अब तक 3355279 कि.ग्रा. रिलींग धागा, 2315.273 कि.ग्रा. घींचा धागा एवं वेस्ट सामग्री से 547.148 कि.ग्रा. धागा किया गया हैं उत्पादन

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

रेशम विभाग के टसर धागाकरण योजनान्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र में कृषि कार्य, मजदूरी एवं वनोपज से आय का एक प्रमुख साधन है जो एक निश्चित अवधि के लिए होती है। पुरूष तो काम के तलाश में बाहार जा सकते हैं। किन्तु महिलाओं के लिए अपने गांव के आस-पास में रोजगार प्राप्त करने हेतु इधर-उधर भटकना पड़ता था ऐसे ही कुछ जरूरत मंद महिलाएं शासकीय कोसा बीज केन्द्र कुनकुरी में चल रहे टसर धागाकरण योजनान्तर्गत संचालित टसर मशीनों को देखने आई एवं धागाकरण कार्य को देखकर स्व-प्रेरित होकर स्वयं भी इस कार्य को करने के लिए इच्छा प्रकट की तथा विभाग द्वारा इन महिलाओं को समूह बनाकर टसर धागाकरण प्रशिक्षण दिया गया ।

इसी कड़ी में कुनकुरी, फरसाबहार, पत्थलगांव और कांसाबेल विकासखण्ड में 07 स्व-सहायता समूह गठन किया गया। महिला समूह के द्वारा टसर धागाकरण कार्य कर धागा उत्पादन किया जा रहा है। वर्ष-2022-23 में टसर धागाकरण समूह की 501 महिलाओं के द्वारा 3355279 किलोग्राम रिलींग धागा उत्पादन किया गया तथा 2315.273 किलोग्राम घींचा धागा उत्पादन किया गया एवं वेस्ट सामग्री से 547.148 किलाग्राम धागा उत्पादन किया गया हैं। उत्पादित धागे का समूह के द्वारा विपणन कर राशि 1 करोड़ 95 लाख 40 हजार 383 का लाभ अर्जित किया गया । उपरोक्त टसर धागारकण कार्य में महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने हेतु डीएमएफ एंव आईटीडीपी एंव विभागीय योजना से महिलाओं को मशीन प्रदाय किया गया एंव प्रशिक्षण हेतु राशि जिला प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराया गया । जिसके द्वारा 501 महिलाऐं टसर धागाकरण कार्य कर स्वालम्बी हो चुके हैं। समूह के कई महिलाऐं पहले कॉफी गरीबी में जीवन यापन कर रही थीं, वे इस योजना से जुडकर अब तक अपनी-अपनी जीवन स्तर में सुधार कर ली हैं इसी योजना से अतिरिक्त आय अर्जित कर अपने कृषि भूमि में खेती का कार्य कर उन्नत किस्म का धान एंव अन्य फसल का उत्पादन कर रहे हैं। कई ऐसे महिलाऐं जिनके पास सायकल खरीदने को सपना देखते थे। परन्तु आज इसी कार्य से दो पहिया वाहन आसानी से खरीद के चला रहे हैं, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा हेतु अच्छे स्कूलों में पढ़ाई लिखाई करवा रहें है।

समुह के ऐसे 501 महिलाऐं हितग्राही जो आज धागाकरण कार्य से स्वालंबी हो चुके हैं एंव परिवार का भी आर्थिक स्थिति में मजबुत कर रहे हैं जिससे इनका जीवन स्तर और भी उपर की ओर जा रही है जिससे सामाज में इनकी अलग पहचान मिल रही है तथा रेशम विभाग महिला समूह को हर स्तर पर सहयोग कर रही है महिलाओं को कोकून बैंक के माध्यम से कोसा उपलब्ध कराना मशीनों द्वारा उत्पादित धागा को विपणन कराना तथा विक्रय किया गया धागा का राशि उनके खाते में उपलब्ध कराना इत्यादि। इस प्रकार महिलाओं एंव गरीब परिवारों को रेशम विभाग द्वारा इनके पूर्ण विकास सकारात्मक आर्थिक विकास की ओर प्रयासरत है जिससे वे अपने क्षमता को समझ सके महिलाओं का सशक्त होना आज की महति आवश्यकता है। सशक्त महिला सशक्त समाज को गढ़ता है जिससे देश के विकास होने में सहयोग होती है। ग्रामोद्योग संचालनालय ( रेशम प्रभाग ) की टसर धागाकरण की योजना सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। आने वाली पीढ़ी के द्वारा रोजगार हेतु किसी अन्य राज्य नारी में पलायन नही करना पडेगा अपने ही राज्य अपने ग्रामों में रहकर स्व-रोजगार प्राप्त कर सकतें है।

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