अपने आप को किसान कहने वाले मुख्यमंत्री किसानों का धान क्यो रिजेक्ट कर रहे है : भाजपा

अपने आप को किसान कहने वाले मुख्यमंत्री किसानों का धान क्यो रिजेक्ट कर रहे है : भाजपा

December 6, 2021 Off By Samdarshi News

किसानों का धान रिजेक्ट कर कांग्रेस सरकार ने फिर साबित किया वो किसान विरोधी है : विष्णु देव साय

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर,  भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा है कि विभिन्न धान ख़रीदी केंद्रों से किसानों का धान रिजेक्ट करने की आ रही ख़बरें प्रदेश सरकार की किसानों के प्रति घोर संवेदनहीनता की परिचायक हैं, जबकि किसानों की फसल प्रदेश सरकार के हठीलेपन और षड्यंत्रकारी मानसिकता के कारण बेमौसम बारिश में खराब हुई है। श्री साय ने कहा, भाजपा ने प्रदेश सरकार को आगाह किया था कि प्रदेश सरकार ने 01 नवम्बर से धान ख़रीदी शुरू नहीं करके किसानों को आपदा का शिकार बनाया है और अब उसे हर हाल में किसानों का पूरा धान मापदंडों को शिथिल करके ख़रीदना चाहिए।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उत्तरप्रदेश के किसानों के नाम पर घटिया राजनीति तो खूब कर रहे हैं हैं, वहाँ जाकर सियासी लफ़्फ़ाजियाँ कर रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के किसानों के प्रति उनमें रत्तीभर संवेदना नहीं है। कीट-प्रकोप, बीनारियों और बेमौसम बारिश की मार से धान के उत्पादन में गिरावट आई है। किसान जैसे-तैसे अपनी फसल बचाकर ख़रीदी केंद्रों में समर्थन मूल्य पर धान बेचने पहुँच रहे हैं तो वहाँ धान में नमी और धान के लाल होने की बात करके धान को रिजेक्ट किया जा रहा है। श्री साय ने कहा कि संबंधित ज़वाबदेह अधिकारी भी किसानों की गुहार को अनसुना कर अपनी ज़वाबदेही से पल्ला झाड़ने में लगे हैं। श्री साय ने कहा कि किसानों की फसल के रिजेक्ट करके प्रदेश सरकार किसानों को प्रताड़ित करने का काम कर रही है। अगर किसानों का धान ख़रीदने में प्रदेश सरकार इसी तरह आनाकानी करेगी तो किसान अपना कर्ज़ कैसे चुका पाएंगे? आख़िर प्रदेश सरकार अपने प्रदेश के किसानों को और कितना ख़ून के आँसू रुलाएगी?

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि बस्तर ज़िले के सबसे पुराने बिरिंगपाल धान संग्रहण केंद्र में धान के रखरखाव की समुचित व्यवस्था और समय पर उठाव नहीं होने के कारण यहाँ रखा लगभग 20 हज़ार क्विंटल धान बेमौसम बारिश में भीगकर सड़ गया है, जो प्रदेश के अन्नदाताओं के परिश्रम का खुला अपमान और राष्ट्रीय सम्पदा की भारी क्षति है। अब इसकी ज़वाबदेही लेने से भी प्रदेश सरकार और उसके संबंधित नौकरशाह अपना मुँह चुरा रहे हैं। श्री साय ने कहा कि आला अफ़सर धान की सुरक्षा का ज़िम्मा संग्रहण केंद्र प्रभारी पर डालकर अपनी जान छुड़ाने की फ़िराक़ में हैं जबकि धान ख़रीदी और संग्रहण केंद्रों में धान की सुरक्षा के समुचित प्रबंधों को लेकर शासन-प्रशासन कभी ध्यान नहीं दिया। श्री साय ने कहा कि मिलर्स द्वारा बारदाना नहीं दिए जाने पर किसानों को 50 फ़ीसदी बारदाने के साथ धान बेचने के लिए विवश करने की सामने आ रहीं ख़बरें भी प्रदेश सरकार के किसान-विरोधी चरित्र का परिचायक है। प्रदेश सरकार अपने तुग़लक़ी फ़रमानों से किसानों को प्रताड़ित करना बंद करे।