मोदी राज में अर्थव्यवस्था का बंटाधार : जनता की बदहाली ही मोदी सरकार की असल गारंटी है – कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा

मोदी राज में अर्थव्यवस्था का बंटाधार : जनता की बदहाली ही मोदी सरकार की असल गारंटी है – कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा

January 17, 2024 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ – रायपुर : मोदी सरकार के आर्थिक नीतियों और वित्तीय कुप्रबंधन पर सवाल उठाते हुये छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केंद्र में मोदी की सरकार आने के बाद से कर्ज और जीडीपी का अनुपात बहुत तेजी से बिगड़ना शुरू हुआ, 2016 में देश पर कुल कर्ज जीडीपी के अनुपात का 45% परसेंट था जो वर्ष 2020-21 में 60% प्रतिशत हो गया और वर्तमान में लगभग 81% प्रतिशत से ऊपर पहुंच चुका है। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 2014 में देश पर कुल कर्ज का भार 54 लाख करोड़ था, जो वर्तमान में बढ़कर 205 लाख करोड़ हो चुका है अर्थात विगत साढ़े 9 वर्ष में ही कर्ज 380% प्रतिशत बढ़ा है। इस दौरान ही देश के 30 बड़े सार्वजनिक उपक्रम बेच दिए गए, बनाए/निर्माण एक भी नहीं।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी राज में देश के परिवारों की बचत 50 साल में सबसे न्यूनतम स्तर पर है। ये जीडीपी के अनुपात में 5.1% प्रतिशत पर आ गिरी है, जबकि सरकार का कुल क़र्ज़ (राजकोषीय घाटा-केन्द्र सरकार : 5.9% प्रतिशत, राज्य : 3.1% प्रतिशत) क़रीब 9% प्रतिशत तक रहने का आकलन है। इस हिसाब से पता चलता है कि देश के परिवार जितना बचा रहे हैं, उससे अधिक तो अकेले सरकार को क़र्ज़ लेना होगा। यही सबसे खतरनाक पक्ष है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि IMF के मुताबिक़ Debt to DGP Ratio 60% प्रतिशत के भीतर होना चाहिये, पर वह अभी 81% प्रतिशत पर है, और IMF ने इसपर चेतावनी भी दी है, जिसे मोदी सरकार ने आदतन तरीक़े से नकारा है। मोदी सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन और अनर्थ-शास्त्र के चलते ही भारत सरकार क़र्ज़ के चक्रव्यूह में लगातार फँसती जा रही है। कहीं ये ना हो कि विश्व की कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तरह हमारी अर्थव्यवस्था और देश का भविष्य दोनों कुचक्र में उलझकर बड़ी मुसीबत में पड़ जाएँ। मोदी सरकार ज़्यादा ख़र्च करने का ढिंढोरा पीटती है, पर असलियत यह है कि 15 मंत्रालयों ने अब तक पिछले बजट का केवल 17.8 प्रतिशत ही ख़र्च किया है। इसमें MSME, पेट्रोलियम, सिविल एवियेशन, फ़ूड प्रोसेसिंग, कॉरपोरेशन, अल्पसंख्यक, पूर्वोत्तर मंत्रालय शामिल हैं।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ पर कुल कर्ज का भार 82125 करोड़ है जो कुल जीडीपी 5.09 लाख करोड़ का लगभग 16% प्रतिशत है। केंद्र और भाजपा शासित राज्यों में 25% प्रतिशत से 40% प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में विगत 5 वर्षों में कांग्रेस सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ अर्थव्यवस्था के तीनों सेक्टर कृषि, उत्पादन और सेवा तीनों में राष्ट्रीय औसत से बेहतर रहा है। केंद्र की मोदी सरकार से न देश संभाल रहे हैं, ना ही देश की अर्थव्यवस्था। केंद्र के आंकड़ों में ही 90% प्रतिशत एमएसएमई तीन वर्ष के भीतर ही बंद हो जा रहे है, मेक इन इंडिया भी जुमला साबित हुआ। निर्यात घट रहे है और आयात पर निर्भरता दिनों दिन बढ़ रही है। भुखमरी इंडेक्स में लगातार पीछे रहे है, बेरोजगारी ऐतिहासिक रूप से चरम पर है, असमानता बढ़ रही है, गरीब और गरीब हो रहा है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार की प्राथमिकता केवल पूंजीपति मित्रों का मुनाफा है।