एक गाय पर 40 लाख रुपये खर्च करना ही है क्या गौठान का छत्तीसगढ़ मॉडल ?
हर गाय पर 3 चरवाहे फिर भी सड़कों पर गायों का जमघट
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर
रायपुर : छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने जिस जोर-शोर के साथ गौठान योजना का प्रचार-प्रसार कर गौठान के छत्तीसगढ़ मॉडल को प्रस्तुत किया था, वह भ्रष्टाचार और नाकामी की कहानी कह रहा है। ये आरोप नहीं सच्चाई है, जो हाल ही में सरकार ने मानसून-सत्र में एक सवाल के लिखित जवाब में स्वीकारी है।
पूर्व मंत्री और रायपुर दक्षिण के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा में पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री द्वारा दिये गए जवाब के हवाले से यह जानकारी दी है। श्री अग्रवाल ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ सरकार कैसे गौठान योजना को सफल मॉडल के रुप में पेश कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत इसके उलट है। सड़कों पर मवेशी बदस्तूर बैठे हुए हैं, जिसके कारण शहर के अंदर और हाईवे पर वाहन चालक दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि सरकार खुद स्वीकार कर चुकी है कि प्रदेश में गौठान योजना पर कुल 1334.65 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जबकि लावारिस गायों की संख्या मात्र 3380 है। जिसका सीधा मतलब यह है कि प्रति गाय 39.80 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। लावारिस गायों की संख्या मात्र 6 जिलों की है, जहां गौठानों का निर्माण किया गया है। सबसे दिलचस्प पहलू है यह है कि प्रदेश में 9,303 चरवाहे हैं, यानि हर गाय पर 3 चरवाहे।
श्री अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से पूछा कि कहां है आपका रोका-छेका अभियान, जिसके प्रचार पर ही लाखों का विज्ञापन दिया जा रहा है। रोका-छेका अभियान मवेशियों के लिए है या वाहन चालकों के लिए, जो हर दिन दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग के सड़कों पर मवेशियों की मौजूदगी राजमार्ग के द्रुतगति और समय की बचत के उद्देश्य को धूमिल कर रही है।
पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि 10,240 गौठान समितियों का गठन गायों के लिए नहीं बल्कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के प्रतिस्थापन के लिए किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर कब सड़कों से मवेशी हटेंगें और गौठानों के नाम पर हो रहा भारी-भरकम भ्रष्टाचार कब थमेगा ?