बघेल खुद शराब बेच रहे और मां बहनों को गृहकलह का रास्ता दिखा रहे हैं- भाजपा, क्या शराबबंदी के लिए सोनिया, राहुल, प्रियंका की सहमति चाहिए? – डॉ रमन सिंह

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर,  भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने राज्य में शराबबंदी के वादे पर अमल करने में भूपेश बघेल सरकार की टालमटोली पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि तीन साल बीत गए मगर मुख्यमंत्री बघेल अब भी यही कह रहे हैं कि एकदम से शराबबंदी नहीं करेंगे, सबकी सहमति से शराबबंदी होगी। क्या सबकी सहमति का उनका आशय सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की सहमति से है? वरना किसकी सहमति की प्रतीक्षा है। तीन साल पहले गंगाजल हाथ में लेकर शराबबंदी की कसम खाई गई थी। अब तक तो छत्तीसगढ़ ही क्या पूरे विश्व में बसे छत्तीसगढ़ी समाज की राय ली जा सकती थी। एक सवाल यह भी है कि क्या शराबबंदी के लिए हाथ में गंगाजल लेने के पहले किसकी सहमति मांगी गई थी जो इस तरह का वादा किया था। यदि भूपेश बघेल यह सोचते हैं कि हर मामले में दिल्ली दरबार के हुक्म का इंतजार करना है तो छत्तीसगढ़ में वे बाकी बचे दो साल में भी शराबबंदी लागू नहीं कर सकते। जो कांग्रेस बिहार में लागू शराबबंदी हटाने पर विचार करने का चुनावी वादा कर सकती है, वह छत्तीसगढ़ में किस आधार पर शराब बंदी करायेगी? दरअसल शराबबंदी की भूपेश बघेल की कोई मंशा नहीं है।

  भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि भूपेश बघेल धार्मिक सम्मेलन में भी राजनीतिक कलाबाजिया दिखाने से परहेज नहीं रखते। वे महिलाओं को नसीहत दे रहे हैं कि शराब पीकर आने वाले को घर में नहीं घुसने दें। उनकी महिला बाल विकास मंत्री सलाह देती हैं कि थोड़ी थोड़ी पिया करो! अब पुरुष महिला बाल विकास मंत्री की सलाह मानें या माताएं बहनें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नसीहत पर अमल करें। भूपेश बघेल खुद शराब बिकवा रहे हैं और महिलाओं को सलाह दे रहे हैं कि पीकर आने वाले को घर में न घुसने दें, वे इस तरह गृह कलह का रास्ता दिखा रहे हैं। भूपेश बघेल समझ लें कि महिलाएं शराब बेचने वालों को अगली बार विधानसभा में नहीं घुसने देंगी।

   भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि सरकार बनने के बाद भूपेश बघेल कहते थे कि हम इसे नोटबंदी के समान अचानक बंद नहीं करेंगे। आज 3 साल बाद भी वही बात कर रहे हैं तो आखिर और उन्हें कितना समय चाहिए? आज प्रदेश में नशा मुक्ति केंद्र तक नहीं हैं। न ही उसके लिए कोई बजट है। छत्तीसगढ़ में दूसरे राज्य की शराब सरकारी शराब दुकान में मिल रही है।  शराब के मामले में ढुलमुल रवैया बता रहा है कि भूपेश बघेल नाखून कटा कर शहीद बनना चाहते हैं।

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