स्टेट बैंक आफ इंडिया का बीजेपी से हुआ गठबंधन, दोनों मिलकर छिपा रहे चुनावी बॉन्ड की जानकारी – सुशील आनंद शुक्ला

Advertisements
Advertisements

समदर्शी न्यूज़, रायपुर : प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि स्टेट बैंक भाजपा के घोटाले पर पर्दा डालने में लगी है। भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुये इसे रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना के तहत राजनीतिक दलों को प्राप्त चंदे का खुलासा करने के निर्देश दिये थे। सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ( SBI ) को निर्देश दिये थे की वो चुनावी चंदे से संबंधित संपूर्ण जानकारी 6 मार्च 2024 (लोकसभा चुनाव के पूर्व) के पहले सार्वजनिक करते हुए चुनाव आयोग को सौंपे। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फ़ैसले का पूरे देश ने बढ़ चढ़कर स्वागत किया था और इसे चुनाव में कालेधन के उपयोग और सत्ता में पूँजीपतियों की ग़ैर क़ानूनी हिस्सेदारी के खिलाफ सबसे बड़ा कदम माना जा रहा था। सत्ताधारी बीजेपी, जो कि चुनावी बॉन्ड योजना की इकलौती सबसे बड़ी लाभार्थी है, सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से बेचैन थी। बीजेपी को डर था कि उसके चंदा देने वाले मित्रों की जानकारी सार्वजनिक होते ही बीजेपी की बेईमानी का सारा भंडाफोड़ हो जायेगा। चंदा कौन दे रहा था, उसके बदले उसको क्या मिला, उनके फ़ायदे के लिए कौन से क़ानून बनाये गये, क्या चंदा देने वालों के ख़लिफ़ जाँच बंद की गयीं, क्या चंदा लेने के लिए जाँच की धमकी दी गयीं, यह सब पता चल जाएगा। बीजेपी और मोदी सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक पर जानकारी साझा नहीं करने का दबाव बनाया और कल स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आवेदन देकर जानकारी साझा करने के लिए 30 जून तक का समय मांग लिया।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा देश की जनता जानना चाह रही है कि

ऽ देश के सबसे बड़े पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत बैंक को इलेक्टोरल बॉंड की जानकारी देने के लिये 5 माह का समय क्यों चाहिए ? जबकि संपूर्ण जानकारी एक क्लिक से 5 मिनट में निकाली जा सकती है।

ऽ स्टेट बैंक ने जानकारी देने के लिये और समय की माँग जानकारी देने की अंतिम तिथि के एक दिन पहले ही क्यों की ? क्या कितना समय लगेगा इसकी गणना करने के लिये भी एक माह का समय लग गया ?

ऽ 48 करोड़ अकाउंट, 66 हज़ार एटीएम और 23 हज़ार ब्रांच संचालित करने वाली SBI को केवल 22217 इलेक्टोरल बॉंड की जानकारी देने के लिये 5 महीने का समय चाहिए ?

ऽ सवाल उठता है कि क्या देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक भी अब बीजेपी सरकार की आर्थिक अनियमितता और कालेधन के स्रोत को छिपाने का ज़रिया बन रहा है।

ऽ सवाल उठता है कि क्या एक राजनीतिक दल और एक सरकारी बैंक मिलकर देश की उच्चतम अदालत के फ़ैसले को ठेंगा दिखा रहे हैं।

ऽ सवाल उठता है कि क्या लोकसभा चुनाव के पहले देश की जनता को सही जानकारी प्राप्त कर मतदान में सही निर्णय लेने का हक़ नहीं है ?

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा सिप्रीम कोर्ट के समक्ष स्टेट बैंक ने जानकारी देने के लिये नहीं बल्कि बीजेपी के कुकर्मों को छिपाने के लिये समय माँगा है। देश की जनता अब अच्छे से समझ रही है कि किस तरह से सरकारी एजेंसियों/संस्थाओं पर दबाव डालकर सच्चाई को छिपाया जा रहा है। देश की जनता यह भी समझ रही है हक़ीक़त छिपाने, और झूठी कहानी बनाने में मीडिया भी मोदी सरकार का हमजोली बना हुआ है।

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!