कैम्पाः वनवासियों के आस्था का केन्द्र ‘‘देवगुड़ियों’’ का तेजी से हो रहा विकास तथा सौन्दर्यीकरण, देवगुड़ियों के विकास से अवैध कटाई तथा अतिक्रमण पर हुआ नियंत्रण

कैम्पाः वनवासियों के आस्था का केन्द्र ‘‘देवगुड़ियों’’ का तेजी से हो रहा विकास तथा सौन्दर्यीकरण, देवगुड़ियों के विकास से अवैध कटाई तथा अतिक्रमण पर हुआ नियंत्रण

August 8, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में विभाग द्वारा राज्य के सुदूर वनांचल में वनवासियों के आस्था का केन्द्र ‘‘देवगुड़ियों’’ का संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य तेजी से जारी है। इस तारतम्य में जगदलपुर वनवृत के अंतर्गत बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा एवं बीजापुर वनमंडल के वन क्षेत्रों में ग्रामीणों की आस्था के प्रतीक देववन, देवगुड़ी तथा देव सरना आदि का संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य विभाग द्वारा किया जा रहा है। इनमेें वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक 94 देवगुड़ियों में संरक्षण एवं संवर्धन कार्य अंतर्गत उनके बाउण्ड्रीवॉल तथा चैनलिंक फैंसिंग इत्यादि का कार्य शत-प्रतिशत् पूर्ण कर लिया गया है।

इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री व्ही.श्रीनिवास राव ने जानकारी दी कि इनके विकास कार्य के लिए कैम्पा (छत्तीसगढ़ प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) के तहत 4 करोड़ 58 लाख रूपए की राशि स्वीकृत थी। मुख्य वन संरक्षक जगदलपुर श्री मोहम्मद शाहिद ने बताया कि देवगुड़ियों के संरक्षण एवं संवर्धन से स्थानीय वनवासियों के विश्वास तथा आस्था को मजबूती मिली है। जिससे स्थानीय वनवासी आज वन विभाग को अवैध कटाई, अतिक्रमण पर रोकथाम सहित अग्नि सुरक्षा आदि के कार्यों में वनों के विकास के लिए परस्पर सहयोग प्रदान करने में जुटे हुए हैं।

गौरतलब है कि जगदलपुर वनवृत जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र है। यहां पर निवासरत जनजातियों में विभिन्न प्रकार की स्थानीय मान्यताओं के साथ-साथ कई देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है। इन देवी-देवताओं के पूजा स्थल सुदूर वन क्षेत्र में स्थित है। जिसे वे पवित्र स्थल के रूप में मानते हैं तथा वहां किसी प्रकार की अवैध कटाई, अतिक्रमण अन्य निषिद्ध कार्य को नहीं करते हैं। इन स्थलों पर बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित रहता है। इन स्थलों पर उनकी मनोभावनाएं जुड़ी रहती है। राज्य सरकार की मंशानुसार स्थानीय ग्रामीणों तथा वनवासियों के इन मान्यताओं को बनाए रखने हेतु देवगुड़ियों का संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य कराया जा रहा है।