लीगल सर्विस डे पर विधिक साक्षरता शिविरों की हुआ आयोजन

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, अम्बिकापुर

विधिक सेवा दिवस के उपलक्ष्य में बुधवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा जिला व सत्र न्यायाधीश श्री आर०बी०घोरे के मार्गदर्शन में सचिव श्री अमित जिंदल के द्वारा साक्षरता शिविरों का आयोजन किया गया। प्रथम कार्यक्रम का आयोजन संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय ला डिपार्टमेन्ट यू.टी.टी. अम्बिकापुर में हुआ। दूसरे कार्यक्रम का आयोजन न्यायालय परिसर अम्बिकापुर में हुआ। इन कार्यक्रमों में श्री जिंदल ने लीगल सर्विस डे की बधाई देते हुए बताया कि 9 नवंबर को लीगल सर्विस डे मनाया जाता है। सभी की न्याय तक पहुंच हो इस दिशा में सबसे पहला कदम 1949 में न्यायमूर्ति भगवती की अध्यक्षता में बाम्बे समिति का गठन से हुआ। समिति ने इस बात की सिफारिश की कि लोगों तक कानूनी सहायता पहुंचाना राज्य सरकार का दायित्व है। पश्चिम बंगाल में सर हैरिस की अध्यक्षता में बनी समिति ने एक तीन सदस्यीय संस्थागत संरचना बनाने की बात की गई जो ऐसे व्यक्तियों को कानूनी सहायता पहुंचाए जिन्हें पांच साल या उससे अधिक या मौत की सजा मिली हो। सन् 1958 में केरल में केरल रूल्स 1958 के तहत गरीब, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों के कोर्ट केस का खर्चा सरकार द्वारा उठाए जाने का प्रावधान किया गया। भारत सरकार के 14 वें विधि आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट में मुफ्त कानूनी सहायता का पुरजोर समर्थन किया। कानूनी सहायता देने की बात तब राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी थी। 1960 में केन्द्र सरकार द्वारा लीगल एड की रूपरेखा तैयार की गई जिसके तहत प्रदेश सरकारों को अपनी स्कीम तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। 1962 में हुए तीसरे अखिल भारतीय अधिवक्ता सम्मेलन में भी मुफ्त कानूनी सहायता के मुद्दे पर विचार विमर्श किया गया। परंतु लक्ष्य दूर होने से 1970 में नेशनल कान्फ्रेंस आन लीगल एड 1970 में पहली बार यह बात कही गई कि मुफ्त में कानूनी सहायता प्रदान कराना राज्य सरकार का दायित्व बन जाए, ठीक उसी समय न्यायमूर्ति पी एन भगवती की अध्यक्षता में बनी गुजरात समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कानूनी सहायता को दान के रूप में नहीं अधिकार के रूप में देखना चाहिए। अंतोगत्वा भारत में सबको समान रूप से न्याय का अधिकार प्राप्त हो इस उद्देश्य से वर्ष 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 पारित किया गया, जो 09 नवंबर 1995 से लागू हुआ। जिसके मूलभूत उददेश्यों के तहत ही आज तालुका स्तर से लेकर उच्चतम न्यायालय के स्तर तक मुफ्त विधिक सहायता प्रदान की जाती है। श्री जिन्दल ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को यदि विधिक सहायता चाहिए तो बिना किसी संकोच के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बिकापुर के कार्यालय में आ सकता है उसके आवेदन तैयार करने तक में प्राधिकरण सहायता करता है और उसे उचित सलाह भी दी जाती है।

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