सिस्टर ए्लडिथ लकड़ा के धर्मसंघी जीवन का 25 वर्ष पूर्ण होने पर रजत जयंती समारोह का हुआ आयोजन : फादर प्रफुल बड़ा ने सम्पन्न कराया धार्मिक अनुष्ठान

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“मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है” (लूकस 1:46)

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, कुनकुरी/जशपुर

सिस्टर ए्लडिथ लकड़ा के धर्मसंघी जीवन का 25 साल पूरा करने के पुनीत अवसर पर रजत जयंती समारोह का आयोजन अपने गृह ग्राम सूंडरु में किया गया। इसमें मिस्सा पूजा एवं बधाई समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान संत अल्बर्टस कॉलेज राँची के प्रोफेसर फादर प्रफुल बड़ा ने किया एवं सहनुष्ठाता फादर राजेश तिर्की, सूंडरु पल्ली पुरोहित फादर तोबियास एक्का, फादर एल्फीज मिंज, फादर सुनील टोप्पो, फादर विनोद लकड़ा एवं फादर संजय कुजूर थे।

मिस्सा का शुभारंभ सूंडरु ग्रामवासी महिलाओं एवं बालिकाओं के द्वारा प्रवेश नृत्य व फादर तोबियास एक्का के स्वागत संबोधन एवं अतिथिओं के परिचय से हुआ। मिस्सा के दौरान बाईबल से पढ़े जाने वाले पाठों को क्रमशः सिस्टर ए्लडिथ लकड़ा, एनसी लकड़ा एवं फादर राजेश तिर्की ने पढ़ा। फादर प्रफुल ने अपने प्रवचन में कहा जिस तरह येसु ने अपने शिष्यों को चुना और बुलाया आज भी वे परोपकारी एवं सेवा कार्य के लिए अपने बीच से बुलाते हैं। उन्होंने आगे कहा सिस्टर एल्डिथ लकड़ा को भी ईश्वर ने वही बुलाहट प्रदान किया है। फादर प्रफुल  ने 25 वर्ष की लम्बी सेवा के लिए सिस्टर एल्डिथ को बधाई भी दिया। धार्मिक गीतों का संचालन फादर एल्फीज मिंज व श्रीमती निशी की अगुवाई में हुआ जिसका सहययोग ग्रामवासीयों एवं बोकारो से आये अतिथिओं ने दिया।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में बधाई समारोह संपन्न किया गया जिसमें गीत एवं नृतियों की प्रस्तुति दी गयी।  मंच का सफल संचालन अजय एक्का  एवं भूषण खलखो ने किया। इस समारोह में पुरोहितगण, सिस्टर रीना, सिस्टर लिली, होली क्रॉस  धर्मसंघ की धर्मबहनें, परिवार के सदस्य, प्रियजन, रिश्तेदार, अतिथि , ग्रामवासी  एवं सूंडरु पल्लीवासी उपस्थित हुए। मिस्सा समारोह के पश्चात सिस्टर ए्लडिथ लकड़ा ने आभार प्रकट किया।

 सिस्टर ए्लडिथ लकड़ा का जन्म जशपुर जिला के सूंडरु ग्राम में  6 नवंबर 1970 ई. को हुआ।   पिता श्री नेस्तोर लकड़ा एवं माता श्रीमती तरसीला लकड़ा के सात में जेष्ठ संतान है। उनके पिताजी अमलाई कागज मील से सेवा निवृत्त हैं।    इन्होंने प्रारंभिक शिक्षाएं अमलाई तथा तपकरा से किया है, हाई स्कूल की पढ़ाई होली क्रॉस घोलेंगे में सम्पन्न करने के पश्चात  1990 ई. में दया की पवित्र क्रूस  धर्मसंघ पटना प्रोविन्स में प्रवेश लिया। धर्मससंघीय प्रशिक्षण के  पश्चात उन्होंने 1997 ई. को प्रथम व्रत धारण किया  एवं आजीवन व्रत धारण  2004 ई.को लिया। उहोंने इन पच्चीस वर्ष के धसर्मसंघिये जीवन में गिरिडीह, बेतिया, पटना, मुजफ्फरपुर  में अपनी सेवाएं दिया है। वर्तमान में वह दूलपीठा समुदाय में सुपीरियर पद पर पदस्थ है।

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