बालाछापर प्रकरण को लेकर नाराज मसीह समाज ने पुलिस प्रशासन को सौंपा ज्ञापन.. की निष्पक्ष जाँच और निर्दोष व्यक्तियों के रिहाई की माँग..पढ़ें पूरी खबर

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

थाना कोतवाली क्षेत्र के बालाछापर गांव में एक नन सहित 5 लोगों के खिलाफ धार्मिक उन्माद फैलाने का जुर्म दर्ज कर कार्यवाही करने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है। हिंदूवादी संगठन से जुड़े कुछ लोग ने आयोजित कार्यकर्म को धर्मांतरण से जोड़ते हुए चंगाई सभा बताते हुए प्रकरण दर्ज कराया है। इसके बाद पुलिस ने जो कार्रवाई की उसे लेकर ईसाई समाज में आक्रोश पनपने लगा है। जिसको लेकर ईसाई समाज के नेताओं ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश कश्यप से मुलाकात की और अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा।

पढ़ें ज्ञापन में लिखी गई बातें..

विभा बाई (उर्फ विभा केरकेट्टा), हीरामनी बाई, फूलवती विश्वकर्मा और सचिन राम की झूठे मामले गिरफ्तारी मामले की निष्पक्ष जाँच और निर्दोष व्यक्तियों की रिहाई की माँग बाबत्

माननीय महोदय,

उपरोक्त विषयान्तर्गत लेख है कि दिनाँक 6 जून 2023 को ग्राम बालाछापर, थाना और जिला जशपुर, में रात्रि को विभा बाई (उर्फ विभा केरकेट्टा), हीरामनी बाई, फूलवती विश्वकर्मा और सचिन राम को एक झूठे मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। पूरे मामले की विस्तृत और सिलसिलेवार जानकारियाँ निम्नानुसार हैं –

1. यह की विभा बाई, उर्फ विभा केरकेट्टा पिता स्व० सोहन राम उम्र 23 वर्ष, गांव बालाछापर स्कूल पारा थाना व जिला जशपुर की निवासी है। अपने पिता स्व. सोहन की मृत्यु के पश्चात् बचपन से उसने अपने मामा दिनेश के यहां सुरजुला में रह कर एवं बाद में घाघरा में रह कर अपनी पढ़ाई की है। इस दरमियान उसने स्वेच्छा से एक धर्मबहन बनने का निर्णय ले कर काथलिक ईसाई रीति-रिवाज के अनुसार एक धर्मबहन बन गयी । विगत 8 दिसम्बर 2022 को उन्होंने अपना प्रथम व्रत लिया ।

2. यह की काथलिक ईसाइयों में एक विशेष परम्परा का प्रचलन है। इसमें किसी धर्मबहन के व्रत के पश्चात उसके नाम पर परिवार में एक कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस तरह के कार्यक्रम में सर्वप्रथम पूजा प्रार्थना होती है जिसे पवित्र मिस्सा कहा जाता है। उसके बाद व्रत लेने वाली धर्मबहन के सम्मान में स्वागत कार्यक्रम और सामूहिक भोज होता है। ऐसा ही एक कार्यक्रम विभा बाई (उर्फ विभा केरकेट्टा), के नाम पर उसके पैतृक गांव बालाछापर में 6 जून 2023 को हुआ। कार्यक्रम के लिए धर्मबहनें और विभा बाई (उर्फ विभा केरकेट्टा) के सम्बन्धी एवं परिचित जन उपस्थित हुए। साथ ही गांव के कुछ लोग उत्सुकतावश भी कार्यक्रम देखने के लिए आए। एकत्र लोगों की संख्या लगभग 40-50 रही होगी। लगभग 6.00 बजे शाम को पवित्र मिस्सा हुआ। इसके लिए एक पुरोहित जशपुर शाँतिभवन से आये हुए थे। पवित्र मिस्सा के बाद विभा बाई (उर्फ विभा केरकेट्टा), के सम्मान में स्वागत कार्यक्रम हुआ । उपस्थित लोगों में कुछ लोगों ने समुदाय को सम्बोधित कर विभा बाई (उर्फ विभा केरकेट्टा) को बधाईयाँ और शुभकामनाएँ दीं। कुछ लोगों ने उसके चरित्र की प्रशंसा करते हुए उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएँ अर्पित कीं। सि० विभा ने अपनी ओर से बोलते हुए उपस्थित लोगों को अपना आभार प्रकट किया। उपरोक्त कार्यक्रम भक्तिमय और शाँत माहौल में सम्पन्न हुए। उसके बाद सबों के लिए भोजन परोसा गया और लोग अपने-अपने घर वापस गये ।

3. यह कि अतिथियों के वहाँ से जाने के बाद लगभग 9.00 बजे रात को कुछ लोग दो गाड़ियों और कुछ मोटर साइकलों पर आये। ये बजरंग दल, हिन्दु वाहिनी और भाजपा के कार्यकर्ता थे। इनकी संख्या लगभग 30 तक की रही होगी। इनमें से कुछ लोगों के नाम हैं- रायमुनी भगत, गंगाराम भगत, अरविन्द भगत, कृपाशंकर भगत, पप्पू ओझा, पप्पू सिन्हा, वेद प्रकाश तिवारी। उनके आने के बाद वहाँ निम्नानुसार घटनाएँ घटीं धर्मान्तरण का आरोप लगा कर शोर मचाने लगे। उन्होंने सि० विभा को उसके धर्म के बारे में पूछताछ की। उन्होंने यह भी कहा कि उसने चंगाई प्रार्थना का आयोजन क्यों किया है।

