हार्ट के अंदर स्थित बहुत बड़े आकार के दुर्लभ कैंसर ट्यूमर का सफल ऑपरेशन डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में
October 31, 2023एक लाख में से एक को होने वाले इस दुर्लभ ट्यूमर का ऑपरेशन डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में किया गया
हृदय के चार चेम्बर में से एक लेफ्ट एट्रियम ( Atrium) यानी बायां निलय के अंदर स्थित था ट्यूमर
एक साल से सांस लेने में तकलीफ के साथ लगातार खांसी से पीड़ित था मरीज
लगभग 140 ग्राम के ट्यूमर को निकालने के लिए मरीज के हार्ट को पूरी तरह बंद किया और बायपास मशीन की सहायता से निकाला ट्यूमर
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर
डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू ने 50 वर्षीय मरीज के दिल में स्थित चार चैम्बरों (कक्ष) में से एक लेफ्ट एट्रियम में स्थित हार्ट के दुर्लभ कैंसर ट्यूमर का सफल ऑपरेशन कर मरीज की जान बचाई है। लगभग 140 ग्राम के इस ट्यूमर को निकालने के लिए मरीज के हार्ट को पूरी तरह बंद किया गया और बाइपास मशीन की सहायता से ऑपरेशन कर ट्यूमर को निकाला गया। ऑपरेशन के सात दिन बाद आज यह मरीज डिस्चार्ज होकर घर चला गया। एसीआई पहुंचने से पहले मरीज को एक साल से सांस लेने में तकलीफ थी और वह खांसी का इलाज करवा रहा था।
गुंडरदेही के 50 वर्षीय व्यक्ति सांस फूलने की शिकायत के साथ एसीआई के कार्डियक सर्जरी ओपीडी में आया। मरीज को विगत एक साल से सांस फूलने एवं खांसी की शिकायत हो रही थी एवं 2 महीनों से बहुत ही ज्यादा सांस फूलने लगी थी जिसके कारण मरीज को प्राइवेट अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था। वहां पर हृदय के वाल्व खराब होने का कारण बताया गया। कार्डियक सर्जरी ओपीडी में विभागाध्यक्ष कार्डियक सर्जरी विभाग डॉ. कृष्णकांत साहू द्वारा जांच करने पर पता चला कि उसके हार्ट के अंदर ट्यूमर या गांठ है एवं ऑपरेशन तुरंत करने की सलाह दी गई। हार्ट के अंदर ट्यूमर होने वाली बात मरीज को पता चला तो उन्हें यकीन नहीं हुआ। मरीज को समझ नहीं आ रहा था कि हार्ट के चेम्बर के अंदर भी ट्यूमर हो सकता है। डॉ. साहू ने बताया कि मनुष्य के हृदय में 4 चेंबर होते हैं:- दायां आलिंद, दायां निलय, बायां आलिंद, बायां निलय ( right atrium, right ventricle, left atrium, left ventricle )। मरीज के लेफ्ट एट्रियम के अंदर पूरा ट्यूमर फैल गया है एवं यह माइट्रल वाल्व को पार करके लेफ्ट वेंट्रिकल में भी प्रवेश कर रहा है। ऐसी स्थिति में ऑपरेशन जल्दी करनी पड़ती है क्योंकि कभी भी वाल्व बंद (चोक) हो जाने का खतरा रहता है। यदि वाल्व चोक हो गया तो मरीज की तुरंत मृत्यु हो सकती है। ऐसे मरीजों को लकवा का भी खतरा होता है क्योंकि ट्यूमर से छोटे-छोटे टुकड़े निकल कर दिमाग की नसों को ब्लॉक कर कर देते हैं जिससे लकवा का खतरा हो सकता है। या फिर हाथ पैर की नसों में ब्लॉकेज के कारण हाथ पैर में गैंग्रीन हो सकता है।
ऐसे किया गया ऑपरेशन
मरीज के हृदय एवं फेफड़े को बंद करके उसे कृत्रिम हृदय एवं फेफड़े में रखा गया जिसको हार्ट लंग बायपास मशीन कहा जाता है। जैसे ही हार्ट को बंद किया गया उसके बाद हार्ट के दायें एवं बायें आलिंद ( right and left atrium ) को ओपन करके ट्यूमर को निकाला गया एवं साथ ही साथ दोनों एट्रियम के बीच के दीवाल ( Inter Atrial Septum ) को भी काट कर निकाला गया जिससे ट्यूमर दोबारा न हो। उसके बाद विशेष प्रकार के कपड़े जैसे मटेरियल जिसको डबल वेल्वोर डेक्रॉन ( double velour dacron ) के टुकड़े लगवाकर पुनः दोनों आलिंद के बीच दीवाल बनाई गई। एवं माइट्रल वाल्व को रिपेयर किया गया। इस ऑपरेशन में लगभग साढ़े तीन घंटे का समय एवं तीन यूनिट ब्लड लगा।
यह मरीज स्वस्थ होकर घर जाते जाते एसीआई के कार्डियक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों एवं स्टाफ को धन्यवाद करते हुए कहा कि सही समय में बीमारी का पता चल गया जिससे उसकी जान बच सकी। वास्तव में इस अस्पताल में मरीज को मिलने वाला उपचार एवं सुविधाओं की जितनी सराहना की जाए कम है। मरीज का उपचार डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना से निशुल्क हुआ।