लाखों के निर्माण कार्यों से मजदूरों को मिल रही आजीविका या अफसर/ठेकेदार हो रहे मालामाल.
प्रकरण की जांच में भ्रष्टाचारी होंगे बेनकाब या दाब जाएगा मामला फ़ाइलों में ?
समदर्शी न्यूज ब्यूरो, जशपुर/कुनकुरी
कुनकुरी/जशपुर : सरकार अपना चेहरा विकास के अनुरूप जनता तक पहुंचाती है और विशेष कर कुछ ऐसी योजना जो जनता के हित में सरकार जीविकोपार्जन के लिए लागू करती है, वैसी ही एक महत्वपूर्ण योजना महात्मा गाँधी रोजगार गारंटी योजना है। जिसमें लोग मजदूरी करके अपने लिए जीविका का साधन जूटाते हैं, ऐसी योजना जब पानी में बहने लगे तो स्पष्ट है कि अधिकारी और ठेकेदार भ्रष्टाचार को कितना बढ़ावा दे कर अपनी काली कमाई करने के प्रयास में सरकार की छवि ख़राब करने में लगे हैं।
प्रकरण बगीचा जनपद पंचायत के ग्राम कुदमुरा का है, जहाँ विकास ढह कर पानी में तैरता हुआ दिख रहा है, 20 लाख रूपये की लागत से नव निर्मित तटबंध जब अचानक टूटकर नदी में तैरता हुआ ग्रामीणों को दिखा तो गांव में विकास की चर्चा के स्थान पर महीने भर पहले बना यह तटबंध आखिर टूट कैसे गया ? इस पर चर्चा होने लगी। लोग इसकी कल्पना भी नहीं कर रहे थे। हालाँकि पंचायत के जिम्मेदार इस पर कुछ नहीं कह रहे हैं, लेकिन उनकी ख़ामोशी भी कहीं कमीशन के नीचे दब सी गई है, वहीँ इस सूचना पटल पर लिखे बड़े-बड़े शब्दों में अधिकारियों का भी नाम और फोन नंबर लिखा है, जिसमें जिम्मेदार अधिकारी निर्माण के समय झाँकने भी नहीं आये हैं।
हाँलाकि इस घटिया निर्माण की पोल तो अब खुल गई है, लेकिन रही बात जाँच की तो देखना होगा कि जिम्मेदार अधिकारी इस पर कैसे जाँच करते हैं ? या फिर कमीशन के प्रभाव में वो भी मामले को जाँच में ही लटका देते हैं ! मामला गंभीर है क्यूंकि यहाँ भ्रष्टाचार का नंगा नाच सबके सामने आ गया है। ठेकेदार से अधिकारियों तक सबकी जाँच होनी चाहिए। इस तटबंध के टूटने से कई सवाल खड़े होते हैं, पहला तो क्या नदी में विभाग तटबंध निर्माण करने की स्वीकृति प्रदान करता है ? क्या निर्माण के समय 15 वें वित्त की कुछ राशि का दुरुपयोग कर ठेकेदार को पंचायत सहयोग करते समय गुणवक्ता की जाँच करती है ? क्या अधिकारी निर्माण के समय मूल्यांकन किये थे ? अगर किये थे तो महीने भर में टूट कैसे गई ? क्या ठेकेदार द्वारा छड़ और सीमेंट का स्टीमेंट के आधार पर उपयोग किया गया था ? हांलाकि इस भ्रष्टाचार में ठेकेदार जितने दोषी हैं, उतने दोषी अधिकारी भी हैं, जो मुख्यालय में बैठकर सरकार की योजना और पैसे का बंटाधार करने में लगे हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए।