भाजपा ने अपने शासनकाल में मंडी टैक्स समाप्त क्यों नहीं किया ?, रमन सरकार के दौरान मंडी टैक्स व्यापारी देते थे या किसान ? : कांग्रेस

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर, भाजपा की प्रेसवार्ता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा मंडी शुल्क के नाम से मात्र किसानों के बीच भ्रम फैलाने की राजनीति कर रही है। छत्तीसगढ़ में किसान अभी सोसायटी के माध्यम से समर्थन मूल्य के अतिरिक्त 600 रूपये प्रति क्विंटल इनपुट सब्सिडी मिलाकर 2540 रु एवं 2560 रु क्विंटल की कीमत में धान बेच रहे है। किसान मंडी में जाकर धान नही बेच रहे है। भाजपा नेताओं में नैतिकता है तो किसानो के द्वारा केन्द्र सरकार से मांगी जा रही एमएसपी की गारंटी वाली कानून का समर्थन कर केन्द्र सरकार से एमएसपी की गारंटी वाली कानून पास करवाये। ताकि प्रदेश एवं देश भर के किसानों को सरकारी खरीदी के अलावा अन्य स्थानों पर भी उपज का एमएसपी मिल सके। मंडी शुल्क का भुगतान खरीददार व्यापारी करता है किसान तो मंडी में धान के बेचने जाते हैं, मंडी शुल्क में वृद्धि मंडी में धान बेचने वाले किसानों को सुविधा प्रदान करने मंडी के व्यवस्थाओं को आधुनिकरण बेहतर करने के लिए किया गया है। भाजपा मंडी शुल्क का विरोध कर एक प्रकार से किसानों के हितों का विरोध कर रही है मंडी के व्यवस्थाओं को सुधारने के खिलाफ है। यह वही भाजपा है जिसकी केंद्र सरकार तीन काला कृषि कानून लाकर मंडी व्यवस्थाओं को ही ध्वस्त करने में लगी थी किसानों को चंदपूंजीपतियों के गुलाम बनाने की साजिश कर रही थी।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा से सवाल किया रमन सरकार थी तब मंडी टैक्स का भुगतान व्यापारी करता था? कि किसान? मंडी टैक्स का विरोध कर रही भाजपा 15 साल में मंडी टैक्स को समाप्त क्यों नहीं किया? रमन सरकार ने वादानुसार किसानों से धान 2100 रु प्रति क्विंटल की दर से क्यो नहीं खरीदा? 300रु प्रति क्विंटल बोनस क्यो नहीं दिया? वर्तमान में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार किसानों को धान की कीमत एकमुश्त 2500 रू. प्रति क्विंटल दे रही थी तब यही  भाजपा की केन्द्र सरकार विरोध कर रही थी। मोदी सरकार धान ख़रीदी में नियम शर्ते क्यों लगा रही है? किसानों के नाम से घड़ियाली आंसू बहाने वाले भाजपा नेता छत्तीसगढ़ में किसानों के धान खरीदी में अवरोध बाधा उत्पन्न करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। मोदी सरकार के किसान विरोधी कृत्य पर पर्दा डाल रहे हैं।

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