रायपुर महानगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ छत्तीसगढ़ प्रान्त का संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) 2024 हुआ आयोजित, एक तपस्या, साधना है – संघ शिक्षा वर्ग.
June 2, 2024संघ शिक्षा वर्ग में छत्तीसगढ़ प्रांत के सभी 34 जिलों से कुल 578 शिक्षार्थियों ने 15 दिन अपने घर से दूर रहकर संगठन व समाज हेतु कार्य करने का प्राप्त किया प्रशिक्षण.
समापन कार्यक्रम में भीषण गर्मी के बीच संघ के स्वयंसेवकों ने 45 मिनट बिना रुके गणसमता, पदविन्यास, निःयुद्ध, दंड-संचालन, दंडयुद्ध, खेल, योगासन, सामूहिक समता की शारीरिक प्रात्यक्षिक किये प्रस्तुत.
समदर्शी न्यूज़ – रायपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य विस्तार का एक बड़ा आधार प्रतिवर्ष ग्रीष्मकाल में लगाए जाने वाले संघ शिक्षा वर्गों को माना जाता है। संघ द्वारा गर्मियों में प्रतिवर्ष लगाए जाने वाले प्रशिक्षण वर्गों की श्रृंखला में इस वर्ष छत्तीसगढ़ प्रांत में कृष्णा पब्लिक विद्यालय, डूंडा रायपुर में संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) दिनांक 18 मई से प्रारंभ होकर 02 जून को समापन कार्यक्रम पश्चात 03 जून की प्रातः को दीक्षांत कार्यक्रम के बाद वर्ग संपन्न होगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसी सत्र से संघ शिक्षा वर्ग के नाम में बदलाव के अलावा पाठ्यक्रमों में भी बदलाव किया है। प्रथम वर्ष को “संघ शिक्षा वर्ग“, द्वितीय वर्ष को “कार्यकर्ता विकास वर्ग एक“ और तृतीय वर्ष को “कार्यकर्ता विकास वर्ग दो“ कहा जाएगा। इस वर्ष रायपुर महानगर में छत्तीसगढ़ प्रान्त का संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) आयोजित हुआ है, जिसकी अवधि 15 दिन है, यह वर्ग पूर्व में 20 दिन का हुआ करता था।
इस संघ शिक्षा वर्ग में संघ के सभी आयु के कार्यकर्ताओं विशेषकर शालेय एवं महाविद्यालीन विद्यार्थी, कर्मचारी, व्यवसायी और कृषक वर्ग को संघ की रीति-नीति, विचार, कार्यप्रणाली से परिचित कराने के साथ ही भारत के गौरवशाली इतिहास, प्रातः स्मरणीय महापुरुषों, वीरांगनाओं, संतों, वैज्ञानिकों, स्वाधीनता के लिए प्राणों की आहुति देने वालों सहित महान नर-नारियों का स्मरण किया गया। देश की पवित्र नदियों, पर्वत श्रृंखलाओं, तीर्थ का स्मरण करते हुए देश व समाज के लिए स्वयं के समर्पण का संकल्प इस प्रशिक्षण से लिया गया।
संघ शिक्षा वर्ग में छत्तीसगढ़ प्रांत के सभी 34 जिलों से कुल 578 शिक्षार्थियों ने 15 दिन अपने घर से दूर रहकर संगठन व समाज हेतु कार्य करने का प्रशिक्षण प्राप्त किये। आज छत्रपति शिवाजी आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा, रायपुर में आयोजित समापन कार्यक्रम में भीषण गर्मी के बीच संघ के स्वयंसेवकों ने 45 मिनट बिना रुके गणसमता, पदविन्यास, निःयुद्ध, दंड-संचालन, दंडयुद्ध, खेल, योगासन, सामूहिक समता की शारीरिक प्रात्यक्षिक प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री जागेश्वर यादव (प्रसिद्ध समाजसेवी, जशपुर) ने कहा कि स्वयंसेवकों की कठिन साधना और परिश्रम, आत्मबल उनको निश्चित ही सफलता के शिखर पर लेकर जाएगा। आगे उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि बिरहोर जनजाति समाज (जो सरगुजा एवं बिलासपुर संभाग में निवासरत है) के जीवन में सुधार हेतु उनके लिए घुमंतू जीवन के स्थान पर स्थाई निवास, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि आवश्यकता हेतु शासन की मदद से कार्य किया। विशेष रूप से पहाड़ी कोरवा जनजाति समाज, जो अपने धर्म को छोड़कर ईसाई बन गए थे, उनके घर वापसी के लिए कार्य किया।’ बिरहोर जनजाति समाज से बाल-विवाह, नशाबंदी, छुआछूत आदि विषयों का उन्मूलन करने के लिए कार्य किया। जागेश्वर यादव जी ने सभी स्वयंसेवकों के लिए संदेश दिया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक कल्पवृक्ष है। समाज को जागरूक करने की प्रेरणा संघ से मिलता है, इसलिए सभी स्वयंसेवक शिक्षार्थी जो प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों, समाजों से आए हैं वह वापस अपने क्षेत्र में जाकर अपने समाज को जागरुक कर, राष्ट्र कार्य के लिए प्रेरित करें और उनके लिए कार्य करें।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता माननीय क्षेत्र संघचालक डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना ने कहा कि समाज में जो परिवर्तन आ रहे हैं उसका मूल कारण है कि हिंदू समाज जाग गया है। देश अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है, अंदरुनी देश विरोधी शत्रु बेनकाब हो रहे हैं। हिंदू समाज के जागने से हिंदुओं के धार्मिक संस्थान आकर्षण के केंद्र होंगे, कुटुंब परिवार में उत्सव पर्व मनाने की बातें होंगी, सभी जातियां अपने इष्ट कुल देवताओं के सम्मान में आगे आएंगी, ग्राम में समाज उत्थान, मंदिर, गुरु गद्दियां, गौशालाएं, तीर्थ सभी बढ़ेंगे। सामूहिक गतिविधियां जैसे श्रीमद भागवत, रामायण कथाएं, धार्मिक यात्राएं इन सभी से भक्ति बढ़ेंगे। यह सभी गतिविधियां समाज में हो, पर जो गलतियां पूर्व में हुई वह अब ना हो, इसलिए आज हिंदू समाज सर्वस्पर्शी एवं सर्वव्यापी बने इसका प्रयास होना चाहिए।
कुटुंब में ऐसा भाव जगे की कोई छुआछूत का भाव किसी के लिए ना रखे, परिवार में कोई ना कोई धार्मिक गतिविधि होती रहे, परिवार में यह संकल्प हो कि हम जल की बचत करेंगे, तुलसी का पौधा रखेंगे, मांगलिक प्रसंग में वृक्षारोपण करेंगे, प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे, स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग बढ़ाएंगे, घर में धार्मिक ग्रंथ जैसे रामायण, गीता रखेंगे, घर की नाम पट्टिका हिंदी में करेंगे, परिवार के सभी लोग एक साथ मिलकर भोजन करेंगे, परिवार में देश और धर्म के बारे में चर्चा करेंगे, पाश्चात्य अंधानुकरण को परिवार में आने से रोकेंगे आदि।
आगे डॉक्टर पूर्णेन्दु सक्सेना ने कहा कि जाति समाज अपने गौरव को बढ़ाएं परंतु अन्य समाजों के बारे में तिरस्कार का भाव ना रखें। सभी समाज परस्पर सहयोग के तंत्र बनाएं। धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे विषयों में सभी सजग रहे, साथ आएं। पूर्व में जातियां अपने में सिमट कर रह गई थी अब फिर ऐसा ना हो इसकी चिंता करें।
आगे उन्होंने कहा मंदिरों ने हमेशा से संस्कार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, सेवा के काम किए हैं, वह सभी कार्य चलता रहे इसकी चिंता हो। मंदिर सबके लिए वैसे ही खुला हो जैसी कल्पना वीरसावरकर जी ने पतित पावन मंदिर के लिए की थी। हिंदू समाज में गुरुओं की महत्ता अनंत है, गुरु गद्दियों और गुरुभाइयों को भी समग्र सनातन हिंदू जीवन पद्धति को कमजोर करने वाले या सामूहिक पहचान को कमजोर करने वाले विमर्शों से दूरी बनाना चाहिए। आज भारत एक मजबूत देश के रूप में विश्व में अपना स्थान लेने के लिए अग्रसर हो रहा है। युग परिवर्तन की इस बेला में यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन अवसरों का लाभ उठा पाए जो आने वाले हैं और अपने आप को उन दायित्व के लिए तैयार करें जो हमें उठाने पड़ेंगे, तभी भारत विश्व गुरु बन सकता हैं।
