नेशनल लोक अदालत में 245 प्रकरणों का निराकरण, 10 खंडपीठों में हुई सुनवाई, 225 लंबित और 20 प्री लिटिगेशन प्रकरणों का किया गया निराकरण, स्वास्थ्य जांच शिविर भी आयोजित

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

जगदलपुर, बस्तर जिले में आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में 245 प्रकरणों का निराकरण किया गया। इनमें 225 लंबित और 20 प्री लिटिगेशन के मामले हैं। नेशनल लोक अदालत का आयोजन भौतिक उपस्थिति एवं वर्चुअल उपस्थिति के माध्यम से किया गया ।

“नेशनल लोक अदालत हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जिले में कुल 10 खण्डपीठों में सुनवाई की गई, जिनमें खण्डपीठ कमांक-1 श्रीमती सुमन एक्का, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, खण्डपीठ कमांक – 2 श्री अशोक कुमार साहू, न्यायाधीश परिवार न्यायालय जगदलपुर खण्डपीठ कमांक – 3 श्री ग्रेगोरी तिर्की चेयरमेन स्थायी लोक अदालत जगदलपुर खण्डपीठ कमांक – 4 श्री डीआर देवांगन, प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जगदलपुर, खण्डपीठ कमांक-5 श्रीमती निधि शर्मा तिवारी, तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जगदलपुर खण्डपीठ कमांक-6 श्री एसएल मात्रे, पीठासीन अधिकारी श्रम न्यायालय जगदलपुर खण्डपीठ कमांक 7 श्री बलराम कुमार देवांगन, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 / मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर खण्डपीठ कमांक 8 श्रीमती अनिता ध्रुव, द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 / प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर खण्डपीठ कमांक 9 सुश्री सीमा कंवर, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 /  प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर एवं खण्डपीठ कमांक – 10 श्रीमती श्रद्धा सिंह, चतुर्थ व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 / प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर के न्यायालय की खण्डपीठ शामिल है।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव गीता बृज ने बताया कि आयोजित नेशनल लोक अदालत में कुल रखे गये लंबित 775 प्रकरणों में से मोटर दुर्घटना दावा से संबंधित 08 प्रकरणों में अंतिम निराकरण करते हुए मोटर दुर्घटना से पीड़ित व्यक्तियों को कुल 33,75,000 / रूपये की क्षतिपूर्ति दिये जाने का आदेश दिया गया। जिला न्यायालयों द्वारा 48 आपराधिक प्रकरण, व्यवहार वाद के 05 प्रकरण, धारा 138 नि0ई0एक्ट के 15 प्रकरण, पारिवारिक 09 प्रकरण, जनोपयोगी सेवाओं से संबंधित 03 प्रकरण, श्रम न्यायालय जगदलपुर द्वारा 10 प्रकरण एवं राजस्व न्यायालयों द्वारा 62 प्रकरण तथा स्पेशल सिटिंग के अन्तर्गत 65 प्रकरणों का निराकरण आपसी सुलह समझौता के आधार पर किया गया ।

इसी प्रकार सभी प्रमुख बैंकों, बीएसएनएल विभाग एवं नगरनिगम (जल प्रदाय शाखा) द्वारा रखे गये कुल 1573 प्रकरणों में से बैंकों के 14 प्रकरणों में रूपये 30,22,384.92 तथा बी०एस०एन०एल० के 06 प्रकरणों में कुल रूपये 8,939 /- के समझौता राशि के आधार पर प्रस्तुत प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का अंतिम निराकरण किया गया ।

छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के दिशा-निर्देशों के अनुसार जिला न्यायाधीश श्रीमती सुमन एक्का एवं बस्तर जिला कलेक्टर श्री रजत बंसल के मार्गदर्शन में आयोजित नेशनल लोक अदालत के अवसर पर जिले के राजस्व न्यायालयों द्वारा कुल 62 राजस्व प्रकरणों का निराकरण किया गया ।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव गीता बृज ने यह भी बताया कि आयोजित नेशनल लोक अदालत के अवसर पर न्यायालय परिसर में उपस्थित होने वाले न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों, अधिवक्ताओं एवं पक्षकारगणों के स्वास्थ्य जांच किए जाने के संबंध में स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के सहयोग से स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन भी किया गया था। आयोजित स्वास्थ्य जांच शिविर में न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों, अधिवक्ताओं एवं पक्षकारगणों द्वारा अपना स्वास्थ्य जांच भी कराया गया ।

“सबको शीघ्र और सस्ता न्याय जिसमें न किसी की जीत और न किसी की हार” आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में कई लोगों को आपसी सुलह समझाईस से राजीनामा किए जाने के कारण उन्हें न्यायालयीन प्रकरणों में राहत मिली।

परिवार न्यायालय जगदलपुर के न्यायालय में

1. एम.जे.सी. प्र.क. 70/2021, श्रीमती कांति नाग एवं अन्य विरुद्ध प्रेमशंकर नाग के प्रकरण में –

उक्त प्रकरण में आवेदिका और अनावेदक का विवाह दिनांक 20/5/2016 को हिन्दू रीति रिवाज अनुसार अनुसार रिश्तेदारों एवं समाज के प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति में हुआ था विवाह के पश्चात् दोनों से दाम्पत्य जीवन से एक पुत्री का जन्म हुआ है। विवाह पश्चात् अनावेदक आवेदिका को छोटी छोटी बातों को लेकर परेशान करने लगा, आवेदिका ने अपने माता-पिता को अनावेदक के उक्त कृत्य से अवगत कराया, जिस पर आवेदिका की माता के द्वारा समझाये जाने पर कुछ दिन शांत रहने उपरांत पुनः आवेदिका को मानसिक एवं शारीरिक रूप से परेशान करना आरंभ करते हुए उसे घर से निकाल दिया था जिसके कारण विगत 2 वर्ष से आवेदिका अपनी पुत्री के साथ असहाय अवस्था में अपने माता-पिता के घर में मुश्किल से जीवन यापन कर रही है। अनावेदक द्वारा भरण-पोषण हेतु ध्यान न दिये जाने पर आवेदिका ने दिनांक 15/7/2021 को अनावेदक के विरूद्ध रूपये 25000/- प्रतिमाह भरण पोषण राशि दिलाए जाने हेतु यह प्रकरण परिवार न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। प्रकरण के लंबनकाल के दौरान उभयपक्ष के मध्य सुलह होने और विवाह का आपसी निपटारा हो जाने से और आवेदिकागणों को अपने साथ अपने घर ले जाकर रखे जाने हेतु उभयपक्ष की सहमति से प्रकरण उक्त प्रकरण रखे जाने से उक्त प्रकरण न्यायालय के पीठासीन अधिकारी एवं सुलहकर्ता सदस्यों द्वारा समझाईस देकर उनके मध्य विवाद को समाप्त कराया गया तथा उन्हें भविष्य में सुखमय पारिवारिक जीवन व्यतीत करने की शुभकामनाएं भी दी गई ।

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