राजस्व पखवाड़े में पटवारियों की हड़ताल सरकार की फजीहत – सुशील आनंद शुक्ला

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समदर्शी न्यूज़, रायपुर । भाजपा सरकार की बड़ी हास्यापद स्थिति हो गयी है, प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सरकार राजस्व पखवाड़ा मना रही, राजस्व अमला हड़ताल पर है जिसको लेकर प्रचार प्रसार कर रही, मंत्री प्रेस कांफ्रेस लेकर बड़ी- बड़ी बाते करते है वही सरकार की फजीहत का कारण बना हुआ है। सरकार राजस्व पखवाड़ा मना रही है और दावा कर रही है कि इस पखवाड़े के दौरान जितने राजस्व प्रकरण है उन्हे निपटा लिये जायेंगे। प्रदेश के सारे पटवारी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गये है।

यह सरकार के कामकाज की स्थिति है। सरकार जिस कार्यक्रम को लेकर आगे बढ़ रही है, उसे पूरा करने के लिये कोई कार्ययोजना नही है। राजस्व की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले पटवारी हड़ताल पर चले गये। विष्णुदेव साय की सरकार भगवान भरोसे चल रही है। 6 महीने ही हुये सरकार को बने लेकिन इस सरकार के कामों से हर वर्ग में निराशा है, जनता परेशान है, कर्मचारी परेशान है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि 6 माह में ही सरकार में काम करने की संस्कृति नष्ट हो चुकी है। सरकार अनुभवहीन और अदूरदर्शी लोगों के हाथों में होने का खामियाजा जनता को उठाना पड़ रहा है। राज्य की कानून व्यवस्था बदहाल है, सरकार की पुलिस पर से पकड़ ढीली हो गयी है आबकारी अमला शराब की कालाबाजारी कराने में व्यस्त है। तहसील दफ्तरो मे जनता घूम रही है। मंत्रीगण सिर्फ कोरी बयानबाजी में लगे है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जब से भाजपा सरकार बनी है राजस्व विभाग के पेंडेंसी बढ़ गयी है। नामांतरण, फौत, बंटवारा, त्रुटि सुधार, ऋण पुस्तिका आदि के कामों के लिये आम आदमी को तहसील दफ्तरों के चक्कर काटना पड़ रहा है। भाजपा की सराकर ने भू माफियाओं को संरक्षण मिल रहा है, चिन्हाकिंत कर-करके खसरा लॉक किये जा रहे है। पूरा फोकस वसूली गैंग चलाने में है, किसान और आम जनता की परेशानियों से साय सरकार का कोई सरोकार नही है। पूर्ववर्ती सरकार ने नियम बनाया था कि रजिस्ट्री के साथ खरीददार के खाते में नामांतरण हो जायेगा लेकिन वर्तमान सरकार में आज भी नामांतरण के लिये आदमी को चक्कर काटना पड़ रहा है भले ही नामांतरण प्रकरण पंजीबद्व के मैसेज आते है लेकिन जब तक रजिस्ट्री के दस्तावेज और नजराना तहसील दफ्तर नही पहुंचता, नामांतरण नही होता है।

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