिला पुलिस एवं छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के 2 प्लाटून जिनका कमांड रक्षित निरीक्षक विमलेश देवांगन एवं निरीक्षक संतलाल आयाम के द्वारा किया गया। गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में पुलिस की टुकड़ी द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसकी सलामी पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने ली। जिसके उपरांत पूरे भारत मे दिनांक 1 सितम्बर 2020 से 31 अगस्त 2021 तक कर्तव्य की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले कुल 377 शहीदों के नाम का स्मरण कर स्मारक पर पुष्प अर्पित किया गया।
क्यों मनाया जाता है पुलिस शहीद दिवस ?
गौरतलब है कि आज से 61 वर्ष पहले अक्टूबर 1959 में लद्दाख के दुर्गम क्षेत्र में भारतीय पुलिस की एक छोटी टुकड़ी के जवानों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे तभी से प्रति वर्ष 21 अक्टूबर को देश के कोने कोने में दिवंगत शूरवीरों की स्मृति में पुलिस शहीद दिवस पर परेड़ का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर जशपुर विधायक ने शहीदों के परिजन से मिलकर उनका हाल जाना।
कार्यक्रम के उपरांत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा रक्षित केंद्र के सभाकक्ष में शहीद के परिवार से रूबरू होने के लिए मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसमें सभी शहीदों के परिजनो के समस्या एवं व्यथा को सुनकर कुछ व्यथा को मौके पर ही निराकरण किया गया, एवं कुछ व्यथा को संबंधित अधिकारी को तत्काल निराकरण करने हेतु निर्देशित किया गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने शहीद के परिजनों से वार्तालाप किया कि हम सब एक परिवार के समान हैं, अपने आपको कभी अकेला न समझें, किसी भी किस्म की पारिवारिक, व्यक्तिगत अथवा आर्थिक समस्या हो तो अवगत करायें। समस्या के समाधान का सकारात्मक प्रयास निश्चित रूप से किया जावेगा। इसके पश्चात् शहीदों के परिजनों को पुलिस लाईन में भोजन कराया गया, और उन्हें ससम्मान उनके गन्तव्य स्थान तक पहुंचाया गया।