कांग्रेस के प्रयासो से 12 जाति समूह आदिवासी वर्ग में शामिल, 15 सालों तक आदिवासियो का शोषण करने वाले भाजपाई श्रेय लेने की होड में, रमन ने मुख्यमंत्री रहते प्रयास नहीं किया था – दीपक बैज

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस की सरकार के प्रयासो और विधिसम्मत की गयी अनुशंसा से ही 12 जाति समूहों के लोगो को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को इस आशय का पत्र भी 11 फरवरी 2021 को लिखा था। कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुये भी इन जाति समूहों को अनु.जनजाति में शामिल करने के लिये आंदोलन किया था। स्वंय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष रहते हुये सौरा समाज सहित अन्य समाजो के आंदोलनों में लगातार शामिल कर इनकी मांगो के लिये आवाज उठाते रहे है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि 15 साल तक आदिवासियों का शोषण करने वाले रमन सिंह और भाजपाई 12 जाति समूहों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने किये जाने पर श्रेय लेने की होड में परेशान हो रहे है। रमन सिंह और भाजपा के नेतागण श्रेय लेने के लिये बयान दे रहे कि यह उनके प्रयासो से हुआ है। 15 साल की सरकार के दौरान उन्होंने इस दिशा में क्या सार्थक पहल किया था? उनकी सरकार के आखिरी चार साल में केन्द्र और राज्य दोनो जगह भाजपा की सरकार थी रमन सिंह भाजपा के मुख्यमंत्री के रूप में प्रभावशाली भी थे। इन चार सालों में इन 12 उपजातियों की मांगो के अनुसार केन्द्र से निर्णय क्यों नहीं करवाया? भाजपा और रमन सिंह नहीं चाहते थे कि यह जाति समूह को उनके संवैधानिक अधिकारो का हक मिले।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि रमन सिंह का शासनकाल आदिवासियों के लिये शोषण और परेशानी का समय था। आदिवासी भूमि संशोधन विधेयक लाकर आदिवासियों की जमीनों को हड़पने का कानून रमन सिंह ने बनाया था। कांग्रेस के विरोध के बाद वापस लिया गया। बस्तर में लौहंडीगुडा में आदिवासियों की जमीनो को टाटा संयंत्र नहीं लगने के बाद भी वापस नहीं किया जबकि भू-अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार जमीन वापस करने कानून है। रमन सरकार ने आदिवासियों की जमीन लैड बैंक बनाकर खुद रख लिया। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी जमीनों को वापस करवाया। वनआधिकार पट्टे और पेसा कानून को लटका कर रख गया था। रमन राज में बस्तर सरगुजा में आदिवासियो के मौलिक और संवैधानिक अधिकार रद्द कर दिये गये थे। उनके जबरिया जेलों में बंद कर दिया गया था। उनकी हत्याये होती यही कारण था आदिवासी समुदाय ने भाजपा का तिरस्कार कर दिया था।

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