आरक्षण को लेकर भाजपाई राजभवन की आड़ में कर रहे हैं राजनैतिक षड़यंत्र, सर्वसम्मति से पारित बिल डेढ़ महीने से है लंबित – कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा

Advertisements
Advertisements

भाजपा नेता स्पष्ट करें कि वे 76% प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में है या विरोध में ?

यदि भाजपाई समर्थन में है तो महामहिम से अनुमोदन में तत्परता बरतने की अपील करें, वरना प्रभावित वर्गों से माफी मांगे

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

रायपुर : छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के आरक्षण विरोधी षड्यंत्र के चलते ही विगत डेढ़ महीने बाद भी आज तक राज्यपाल का रुख आरक्षण बिल को लेकर साफ नहीं हो सका है। पहले तत्परता दिखाने और विशेष सत्र बुलाकर पारित करने का सुझाव देने वाले महामहिम ही अब अनुमोदन को लेकर मौन है। छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक आबादी के शिक्षा और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण विषय से संदर्भित महत्वपूर्ण बिल को इस प्रकार से रोके रखा जाना दुखद, निंदनीय और दुर्भाग्यजनक है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी न संविधान को मानती है और ना ही उसका सम्मान करती है। केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि झारखंड में भी 11 नवंबर 2022 को विधनसभा के विशेष सत्र में पारित आरक्षण बिल आज तक झारखंड के राजभवन में लंबित है, लेकिन भाजपा शासित कर्नाटक में इसी तरह का बिल पारित होते ही तत्काल राजभवन में अनुमोदन भी हो गया, यह भाजपा के दोगले चरित्र को प्रमाणित करता है। यह भी प्रमाणित होता है कि गैर भाजपा शासित राज्यों में केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर राजभवन काम कर रहे हैं। संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग भाजपा का राष्ट्रीय चरित्र बन चुका है। जहां भाजपाई सरकार में नहीं होते, वहां तमाम संवैधानिक संस्थानों और केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग अनैतिक दबाव बनाने के लिए करते हैं। विपक्षी दलों की चुनी हुई सरकारों के खिलाफ राजभवन का दुरुपयोग भी भाजपा का चरित्र रहा है। महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और छत्तीसगढ़ सहित गैर भाजपा शासित राज्य में राजभवन की भूमिका सर्वविदित है।

छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं को स्पष्ट करना चाहिए कि वे विशेष-सत्र में सर्वसम्मति से पारित 76% प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में है या विरोध में ? विशेष सत्र के दौरान सहमति का ढोंग करके राजभवन में पिछले दरवाजे से बिल को लटकाना राजनैतिक पाखंड है। यदि भाजपा समर्थन में है तो अपनी स्थिति स्पष्ट करें और महामहिम से नवीन आरक्षण विधेयक के अनुमोदन में तत्परता बरतने की अपील करें वरना प्रभावित वर्गों से माफी मांगे।

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!