ठाकुरपाली में प्रक्षेत्र दिवस एवं ड्रोन तकनीक प्रदर्शन कार्यक्रम सम्पन्न

ठाकुरपाली में प्रक्षेत्र दिवस एवं ड्रोन तकनीक प्रदर्शन कार्यक्रम सम्पन्न

February 26, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायगढ़

कृषि विज्ञान केन्द्र, रायगढ़ द्वारा डॉ.अजय वर्मा, निदेशक विस्तार सेंवाये, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर एवं निदेशक, कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर के मार्गदर्शन में विकासखण्ड रायगढ़ के ग्राम-ठाकुरपाली में सरसों फसल किस्म-आर.एच.-406 की 50 एकड़ क्षेत्रफल में वृहद अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन लिया गया है। प्रक्षेत्र दिवस के साथ-साथ सरसों फसल में ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन 24 एवं 25 फरवरी 2023 को किया गया।

कृषि विज्ञान केन्द्र, रायगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. राजपूत ने प्रक्षेत्र दिवस के अवसर पर सरसों फसल की उत्पादन तकनीक के बारे में विस्तार से चर्चा की। साथ ही सरसों फसल के साथ अन्तर्वती फसल लेने व मधुमक्खीपालन करने के बारे में विस्तार से बताये, जिससे कि कृषकों को अतिरिक्त आय की प्राप्ति हो सके। कार्यक्रम प्रभारी श्री के.के. पैकरा, वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान) द्वारा सीड कम फर्टिलाइजर ड्रील से सरसों फसल की बुवाई के फायदे के बारे में विस्तार से बताये गये। जिससे कि आने वाले समय में इस फसल के अलावा दूसरे फसल में इस तकनीक को आपनाकर फसल की उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हो सके।

इस कार्यक्रम तहत डॉ. सी.पी.एस.सोलंकी, वैज्ञानिक (पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन) ने कहा कि सरसों की फसल को जानवर नही खाने से इसका क्षेत्रफल बढ़ाने हेतु प्रोत्साहित किया गया। साथ ही पशु में कृत्रिम गर्भधान व अजोला उत्पादन के बारे में विस्तार से चर्चा किये गये। इस कार्यक्रम के अंत में घनश्याम पटेल व यादराम पटेल द्वारा सरसों फसल के उत्पादन के बारे में अपना अनुभव के बारे बताये गये।

कृषि विज्ञान केन्द्र, रायगढ़ द्वारा ग्राम- ठाकुरपाली में पहली बार ड्रोन तकनीेक से सरसों फसल में कीटनाशी का छिड़काव किया गया। ड्रोन तकनीेक से कम समय में अधिक क्षेत्रफल में कीटनाशी व अन्य दवाई का छिड़काव किया जा सकता है। जिससे समय की बचत एवं मजदूर की समस्या का विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता। कृषकों द्वारा निकट भविष्य में इस ड्रोन तकनीेक को अपनाने हेतु उत्सुकता व मंशा जाहिर की। कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी ठाकुरपाली ग्रामवासी एवं केन्द्र के वैज्ञानिकों का विशेष योगदान रहा।