न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत 52 लघुवनोपज का किया गया संग्रहण

September 6, 2021 Off By Samdarshi News

94 हजार 276 संग्राहकों को 34 करोड़ 88 लाख से अधिक रूपए का संग्रहण पारिश्रमिक राशि का भुगतान

समदर्शी न्यूज़ जगदलपुर

छत्तीसगढ़ राज्य में लघु वनोपज की बहुलता और राज्य सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर इसकी खरीदी की बेहतर व्यवस्था के जरिए वनोंपज संग्राहकों कों आर्थिक लाभ मिलने लगा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बीते ढाई सालों में वनवासियों एवं लघु वनोपज संग्राहकों के जीवन में तब्दीली लाने के क्रांतिकारी फैसलों ने औने-पौने दाम में बिकने वाले लघु वनोपज को अब मूल्यवान बना दिया है। जिसका सीधा लाभ यहां के वनोपज संग्राहकों को मिलने लगा है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ राज्य आज लघु वनोपज के संग्रहण के मामले में देश का अव्वल राज्य बन गया है। देश का 73 प्रतिशत वनोपज क्रय कर छत्तीसगढ़ राज्य में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र राज्य है, जहां 52 प्रकार के लघु वनोपज को समर्थन मूल्य पर क्रय किया जा रहा है। इससे वनवासियों एवं वनोपज संग्राहकों को सीधा लाभ मिल रहा है।

बस्तर वन मण्डल में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत कुल 52 प्रजातियों का संग्रहण किया जा रहा है। पहले बस्तर वन मण्डल के अंतर्गत कुल 14 प्रजातियों का संग्रहण किया जा रहा था। उक्त अवधि में लघु वनोपजों की अधिकतम खरीदी 22587 क्विंटल औसतन प्रतिवर्ष हो रही थी। छत्तीसगढ़ शासन के सफल प्रयास के द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत कुल 38 प्रजातियों को लघु वनोपज की खरीदी के समर्थन मूल्य पर जोडे जाने से 52 प्रजातियों का संग्रहण वर्तमान में किया जा रहा है। वर्ष 2019, 2020 तथा 31 अगस्त 2021 तक एक लाख 38 हजार 777 क्विंटल लघु वनोपजों की खरीदी की जा चुकी है। जिससे 94 हजार 276 संग्राहकों ने समूहों के पास विक्रय करने पर उन्हें 34 करोड़ 88 लाख 20 हजार 966 रूपए की संग्रहण पारिश्रमिक राशि का भुगतान किया गया है। इस तरह केवल संग्रहण से एक लाख 14 हजार 746 मानव दिवस का रोजगार संग्राहकों को उपलब्ध कराया गया है, साथ ही समूहों को 2019 से 31 अगस्त 2021 तक 105 लाख का कमीशन भुगतान किया गया है। विगत 2 वर्षो में 45604 क्विंटल ईमली के डि-सीडिंग कार्य कराकर 41028 संग्राहकों को 2 करोड़ 50 लाख 82 हजार 371 का अतिरिक्त आय हुआ। वर्ष 2021 में तेन्दूपत्ता का संग्रहण में 34 हजार 57 संग्राहक परिवारों को 5 करोड़ 51 लाख का भुगतान किया गया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर वनोपज संग्राहकों को उनकी मेहनत का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए लघु वनोपजों के क्रय मूल्य में बढ़ोतरी के साथ-साथ तेंदूपत्ता संग्रहण की दर को 2500 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर सीधे 4000 रूपए प्रति मानक बोरा किया गया। साथ ही महुआ के समर्थन मूल्य को 17 रूपए से बढ़ाकर 30 रूपए प्रति किलोग्राम, इमली 25 रूपए के बजाय अब 36 रूपए प्रति किलो, चिरौंजी गुठली 93 रूपए से बढ़ाकर 126 रूपए प्रति किलो की दर से समर्थन मूल्य पर क्रय की जाने लगी है। इसी तरह रंगीनी लाख 130 रूपए प्रति किलो ग्राम से बढ़ाकर रूपये 220 प्रति किलोग्राम, कुसमी लाख 200 प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर अब 300 रूपए प्रति किलोग्राम, शहद 195 रूपए से बढ़ाकर रूपये 225 प्रति किलोग्राम में खरीदा जा रहा है। इसका सीधा लाभ ग्रामीण संग्राहक परिवारों को प्राप्त हुआ। अन्य वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और खरीदी की व्यवस्था करने से ग्रामीणों को करोड़ों रूपए की अतिरिक्त लाभ होने लगा है।