दोहरी फसल, साग-सब्जी उत्पादन के साथ ही मत्स्य पालन भी कर रहें हैं हितग्राही एवं परिवारजन

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

जिले में मनरेगा के तहत् ग्रामीणों रोजगार प्राप्त हो रहा है साथ ही हितग्राहियों को लंबे समय तक फायदा देने वाले संसाधन भी प्राप्त हुए हैं और स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को सीधे रोजगार मिलता है। योजना के तहत् हितग्राही के साथ ही अन्य श्रमिकों को भी आर्थिक संबल पहुँचाता है। जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार के साथ ही आर्थिक स्थिति में बढ़ोत्तरी होती है।

फसलों की पैदावार के लिए सही समय पर वर्षा का होना जरूरी होता है। समय पर वर्षा न होने से फसलों के पैदावार में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। मनरेगा योजना ऐसे किसानों के लिए वदान साबित हो रहा है।  जिन्होंने किसानों ने अपनी भूमि पर मनरेगा से डबरी निर्माण कराया है फसलों से होने वाली आर्थिक नुकसान से सहायता मिल रहा है और इसके अतिरिक्त ऐसे किसान डबरी से मच्छलपानी सहित दोहरी फसल और अन्य साग-सब्जियों को भी उत्पादन करके अतिरिक्त आमदनी अर्जित कर सकते है।

जशपुर विकाखण्ड के ग्राम पंचायत पोरतेंगा निवासी हितग्राही श्रीमती छेनो बाई ने मनरेगा के तहत् डबरी निर्माण करवाया है। रोजगार सहायक श्रीमती रूकमनी बाई ने बताया कि हितग्राही और उसके परिवार को अपने खेतों में मेड़ बंधान कार्य की आवश्यकता थी। हितग्राही और उसके परिवार को मनरेगा योजनांतर्गत् हितग्राहीमूलक कार्य के बारे में ग्राम पंचायत से पता चला और उन्होंने ग्राम सभा में श्रीमती छेनो बाई के नाम से स्वीकृति प्राप्त करने के लिए मांग रखी। जिस पर सरपंच द्वारा ग्राम सभा में प्राप्त मांगों को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृति कराया गया। हितग्राही के द्वारा प्रस्तुत आवेदन प्रस्तुत के आधार पर 2.961 लाख की लागत से अपने जमीन में डबरी निर्माण की स्वीकृति मिली। उन्होंने बताया कि डबरी निमार्ण कार्य में उनके परिवार के सदस्यों एवं अन्य ग्रामीणजनों सहित कुल 46 परिवरों को रोजगार भी प्राप्त हुआ।

हितग्राही श्रीमती छेनो बाई ने ने बताया कि उनके परिवार में कुल 08 सदस्य हैं। जिनकी आजीविकास का मुख्य साधन कृषि एवं मजदूरी है। छेनो बाई कृषि संबंधित कार्या के माध्यम से आजीविकास में परिवार को सहयोग करती हैं। परिवार का प्रतिमाह आय 6 हजार रूपए हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता नहीं थीं। पानी का कोई स्रोत भूमि के पास नहीं था डबरी निर्माण से पूर्व वे खेती के लिए  पूर्ण रूप से वर्षा के जल पर आश्रित थी। उन्हें हमेशा बारिश के नहीं होने पर फसल नुकसान होने का डर बना रहता था। साथ ही जल स्त्रोत न होने से उनके द्वारा वर्ष में एक ही फसल का उत्पादन किया जाता था।

हितग्राही छेनो बाई ने बताया कि डबरी निमार्ण कार्य उनके जीवन के लिये वरदान साबित हुई है। मनरेगा के कार्य से लाभार्थी के साथ-साथ गांव के अन्य लोगों को भी रोजगार प्राप्त होता है। लाभार्थी ने बताया कि डबरी निर्माण होने से उन्हें कृषि कार्य में मदद के साथ ही भू-जल स्तर में बढोत्तरी हुई है जिससे सिंचाई हेतु साल भर पानी की उपलब्धता बनी रहती है। अब उनकी खेती के लिए बरसात के पानी पर निर्भरता समाप्त हो गई है। उनके द्वारा वर्ष में दोहरी फसल के साथ ही साग-सब्जी का भी उत्पादन किया जा रहा है। डबरी निर्माण के पहले कृषि भूमि में उपजाई गई फसलों व साग-सब्ज्यिं का प्रकार, उत्पादन की मात्रा एवं आय कम होती थी। डबरी निर्माण होने के बाद मत्स्य विभाग द्वारा मछली बीज अनुदान में प्रदाया किया गया है। जिससे अब हितग्राही एवं परिवार को मछली पालन से भी अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है। जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। आमदनी में वृद्धि होने से परिवार का जीवन स्तर ऊंचा हुआ है।

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