पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भूपेश सरकार पर लगाए कोल ट्रांसपोर्टेशन में भ्रष्टाचार के आरोप, तेंदूपत्ता संग्राहकों के कुल भुगतान की राशि घटने पर सदन में लाया गया स्थगन प्रस्ताव भी.

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वर्तमान सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार के कारण वनवासियों को लगभग 500 से 600 करोड़ रुपए कम मिला

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

रायपुर : पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के कोल ट्रांसपोर्टेशन और तेंदूपत्ता संग्रहण को लेकर आज विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरा। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान मुख्यमंत्री से प्रश्न करते हुए गारे पाल्मा कोल ब्लॉक रायगढ़ के कोल ट्रांसपोर्टेशन के रेट और टेंडर में भ्रष्टाचार होने के आरोप लगाए।

उन्होंने कहा – सामान्य प्रक्रिया के अनुसार जो निविदाकार होते है उनकी संख्या 3 है, जबकि नियमों की अनदेखी कर 2  के बीच ही टेंडर को ओपन किया गया। इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन के लिए दोगुने दर पर टेंडर दिया गया। जो एसईसीएल के रेट से कहीं ज्यादा है।

पूर्व सीएम ने आगे आंकड़ों पर बात करते हुए कहा – साउथ ईस्टन कोल फ़ील्ड के अनुसार जहां 20 किलोमीटर तक 116/- रूपए तक की ट्रांसपोर्टिंग होनी चाहिए, यानि 40 किलोमीटर के लिए 232/-रुपए होना चाहिए, वहीं स्वयं मुख्यमंत्री ने जवाब में बताया कि 40 किलोमीटर के लिए 466/- रुपए प्रति मेट्रिक टन कोल ट्रांसपोर्टेशन घरघोड़ा रेल्वे साइडिंग और 80 किलोमीटर 683/- रुपए दिया गया।

जब कोरबा और रायगढ़ समेत पूरे छत्तीसगढ़ के ट्रांसपोर्टर्स कह रहे हैं कि वे साउथ ईस्टन कोल फिल्ड के रेट में काम करने के लिए तैयार है तो ऐसे में यह अतिरिक्त पैसा किसके खाते में जा रहा है ? इस तरह तो छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के खाते से अरबों रुपए का नुकसान होगा।

पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह

साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों की समस्याओं पर स्थगन प्रस्ताव लाया गया। जिसमें उन्होंने मूल विषय को केंद्रित करते हुए कहा कि बीजेपी के शासन में 20-25 दिन तक चलने वाला तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य आज केवल 3-4 दिन ही चल रहा है।

उन्होने तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाली चरण पादुका योजना बंद होने पर भी सरकार को घेरा और संग्राहकों को मिलने वाली राशि की तुलना करते हुए उन्होंने बताया कि 2017 में बीजेपी के शासन में 17 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण होता था, जो 2021 में कांग्रेस शासन में घटकर 13 लाख मानक बोरे पर आ पहुंचा। वहीं बीजेपी शासन में तेंदुपत्ता संग्राहकों को मिलने वाली 749 करोड़ रुपए का बोनस घटकर अब 110 करोड़ रुपए में आ गया।

इसके साथ ही बीजेपी शासन में पारिश्रमिक 2500/- रुपए के दर से 427 करोड़ का भुगतान हुआ यानी 2017 में बोनस और पारिश्रमिक मिलकर कुल भुगतान 1176 करोड़ रुपये का भुगतान तेंदुपत्ता संग्राहकों को हुआ। जिसे भूपेश सरकार ने 2021 में घटाकर पारिश्रमिक 520 करोड़ और बोनस 110 करोड़ यानी कुल भुगतान 630 करोड़ पर ला दिया। इस प्रकार इस सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार के कारण वनवासियों को लगभग 500 से 600 करोड़ रुपए कम मिला है।

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