आपसी सहमति से पति-पत्नी न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन करें, आयोग के सुनवाई में दो प्रकरणों में प्रतिमाह 5 हज़ार भरण-पोषण राशि तय हुए, न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण नस्तीबद्ध, आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर

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आज जनसुनवाई में 25 प्रकरण में 20 पक्षकार उपस्थित हुए तथा 9 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण सुश्री शशिकांता राठौर, डॉ अनिता रावटे, श्रीमती अर्चना उपाध्याय एवं श्रीमती नीता विश्वकर्मा की उपस्थिति में आज शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई।

आज के सुनवाई में प्रस्तुत एक अन्य प्रकरण में उभय पक्षों के मध्य पारिवारिक विवाद सुलझने के कोई आसार नहीं है। इनका एक नाबालिग पुत्र 11 वर्ष का है जिसका कथन है कि दो-तीन आंटी लोगों का अनावेदक (पिता) से संबंध है। आवेदिका भी अनावेदक से तलाक लेना चाहती है। उभय पक्ष न्यायालय के माध्यम से तलाक का आवेदन प्रस्तुत कर सकते है। इस आधार पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में पति ने पत्नी को भरण पोषण राशि 5 हजार रुपये देना आयोग के समक्ष स्वीकार किया।जिस पर आवेदिका ने अपनी सहमति दी। आयोग के समक्ष पति ने कथन किया कि भरण पोषण राशि 5 हजार रुपये नगद आवेदिका के माता पिता के समक्ष उनके निवास में जाकर देगा।आज आयोग के समक्ष पत्नी को 1,000 रुपये भी दिया,शेष राशि को घर जाकर देगा। इस प्रकरण को निराकरण हेतु आगामी सुनवाई में रखा गया है।

इसी तरह एक अन्य प्रकरण में पुत्री ने अपने पिता के खिलाफ शिकायत की थी कि शराब पीने के बाद मारपीट करता है। जिस पर पिता का कहना है कि पुत्री गलत संगति में पड़ गई है जिसे मैं समझाता हूं,मारपीट नहीं करता हूं। पिता पुत्री को आयोग द्वारा समझाइश दिये जाने पर पुत्री अपने पिता के साथ राजी खुशी रहने को तैयार हुई।आयोग द्वारा इस प्रकरण को निगरानी में रखते हुये नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में पत्नी और बच्चे को भरण पोषण हेतु 5 हजार रुपये प्रतिमाह देना पति ने स्वीकार किया है। पति पत्नी को समझाइश के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण अनुपस्थित रहे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये आयोग ने अनावेदकगणों की आगामी सुनवाई में उपस्थिति सुनिश्चित कराने हेतु थाना प्रभारी को पत्र प्रेषित किया जाएगा।जिससे प्रकरण का निराकरण हो सके।

इसी तरह तीन अन्य प्रकरण न्यायालय मे विचाराधीन होने के कारण आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर होने पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

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