उन्होंने विभा के मामा दिनेश को धमकी देते हुए कहा कि वह तो स्वयं ईसाई बन गया अब क्यों दूसरों को इसाई बना रहा है। उन्होंने उसे धमकियाँ भी दी यदि उसने ऐसा करना नहीं छोड़ा तो उसके हाथ-पैर तोड देंगे। उन्होंने यह भी धमकियाँ दीं कि वे उसे मार फेंक देंगे।

रायमुनी भगत ने विभा की माँ हीरामनी बाई का गला पकड़ कर गले की रोजरी माला को तोड़ दिया। रायमुनी भगत ने उसे थप्पड भी मारा। रायमनी भगत ने ही सि० विभा से सवाल भी किया कि उसने सफेद साड़ी क्यों पहन रखी है क्योंकि वह तो विधवाओं के लिए है। उन सबों ने दिनेश पर यह आरोप भी लगाया कि वह पैसा लेकर ईसाई बना है और पैसा ले कर ईसाई धर्म का प्रचार कर रहा है। उन्होंन परिवार के राशन कार्ड को छीन लिया और कहा कि उन्हें शासन से सुविधाएँ नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि वे ईसाई बन गये हैं ।

उन लोगों ने परिवार के लोगों का नाम भी नोट कर लिया। उन लोगों ने वहाँ रखी वेदी पर रखी सामानों को भी छितर-बितर कर दिया। उन लोगों ने परिवार वालों से यह भी सवाल किया कि चंगाई प्रार्थना करने के लिए उन्होंने किससे परमशिन लिया था। इतना सब करने के बाद उन्होंने पुलिस को बुला लिया ।

4. यह कि पुलिस वहाँ रात को 10.00 बजे के बाद ही आयी। पुलिस दल में कोई भी महिला पुलिस नहीं थी। लगभग 12.00 रात्रि परिवार वालों को पुलिस वाहन में बैठा कर जशपुर थाना लिया गया और उन्हें लोकअप में डाल दिया गया जहाँ वे सारी रात पड़े रहे। जब परिवार वाले रात्रि में लोकअप में बन्द थे तो बाहर वही लोग चक्कर लगाते हुए निगरानी कर रहे जिन्होंने बालाछापर जा कर उधम मचाया था।

5. यह कि दूसरे दिन अर्थात् 7 जून को भी परिवार के सदस्यों को पुलिस लोकअप में ही रखा गया। उन्हें केवल लगभग 5.00 बजे शाम को ही मजिस्ट्रेट के सम्मुख पेश किया गया। विभा के मामा दिनेश को अंधा होने के कारण बेल दे दिया गया। बाकी लोगों के लिए बेल नहीं दिया गया। लेकिन उनके बेल आवेदन पर सुनवाई करने के लिए 13 जून की तारीख को मुकर्रर किया गया। निम्न व्यक्तियों को जेल भेज दिया गयाः विभा केरकेट्टा, हीरामनी बाई, फूलवती विश्वकर्मा, सचिन राम।

6. यह कि इस पूरे मामले में एफ.आई.आर. पर बड़ा सवाल उठता है। एफ.आई.आर. पर दर्ज करने का समय 6 जून 2023 को शाम 8.55 का समय अंकित किया गया है। यदि यह उसी समय दर्ज हुआ जो पुलिस को उसके पश्चात बालाछापर जा कर विवेचना करनी चाहिए थी और आगे की कार्यवाही होनी चाहिए थी। लेकिन पुलिस के पहले वहाँ भीड़ ने जा कर उत्पात मचाया और उसके बाद उनके बुलाने पर वहाँ गयी। क्या पुलिस वालों में और उत्पात मचाने वालों में किसी प्रकार की साँठगाँठ या समझौता था? इसके अलावा महिलाओं को गिरफ्तार करते समय भी महिला पुलिस नहीं थी। सामान्य नियम को ताक में रख कर महिलाओं को रात्रि में ही पुलिस थाना ले जाया गया।

7. यह कि इस पूरे मामले में एफ. आई. आर. पर दूसरा बड़ा सवाल लगायी गयी धाराओं पर भी उठता है। एफ॰आई॰आर॰ में दो धाराएँ लगायी गयी हैं – 295 ए और 153 ए। ये दोनों धाराएँ निम्न अपराधों से सम्बन्धि “जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना”। (295 ए) – “धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव बिगाड़ना । (153 ए)

जिन लोगों को गिरफतार कर जेल भेज दिया गया है, उनमें से किसी ने भी, कहीं भी और कभी भी इस तरह का आपराधिक कार्य किया ही नहीं है। उन्होंने अपनी निजी आस्था के अनुसार पूजा प्रार्थना की। उन्होंने तो अन्य धर्म या जाति के लोगों का नाम तक नहीं लिया । इसके विपरीत घटनाक्रम से यह बात स्पष्ट है कि अपराध तो वास्तव में उन लोगों ने किया जिन्होंने 6 जून की रात्रि को बालाछापर गाँव जा कर उत्पात मचाया था।

माननीय महोदय, उपरोक्त घटनाक्रम के कारण सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ के ईसाई समुदाय में असंतोष व्यप्त हो गया। अतः आपसे हमारी निम्न माँगे हैं:

1. पूरे प्रकरण की तत्काल निष्पक्ष जाँच की जाये और वास्तविक दोषियों पर आवश्यक कार्यवाही की जाये।

2. पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका की भी निषक्ष जाँच की जावे और सम्बन्धित अधिकारियो पर उचित कार्यवाही हो ।

3. निर्दोष गिरफ्तार लोगों की तत्काल रिहाई हो ।

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