परिवर्तन के लिए ज्ञान का आदान-प्रदान : जशपुर से जव्हार, महाराष्ट्र के किसानों ने सीखा खाद्य प्रसंस्करण का “छत्तीसगढ़िया गुर”

परिवर्तन के लिए ज्ञान का आदान-प्रदान : जशपुर से जव्हार, महाराष्ट्र के किसानों ने सीखा खाद्य प्रसंस्करण का “छत्तीसगढ़िया गुर”

April 7, 2024 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़, जशपुर : जव्हार, पालघर, महाराष्ट्र के आठ आदिवासी किसान, छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में खाद्य प्रसंस्करण के प्रशिक्षण एवं खाद्य योग्य महुआ फूल प्रसंस्करण के एक्सपोज़र विजिट पर आये। जशपुर की अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने सीखा कि खाद्य ग्रेड महुआ के फूलों को कैसे इकट्ठा किया जाए और उनका प्रसंस्करण किया जाए। उन्होंने महुआ के फूलों को सीधे नेट में जमा करना, सफाई करना एवं सुरक्षित रूप से सुखाने की कला और कुटकी (लिटिल मिलेट)  के सावधानीपूर्वक प्रसंस्करण के बारे में भी जानकारी हासिल की।

समूह को चावल के लिए स्वचालित ढेकी प्रक्रिया से भी परिचित कराया गया, जो घर पर उनके चावल प्रसंस्करण के तरीकों को सुव्यवस्थित कर सकता है एवं उनके उत्पादों को बेहतर मूल्य दिला सकता है। किसानों ने अपनी फसलों में विविधता लाने की संभावनाओं को देखते हुए सेब, नाशपाती और स्ट्रॉबेरी की खेती की बारीकियां भी सीखी एवं उन किसानो एवं किसान संगठनों से मिल कर चर्चा की। उन्होंने चाय बागान का भी दौरा किया और चाय की खेती की बारीकियों के बारे में जानकारी हासिल की।

जय जंगल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक एवं खाद्य प्रसंकरण सलाहकार समर्थ जैन के प्रयासों ने किसानों को प्रशिक्षण और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दौरे के अंतिम दिन डॉ रवि मित्तल ने किसानों से भेट कर विस्तृत चर्चा की एवं उनका उत्साह वर्धन किया।

“महाराष्ट्र के जव्हार तालुका के आदिवासी किसानों की जशपुर यात्रा यहाँ हो रहे कृषि कार्य, महुआ प्रसंस्करण आदि को देखने के लिए थी। महुआ और मिलेटस पर हमारे काम के बारे में उनका उत्साह और प्रेरणा हमें जशपुर में आदिवासी समुदाय के विकास की आशा देती है। विचारों का यह आदान-प्रदान यह साबित करता है कि जब हम एक साथ काम करते हैं और एक-दूसरे की सफलताओं से सीखते हैं, तो हम अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।” – डॉ.रवि मित्तल

जशपुर कलेक्टर श्री मित्तल ने कहा कि इस एक्सपोज़र विजिट का जव्हार के आदिवासी किसानों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। वे अपनी यात्रा के दौरान प्राप्त ज्ञान, विशेष रूप से महुआ फूल के बारे में, जिसका उपयोग विभिन्न खाद्य उत्पादों के लिए किया जा सकता है, का उपयोग करके अपनी कृषि पद्धतियों को बदल सकते हैं। इससे आय सृजन के नए रास्ते खुलेंगे, जिससे उन्हें और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।

ज्ञान के आदान-प्रदान और अन्य जनजातीय क्षेत्रों में सफल मॉडलों की प्रतिकृति की संभावना स्पष्ट है। मुंबई में जशपुर उत्पादों का प्रचार करते समय, जव्हार के आदिवासी किसानों को इस प्रक्रिया के बारे में जिज्ञासा हुई। जव्हार से जशपुर तक इन आदिवासी किसानों के परिवर्तन की कहानी ज्ञान और सहयोग की शक्ति का प्रमाण है। यह यात्रा संभावित रूप से एक स्थायी प्रभाव पैदा कर सकती है, जिससे देश भर के आदिवासी किसानों के लिए उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

शॉप फॉर चेंज फेयर ट्रेड, मुंबई स्थित एनजीओ , ने जव्हार के आदिवासी किसानों की इस  ज्ञान के आदान-प्रदान यात्रा को शुरू करने का बीड़ा उठाया, जो भारत में आदिवासी किसानों की मदद के लिए समीर अठावले की अध्यक्षता में एक सराहनीय पहल है। एक दशक से अधिक समय से, वे इन किसानों की क्षमता और बाजार संपर्क में सुधार के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। उनका प्रभाव विशेष रूप से महाराष्ट्र के जव्हार तालुका में उल्लेखनीय रहा है, जहां उन्होंने किसानों को अपनी मिर्च लंदन में निर्यात करने में सक्षम बनाया। अक्टूबर 2023 से, शॉप फॉर चेंज फेयर ट्रेड ने बाजार संबंधों को मजबूत करने और अपने प्रभाव को और अधिक विस्तारित करने के लिए जशपुर जिला प्रशासन के साथ हाथ मिलाया है।