डॉ. लेरिनोआ ने छत्तीसगढ़ सरकार की लघु वनोपज खरीदी और सामुदायिक वन अधिकार दिए जाने की पहल को सराहा 

डॉ. लेरिनोआ ने छत्तीसगढ़ सरकार की लघु वनोपज खरीदी और सामुदायिक वन अधिकार दिए जाने की पहल को सराहा 

March 27, 2023 Off By Samdarshi News

मंत्री डॉ. टेकाम से मुलाकात के दौरान छत्तीसगढ़ में आदिवासी कल्याण और विकास के कार्यों की प्रशंसा की

मंत्री डॉ. टेकाम और छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि मंडल को संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व खाद्य और कृषि संगठन के मुख्यालय आने का आमंत्रण

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

संयुक्त राष्ट्र संघ कृषि संगठन के आदिवासी विभाग के प्रमुख डॉ. योन फर्नेडेस लेरिनोआ ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आदिवासी कल्याण और विकास के लिये किये जा रहे विभिन्न कार्यों की प्रशंसा की है। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लघु वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी और वनवासियों को सामुदायिक वन अधिकार दिए जाने को सकारात्मक कदम बताया। इस मौके पर डॉ. लेरिनोआ ने मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह टेकाम और छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधिमंडल को संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व खाद्य और कृषि संगठन के मुख्यालय भी आने का आमंत्रण दिया।

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ कृषि संगठन के आदिवासी विभाग के प्रमुख डॉ. योन फर्नेडेस लेरिनोआ ने अपने रायपुर प्रवास के दौरान बीते दिनों आदिम जाति तथा अनुसूचित जनजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम से सौजन्य मुलाकात की। मुलाकात के दौरान डॉ. योन ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आदिवासी कल्याण के लिये चलाई जा रही योजनायें निश्चित ही आदिवासी समाज के लिये सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है। इस मौके पर डॉ. टेकाम ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आदिवासियों के कल्याण और उन्नति के लिए चलाई जा रही योजनाओं कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए वनोपजों के समर्थन मूल्य और वनोपज खरीदी के सफलताओं के बारे में चर्चा की।

मंत्री डॉ. टेकाम ने डॉ. लेरिनोआ को यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में मिलेट्स (मोटे अनाज), विभिन्न कंदों और अन्य परंपरागत जड़ी बूटियों के संरक्षण-संवर्धन को भी विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। डॉ. लेरिनोआ मुलाकात के दौरान कहा कि इन प्रयासों को शैक्षणिक गतिविधियों से भी जोड़ना चाहिये। विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों की पाठशालाओं, विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में आदिवासी समाज के इस ज्ञान को औपचारिक पाठ्यक्रम के रूप में शामिल करना चाहिये। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में इसके अनुभव बेहद परिवर्तनकारी साबित हुये हैं।