बी.सी.सखी के रूप में कार्य करके पवनरेखा को मिली अलग पहचान, गांव वाले बुलाते हैं बैंक वाली दीदी कहकर : घर-घर पहुँच कर दिव्यांग, वृद्ध एवं असहाय लोगों को राशि भुगतान कर सेवा भावना का उदाहरण कर रही हैं प्रस्तुत

बी.सी.सखी के रूप में कार्य करके पवनरेखा को मिली अलग पहचान, गांव वाले बुलाते हैं बैंक वाली दीदी कहकर : घर-घर पहुँच कर दिव्यांग, वृद्ध एवं असहाय लोगों को राशि भुगतान कर सेवा भावना का उदाहरण कर रही हैं प्रस्तुत

August 7, 2023 Off By Samdarshi News

बीसी सखी के रूप में पवनरेखा ग्रामीण क्षेत्रो मे बैकिंग सुविधाए करा रही है उपलब्ध

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, कोरबा

बदलते परिवेश एवं भाग दौड़ के इस समय में बैंक में वित्तीय लेनदेन का दबाव बढ़ा है साथ ही आमजनों को बैंक से वित्तीय लेनदेन में परेशानी का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे मे बीसी सखी (बैंकिग कोरेस्पोंडेंट एवं डिजि-पे दीदी) ग्रामीण क्षेत्रो में बैकिंग सुविधाए उपलब्ध करा रही है। बीसी सखी द्वारा दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों, वनांचलों ग्रामीण क्षेत्रो में सेवा भावना से लोगों के घर-घर जाकर दिव्यांग, वृद्धा एवं असहाय लोगो को पेंशन भुगतान के साथ ही ग्रामीणों को मनरेगा मजदूरी भुगतान, किसान सम्मान निधि योजना, समस्त पेंशन योजना, बीमा योजना आदि की राशि समय पर प्रदान की जा रही है।

ग्रामवासियों को पैसो के लेनदेन में अनावश्यक परेशानी न हो इस बात को ध्यान मे रखते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत गठित स्वसहायता समूह की महिलाओं को बैंक सखी के रूप में नियुक्त कर उन्हें इस कार्य के लिए प्रशिक्षित किया गया है। बैंक सखी बायोमीट्रिक डिवाइस, एंड्राइड फोन के साथ गांव-गांव जाकर मोबाईल बैंकिंग यूनिट के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है। बैंक सखी की नियुक्ति से लोगों को छोटी-छोटी राशियों के लेन-देन के लिए बार-बार बैंक जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इससे आम लोगों के बैंक आने-जाने में लगने वाले समय एवं धन की बचत होने के साथ ही बैंकों पर पड़ने वाले दबाव में भी कमी आई है। साथ ही बैंक सखी की नियुक्ति से ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा की राशि भुगतान, वृद्धा पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं बैंक खातों के माध्यम से होने वाले अन्य मजदूरी भुगतान में तेजी तथा नियमितता आई है।

विकासखंड कोरबा के ग्राम पंचायत नकटीखार  की श्रीमती पवनरेखा राठिया राष्ट्रीय आजीविका मिशन बिहान योजना अन्तर्गत बी.सी. सखी के रूप में काम कर रही है। बी.सी.सखी के रूप में कार्य करके पवनरेखा को अलग पहचान मिली है और उसे लोग बैंक वाली दीदी कहकर बुलाते हैं। उन्होंने बताया कि  वह मुस्कान स्वसहायता समूह की सदस्य है एवं पिछले 03 साल से बैंक सखी का कार्य कर रही है। पहले उनकी दिनचर्या कृषि कार्य और अपने रोजी-मजदूरी तक ही सीमित थी। अब वह बैंक सखी के रूप में नकटीखार करूमौहा, आंछीमार, बुन्देली, भुल्सीडीह, सिमकेंदा, सोल्वा, पसरखेत, मुढुनारा, लबेद, बताती, गेराव, कल्गामार, देवपहरी, लेमरू सहित अन्य पंचायतों में अपनी सेवाएं देतीं हैं। ऑनलाइन रूपए ट्रांसेक्शन के साथ ही सभी समूह की महिलाओं को ऑनलाइन पैसे ट्रांसेक्शन एवं कैशलेस की भी जानकारी देती है। उन्होंने बताया कि इस कार्य को करने के लिए जिला पंचायत के द्वारा आरसेटी में एक माह का प्रशिक्षण भी दिया गया है। पवनरेखा ने बीसी सखी के रूप में अब तक 82 लाख 62 हजार 520 रूपए का वित्तीय लेनदेन किया है, जिससे उन्हें लगभग 01 लाख रूपए तक की आमदनी प्राप्त हुई है।

वर्तमान में वह आर्थिक रूप से सशक्त होकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में विशेष रूप से योगदान दे रही हैं। साथ ही अपने बच्चों की पढ़ाई अच्छे स्कूल में करा पा रही है। आर्थिक बढोत्तरी के अलावा सामाजिक क्षेत्रों में भी सशक्त होकर दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन रही है और परिवार में उनका सम्मान बढ़ गया है। पवनरेखा ने छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान जैसे योजना से आज मैं अपनी अलग पहचान बनाकर अपने पैरों पर खड़ी हूं।