राज्यपाल का अपमान कर संसदीय परंपराओं को तोड़ रही है छत्तीसगढ़ सरकार – बृजमोहन अग्रवाल

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

छत्तीसगढ़ विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए राज्यपाल को लेकर असंवैधानिक टिप्पणी की। जिस पर आपत्ति जताते हुए भाजपा विधायकों ने सदन का किया बहिर्गमन किया।

इस पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए भाजपा की वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस शासित हमारे छत्तीसगढ़ में  सरकार द्वारा सभी संसदीय परंपराओं को तोड़ा जा रहा है।

हमारे संविधान में भी राज्यपाल की भूमिका के ऊपर में कहीं पर भी चर्चा नहीं हो सकती। विधानसभा अध्यक्ष को हटाना है तो हम प्रस्ताव ला सकते हैं, हाई कोर्ट के जज को हटाना है तो महाभियोग लाया जा सकता है। हमारा अधिकार यहीं तक है। परंतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी राज्यपाल के अभिभाषण के प्रस्ताव का जवाब देते हुए राज्यपाल की भूमिका पर चर्चा कर रहे हैं, यह राज्यपाल पद का अपमान है। यह देश के संविधान का उल्लंघन है।

  हमारे विधानसभा अध्यक्ष जी से हम बार-बार आपत्ति कर रहे थे की जो चेयर है उस पर व्यवस्था दे। परंतु राज्यपाल जी की भूमिका पर विधानसभा में चर्चा हो शायद यह देश की किसी विधानसभा में पहली बार हो रहा है। हमारे बार-बार आग्रह करने के बाद भी मुख्यमंत्री जी उस विषय पर चर्चा कर रहे हैं और इसी वजह से हमने मुख्यमंत्री जी के भाषण का बहिष्कार किया है सदन का बहिष्कार किया है।

बृजमोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जानबूझकर अपने तुच्छ स्वार्थों के लिए, अपने राजनीतिक हित के लिए पूरे प्रदेश को गुमराह करने के लिए संवैधानिक राज्यपाल पद का और देश के संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं जो निश्चित रूप से गंभीर विषय है। सदन में संविधान का उल्लंघन करने वाली बातें, राज्यपाल पद की अवमानना करने वाली बातें हमारी उपस्थिति में हो तो उसके भागीदार हम भी होंगे। इसलिए हमने सदन का बहिष्कार किया है।

बृजमोहन ने कहा संविधान के अनुसार राज्यपाल जी से अगर कोई गलती भी होती है तो राष्ट्रपति को अधिकार है, न की विधानसभा न हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट को अधिकार है। 

बृजमोहन ने कहा छत्तीसगढ़  की कांग्रेस सरकार जब भी संविधान के विरुद्ध काम करेगी तो जो हमें अधिकार हैं उसके तहत हम लड़ेंगे और उसकी शिकायत भी करेंगे और उस पर कार्रवाई करने की मांग भी करेंगे।

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