कांग्रेस की नाकामी छुपाने नया तरीका है रैली, सवालों से भागने का नया हथकंडा है रैली – विकास मरकाम

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प्रश्नों का जवाब देने से बचने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनाया रैली का रास्ता

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

रायपुर :  भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम ने कांग्रेस के राजभवन घेराव को नौटंकी करार देते हुए कहा- विपक्ष के सवालों के जवाब देने के बजाए राजभवन को निशाने पर लेकर मुख्यमंत्री नौटंकी कर रहे हैं। लंबित भर्ती/नियुक्ति के सवाल भेंट मुलाकात में युवाओं द्वारा पूछे जाने पर भी जवाब देने के बजाए डांट फटकार के बैठा देते है। भूपेश बघेल जी ! आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में आप कुछ कहते हो, विधानसभा में कुछ और मीडिया में कुछ अलग ही बयान देते हो, या तो आप अपने ही में स्पष्ट नहीं हैं या जान बूझ कर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे हो| नीतिगत मामले में उचित उपाय निकालने की अपनी नाकामी को छुपाने के लिए सरकार में रहते हुए भी अराजक रवैया केवल नौटंकी मात्र है।

भूपेश बघेल जी, आरक्षण के मुद्दे को कांग्रेस बनाम भाजपा विवाद बनाने के बजाय संवैधानिक नजरिए से देखें और कुछ अनुत्तरित प्रश्नों का जवाब दें –

1. आरक्षण संशोधन अधिनियम 2011 को अपास्त करवाने वाले याचिकाकर्ता के. पी. खांडे को आपने प्रमुख आयोग का अध्यक्ष क्यों बनाया ?

2. सुप्रीम कोर्ट में वादी भी प्रदेश सरकार और प्रतिवादी भी प्रदेश सरकार का प्रतिनिधि तो फिर सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट हियरिंग करवा कर अंतरिम राहत लेकर विभिन्न भर्तियों में आदिवासी वर्ग के हो रहे नुकसान को रोकने की कोशिश क्यों नहीं ?

3. सुप्रीम कोर्ट और मीडिया में आप कहते है आरक्षण शून्य हो चुका है जबकि विधेयक के प्रस्ताव में आप मार्च 2012 के पूर्व के आरक्षण फार्मूले के लागू होने की बात करते हैं। क्यों नहीं बताते कि दोनों में से किस संवैधानिक संस्था में लिखित झूठ बोल रहे हैं ?

कांग्रेस की महारैली को विकास मरकाम ने प्रदेश में फैली अराजकता और कुशासन की एक कड़ी मात्र बताया। उन्होंने कहा प्रश्नों का जवाब देने से बचने के लिए भूपेश बघेल ने रैली का रास्ता अपनाया। लेकिन संवैधानिक संस्थाएं दबाव से नही संविधान और नियम से कार्य करती हैं। कितना भी नौटंकी कर लीजिए, जवाब तो आपको देना ही पड़ेगा। छत्तीसगढिया युवाओं को आरक्षण और सतत व्यवस्था चाहिए, आरक्षणवाद के नाम पर झूठा उन्माद और सांप्रदायिक कड़वाहट नहीं| न तो अंतरिम राहत लाने और न ही खुली चर्चा कर के जिम्मेदार प्रशासक की तरह स्थायी हल खोजने की आपकी नीयत ही नहीं दिखती| आप छत्तीसगढिया युवाओं के भविष्य में आग लगा कर राजनैतिक रोटी सेंकना चाहते हो लेकिन आपको इसका बहुत करारा जवाब मिलेगा|

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