भारत में ज्ञान की लंबी परंपरा है, भारत का अध्यात्म आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टि को पोषित करता है। भारत की परंपरा, सामाजिक व्यवस्थाओं को सफल करके ही हम विश्व गुरु बनेंगे। नए विकसित भारत के लिए नागरिक दायित्वबोध भी हम सबके लिए आवश्यक है।
आगे उन्होंने कहा कि आज समाज में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन आ रहा है कि अंदरूनी देश विरोधी शत्रु बेनकाब हो रहे हैं। ऐसे लोग अब अर्बन नक्सल या टुकड़े-टुकड़े गैंग के नाम से पहचाने जा रहे हैं। परंतु इनके सही स्वरूप को समझना अभी भी बहुत बाकी है। ये कम्युनिस्ट आज पूरे देश में वर्ग-संघर्ष, परिवार में लड़ाई पैदा करना, अगड़ी जाति-पिछड़ी जाति, एक भाषा-दूसरी भाषा, लोकल-बाहरी, उद्योगपति-गांव वाले आदि, यह किसी को जीताना नहीं चाहते, यह सिर्फ लड़ाना चाहते हैं, इसलिए आप सभी ऐसे विमर्श के प्रति चौकन्ने रहें जो आपको किसी से लड़ा रहा हो। आज के युग में नए देश, युद्ध से नहीं बनते, आंतरिक फूट से बनवाए जाते हैं। बदलते जनसंख्या अनुपात इसको बल देते हैं।
अपने वक्तव्य में डॉक्टर पूर्णेन्दु सक्सेना ने किसी संगठन का नाम लिए बिना उन्होंने राष्ट्रविरोधी अभियान चलाने वाली शक्तियों की आलोचना की। उन्होंने कहा भारत के टुकड़े कर कश्मीर, केरल, मणिपुर को भारत से तोड़ने की बातें करने वाली शक्तियाँ कभी सफल नही होंगी, लेकिन देशवासियों को इन शक्तियों से सावधान रहकर गुजरात से बंगाल तक और कश्मीर से कन्याकुमारी तक “भारत माता की जय“ का घोष करना होगा। भारत अच्छे के लिए बदल रहा है, परंतु इस कालक्रम में सावधानी और दूरदृष्टि की आवश्यकता है ताकि दुनिया का यह सबसे बड़ी आबादी वाला देश स्थायित्व, सुदृढ़ता और विकास के मार्ग पर बढ़ पाए।
वसुधैव कुटुम्बकम।
सर्वे भवन्तु सुखिनः।
धर्मो रक्षति रक्षितः।
“राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम”।
मंच पर माननीय प्रान्त संघचालक डॉ. टोपलाल वर्मा, महानगर संघचालक श्री महेश बिड़ला, वर्ग के सर्वाधिकारी श्री भगवान दास बंसल उपस्थित थे। वृत्त कथन वर्ग कार्यवाह श्री बलराम यदु एवं आभार प्रदर्शन सर्वव्यवस्था प्रमुख श्री वासुभाई पटेल ने किया। संघ शिक्षा वर्ग में 578 स्वयंसेवक शिक्षार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में संघ के छत्तीसगढ़ प्रान्त व मध्य क्षेत्र के अधिकारी एवं अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
वर्ग स्थल में पर्यावरण हितैषी वातावरण
वर्ग कार्यवाह श्री बलराम यदु ने बताया कि वर्ग में जलसंरक्षण व वृक्ष संरक्षण से शिक्षार्थियों को जोड़ा गया। प्लास्टिक मुक्त एवं स्वच्छ परिसर के लिए प्लास्टिक की बोतलों एवं कचरे से ईको फ्रेंडली ईंटे (इकोब्रिक्स) बनाई गई साथ ही शिक्षण के दौरान भोजन में मिले आम फल को खाकर बीज संग्रहण का भी अनुकरणीय कार्य किये। संघ शिक्षा वर्ग में सभी शिक्षार्थियों द्वारा बीजारोपण से पौधारोपण का प्रायोगिक किए। सभी ने मिट्टी में आम और बेल के बीज रोपे। इन बीजों से निकले पौधों को वर्ग से लौटते समय शिक्षार्थी अपने साथ ले जाकर अपने क्षेत्र में पौधारोपण करेंगे।