नवजात शिशुओं में श्वसन की बीमारी का एक्सरे के जरिए प्रारंभिक अवस्था में पहचान सम्भव : डॉ. कुशालजीत सिंह सोढ़ी
November 27, 2022बाल चिकित्सा रेडियोलॉजी पर राष्ट्रीय स्तर के सीएमई एवं कॉन्फ्रेंस का आयोजन
आईआरआईए सीजी चैप्टर की मेजबानी में आयोजित हो रहा है दो दिवसीय कार्यक्रम
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर
इंडियन कॉलेज ऑफ रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग द्वारा फाफाडीह स्थित होटल सेलिब्रेशन में आयोजित डॉ. राजेंद्र राव सीएमई एवं कॉन्फ्रेंस के पहले दिन शनिवार को डॉ. एस.बी. एस. नेताम ने सिकल सेल के रोगी में ट्रांसक्रेनियल डॉप्लर विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि सिकलसेल बीमारी में मस्तिष्क की नसों में होने वाले परिवर्तन को सोनोग्राफी के द्वारा पता लगाया जा सकता है। सिकल सेल में एमसीए वेसल की वेलोसिटी को ट्रेस करके, मस्तिष्क की नसों में होने वाले सिकुड़न के आधार पर प्रारंभिक अवस्था में ही रोग को पहचान सकते हैं। इस रोग में नसों में सिकुड़न आते जाती है और ब्लड सप्लाई कम होते जाता है।
बाल चिकित्सा में बी स्कैन की भूमिका पर व्याख्यान देते हुए सीनियर रेडियोलॉजिस्ट एवं आईआरआईए सीजी चैप्टर के सचिव डॉक्टर आनंद जायसवाल ने बताया कि कई बच्चों के आंखों में ट्यूमर होता है, कई बच्चों के आँखों के अंदर खून का रिसाव हो जाता है, नवजात मोतियाबिंद हो जाता है, हेमेंजियोमा (नसों का गुच्छा) बन जाता है उसको बी-स्कैन अल्ट्रासोनोग्राफी (यूएसजी) के ज़रिए पता लगा सकते हैं। यह नेत्रगोलक के पीछे के हिस्से के घावों के निदान के लिए एक सरल प्रक्रिया है। रेटिना डिटेचमेंट, रेटिनोब्लास्टोमा जैसी सामान्य स्थितियों का सटीक मूल्यांकन इस पद्धति से किया जा सकता है।
पीजीआई चंडीगढ़ से आए डॉ. कुशाल जीत सिंह सोढ़ी ने नियोनेटल रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेशन के विषय में बताया कि नवजात शिशु में होने वाले सांसों की समस्या को एक्स रे के द्वारा पता लगा कर समय पर इलाज किया जा सकता है। समय से पूर्व पैदा होने वाले नवजात शिशुओं के फेफड़ों में सरफेक्टेन्ट नहीं बनता है अर्थात सरफेक्टेन्ट की कमी होती है जिसके कारण उनको हाइलाइन मेम्ब्रेन डिजीज होती है। इस बीमारी की वजह से उनके फेफड़े में सिकुड़न रहती है जिसे एक्सरे के माध्यम से पता लगाकर प्रारंभिक अवस्था में ही ठीक किया जा सकता है।
कल के वैज्ञानिक सत्र में पीडियाट्रिक सीएनएस इंफेक्शन, पीडियाट्रिक न्यूरोरेडियोलॉजी, गैलन विकृति की नस इमेजिंग और उपचार सिद्धांत जैसे विषयों पर डॉ. हर्षवर्धन जैन, डॉ. चिराग के. आहूजा, डॉ. निलय निम्बालकारी जैसे विशेषज्ञ व्याख्यान देंगे।