चन्द्रहासिनी समूह की दीदियों द्वारा निर्मित इकोफ्रेंडली गणपति विराजेंगे इस बार घरों और पंडालों में

चन्द्रहासिनी समूह की दीदियों द्वारा निर्मित इकोफ्रेंडली गणपति विराजेंगे इस बार घरों और पंडालों में

September 13, 2023 Off By Samdarshi News

आकर्षक रंगों और आकार में 2 सौ रुपये से 4 हजार रुपये तक विक्रय हेतु उपलब्ध

रीपा से जुड़कर बदल रही जिंदगी

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

राज्य की महिला स्व सहायता समूहों ने अपने हुनर और मेहनत से एक नई पहचान बनाने में सफलता हासिल की है। चाहे एलईडी बल्ब का निर्माण हो, फेंसिंग तार जाली का निर्माण हो, फ्लाई ऐस ईंट या गोबर पेंट का निर्माण हो या खाद्य सामग्री का निर्माण हो, सब में उच्च गुणवत्ता और मानकों का ध्यान रखते हुए एक सफल उद्यमी के रूप में महिला स्व सहायता समूह अपना नाम दर्ज करा रहे हैं। हाल ही में रक्षाबंधन के अवसर पर महिला समूह ने कम कीमत पर आकर्षक राखियां बनाकर अपने हुनर से सबको परिचित कराया था। 

इसी तारतम्य में अब जब गणेश चतुर्थी का त्यौहार आने वाला है तो ऐसे समय पर महासमुंद जिले में समूह की महिलाओं ने इसे एक अवसर के रूप में देखते हुए गणेश मूर्तियों का निर्माण किया है। महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क गोड़बहाल से जुड़कर मां चन्द्रहसिनी महिला समूह की दीदियां विभिन्न आकार और रंगो की आकर्षक गणेश मूर्ति का निर्माण कर रही हैं ।  ये महिला समूह पहले माटी कला कार्य से जुड़कर कार्य कर रही थीं। अब रीपा योजना के पश्चात इन्हें ज्यादा संसाधन और अवसर मिला। 

महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखंड के ग्राम पंचायत गोडबहाल गौठान से जुड़ी रीपा योजनांतर्गत चंद्रहासिनी स्व सहायता समूह की महिलाएं  गणेश मूर्ति का निर्माण कर रही हैं। इस बार समूह की दीदियों द्वारा बनाए गए गणपति  घरों और जगह जगह पंडालों में विराजेंगे।

समूह की अध्यक्ष नीरा निषाद ने बताया कि वे लगभग 500 गणेश मूर्तियों का निर्माण कर रही हैं। अभी पहली खेप बाजार में उतर गई है जिसे अच्छा प्रतिसाद मिला है। वह बताती है कि इस बार गणेश मूर्ति के बिकने से ही करीब 1 लाख रुपए आय होने की उम्मीद है ।उन्होंने बताया कि उनके पास विभिन्न आकार में 200 से लेकर 4000 रुपए तक का गणेश उपलब्ध है जो विभिन्न रंगों और आकर्षक तरीके से बनाए गए हैं ।

उन्होंने बताया कि रीपा योजना से जुड़ने के पहले सभी सदस्य खेतीहर मजदूरी व माटी कला से जुड़े कार्य करते थे। माटी कला कार्य के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं था तथा सतत आय का भी जरिया नहीं था। अब रीपा अंतर्गत अपनी रुचिकर और परंपरागत कार्य को करने में हमें खुशी के साथ साथ आत्मनिर्भरता का अनुभव होता है। उन्होंने बताया कि समूह में 10 महिलाएं हैं। रीपा योजना लागू होने के बाद चंद्रहासिनी स्व सहायता समूह द्वारा माटी कला का कार्य किया जा रहा है। बाजार व्यवस्था के रीपा एवं स्थानीय बाजार में माटीकला गतिविधि से प्रतिमाह लगभग 8 हजार रूपए की आमदनी हो जाती है। अब तक माटी कला कार्य से समूह को खर्च काटकर लगभग 3 लाख रुपए की आमदनी हो चुकी है। इस तरह समूह के सभी सदस्य गण माटी कला के कार्यों को अपना भविष्य मानकर राज्य शासन को धन्यवाद ज्ञापित किया है।