अमृत सरोवरों के किनारे लगेंगे पीपल और बरगद के वृक्ष, जलस्तर बढ़ाने और सिंचाई के लिए बनेगा जरिया

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बारिश की अमृत बूंदों के संचय के लिए बन रहे अमृत सरोवर, आज मनाया गया नदी तट संरक्षण महा अभियान

कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा हुए शामिल, रंगपंचमी के अवसर पर मनाया गया अभियान

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, दुर्ग

जिले भर में 92 अमृत सरोवर बनाये जा रहे हैं। इनमें आज अमृत महोत्सव अंतर्गत वृक्षमाला नदी तट संरक्षण महाभियान मनाया गया। कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा आज ग्राम छाटा में शामिल हुए। उन्होंने निर्माणाधीन अमृत सरोवर देखा। उन्होंने इसके किनारे पीपल और बरगद जैसे पौधे लगाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सरोवर के किनारे बरगद और पीपल लगाने से इन पौधों का संरक्षण भी होगा और जलसंरक्षण भी सरोवर के लिए हो सकेगा। कलेक्टर ने ग्रामीणों से चर्चा में कहा कि सरोवर का काम पूरा हो जाने पर इसके माध्यम से सिंचाई की बढ़िया व्यवस्था हो सकेगा। इसके माध्यम से भूमिगत जल का रिचार्ज भी होगा। उन्होंने बताया कि इन अमृत सरोवरों को नहरों से भी जोड़ा जाएगा ताकि इनके माध्यम से ग्रामीणों की जरूरत पूरी हो सके। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि पाटन ब्लाक में अमृत सरोवर के 28 कार्य स्वीकृत हुए हैं जिनमें 12 पर अब तक काम पूरा हो चुका है।

उल्लेखनीय है कि आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत 1 मार्च से 15 अगस्त तक वृक्षमाला नदी तट संरक्षण महाअभियान चलाया जाना है। इसका उद्देश्य सूखते जा रहे जलस्रोतों को संरक्षित करना है तथा इन्हें बढ़ावा देना है। यह कार्य जलसंरक्षण के लिए नई संरचनाओं के साथ ही जलस्रोतों के किनारे व्यापक रूप से पौधरोपण से संभव है क्योंकि पौधे की जड़ों के माध्यम से भूमिगत जल को रिचार्ज रखने एवं नदी नाले को सतत प्रवाही बनाये रखने में मदद मिलती है। कलेक्टर ने ग्रामीणों से चर्चा में कहा कि सरकार ने नरवा रिचार्ज के माध्यम से नालों को सतत प्रवाहमान बनाये रखने एवं भूमिगत जल को रिचार्ज बनाये रखने कार्य किया गया है। साथ ही जलग्रहण क्षेत्रों में लूज बोल्डर संरचनाओं के माध्यम से भूमिगत जल को रिचार्ज करने का कार्य किया जा रहा है। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ श्री अश्विनी देवांगन भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि मनरेगा के माध्यम से जलसंरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर संरचनाएं बनाई जा रही हैं।

तर्रा में जलवाहिनी दीदियों से मिले- तर्रा में कलेक्टर जलवाहिनी दीदियों से मिले। ये पानी की स्वच्छता की जांच करती है। किसी भी तरह से पेयजल में दिक्कत आने पर इसकी सूचना पीएचई विभाग को दी जाती है। कलेक्टर ने यहां क्लोरिनेटर रूम भी देखा।

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