राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव : राज्य सरकार की योजनाओं से वन क्षेत्र की पर्यटन क्षेत्र के रूप बन रही पहचान

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर, राज्य सरकार की योजनाओं से वन क्षेत्र की पहचान पर्यटन के रूप में होने लगी है। राज्य के वनवासी क्षेत्र अब अपने प्राकृतिक संसाधनों के कारण पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है। यह बात राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव परिसर पर संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित कॉनक्लेव में आदिवासी क्षेत्रों के विकास और राज्य सरकार की योजनाओं की प्रगति को लेकर परिचर्चा में उभरकर आई। परिचर्चा में बताया गया कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से स्थानीय युवाओं को शिक्षा और ग्रामीण विकास से जोड़ने के लिए योजनाएं सफल हो रही हैं। कॉनक्लेव में कोण्डागांव कलेक्टर पुष्पेन्द्र मीणा, बस्तर कलेक्टर रजत बंसल और सरगुजा कलेक्टर संजीव झा भी शामिल हुए।

बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि बादल संस्था के माध्यम से स्थानीय लोगों को 15 से 45 दिन के व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर स्व-रोजगार के लिए तैयार किया जा रहा है। युवोदय कार्यक्रम के तहत 3 हजार युवाओं को जोड़कर समाज के विकास के लिए और स्थानीय समस्याओं के निराकरण के लिए कार्य किया जा रहा है। जिला प्रशासन स्थानीय लोगों से मिलकर कार्य करे तो निश्चित ही सफलता मिलती है। बस्तर अब एयर सर्विस से जुड़ चुका है। प्रतिदिन पर्याप्त संख्या में पैसेंजर मिलने से वायु सेवा नियमित संचालित है। सरगुजा कलेक्टर ने बताया कि राज्य सरकार की राम वन गमन परियोजना की शुरूआत सरगुजा जिले के हरचौका से हुई है, जिसके कारण से पर्यटन क्षेत्र के रूप में भी विकसित हो रही है। इसके अलावा 21 वाटरफाल को भी जिला प्रशासन के माध्यम से विकसित किया जा रहा है। स्थानीय परम्परा और कला को भी संरक्षित करने के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल एडवेंचर्स स्पोर्ट्स को भी डेव्हलप किया जा रहा है। कोण्डागांव कलेक्टर पुष्पेन्द्र मीणा ने भी जिले में किए जा रहे नवाचार के बारे में जानकारी दी।

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