विवाह की पूर्व तैयारी पूर्ण, हो चुकी थी हल्दी-मेंहदी की रस्में, बारात निकलने को ही थी कि पहुँच गया जिला प्रशासन… जानें फिर क्या हुआ ?

विवाह की पूर्व तैयारी पूर्ण, हो चुकी थी हल्दी-मेंहदी की रस्में, बारात निकलने को ही थी कि पहुँच गया जिला प्रशासन… जानें फिर क्या हुआ ?

July 15, 2024 Off By Samdarshi News

बालविवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराकर जिला प्रशासन द्वारा रोका गया बाल विवाह

समदर्शी न्यूज़ जांजगीर-चांपा 15 जुलाई 2024 | महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस विभाग के संयुक्त प्रयास से आज एक नाबालिग कन्या का विवाह होने से रोका गया। बाल विवाह संबंधी सूचना प्राप्त होते ही कलेक्टर आकाश कुमार छिकारा के निर्देशानुसार जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास श्रीमती अनिता अग्रवाल एवं प्रभारी जिला बाल संरक्षण अधिकारी सम्में सिंह कंवर के नेतृत्व में ग्राम पंचायत अंगारखार, थाना पंतोरा, विकासखंड बलौदा में बालक के घर जाकर जानकारी ली गयी।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा बताया गया कि वहां परिवार में 01 बालक का विवाह 12 जुलाई 2024 से 15 जुलाई 2024 को निर्धारित किया गया था। जिसमें बालक के अंकसूची की जांच करने पर उसकी उम्र 18 वर्ष 06 माह 14 दिन होना पाया गया जिसका विवाह ग्राम कोनहापाट की युवती के साथ तय किया गया था। विवाह की पूर्व तैयारी हो चुकी थी, हल्दी-मेंहदी की रस्में हो चुकी थी, बारात निकलने की तैयारी हो रही थी। अधिकारी कर्मचारी द्वारा बालक एवं उसके माता-पिता तथा स्थानीय लोगों को बालविवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराया गया। समझाईस के पश्चात स्थानीय लोगों की उपस्थिति में बालक के माता-पिता की सहमति से बालक का विवाह रोका गया है। दल में चाईल्ड लाईन जांजगीर से समन्वयक निर्भय सिंह, टीम मेम्बर जोहित कुमार कश्यप, भूपेश कश्यप, महिला पर्यवेक्षक लोरेन्सिया राव, आगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती सोनम लहरे, रवि महिलांगे शामिल रहें।

ज्ञात हो कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष निर्धारित है। निर्धारित उम्र से कम होने की स्थिति में बाल विवाह करने पर पुलिस विभाग द्वारा अपराध पंजीबद्ध करते हुए विवाह करने वाले माता-पिता विवाह में सम्मिलित होने वाले रिश्तेदार, टेंट प्रभार डी.जे. साउड-धुमाल प्रभारी, भोजन बनाने वाले रसोइया हलवाई केटरिन प्रभारी, विवाह कराने वाले पंडित के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी। अधिनियम के तहत 02 वर्ष के कठोर सश्रम कारावास तथा 01 लाख के जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किया जाने का प्रावधान है।